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2022.05.17 पाकिस्तानी काथलिक दम्पति शगुफ्ता और शफकत इम्मानुएल 2022.05.17 पाकिस्तानी काथलिक दम्पति शगुफ्ता और शफकत इम्मानुएल  (ACN) कहानी

पाकिस्तान: 'मैंने ईशनिंदा के झूठे आरोप में मौत की सजा पर 8 साल बिताये'

पाकिस्तान के एक काथलिक जोड़े की कहानी, जिनपर ईशनिंदा का झूठा आरोप लगाया गया और जेल में डाल दिया गया था। अंततः 2021 में लाहौर उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें बरी किया गया। शगुफ्ता इम्मानुएल ने परमधर्मपीठीय संगठन "एड टू द चर्च इन नीड" के साथ अपने अनुभव को साझा किया। उन्हें और उनके परिवार को मिले समर्थन के लिए वे संगठन के प्रति आभार व्यक्त करती हैं और कहती हैं कि उसने ईश्वर पर भरोसा रखा और ईश्वर ने उसके विश्वास को कभी कमजोर होने नहीं दिया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार 27 मई 2022( वाटिकन न्यूज) : जुलाई 2013 में, पाकिस्तान के लाहौर से 155 मील दक्षिण में एक छोटे से शहर मियां चन्नू में एक काथलिक दम्पति शगुफ्ता और शफकत इम्मानुएल को ईशनिंदा के झूठे आरोप में गिरफ्तार किया गया था। एक-दूसरे से और अपने चार बच्चों से अलग रहते हुए जेल में मौत की सजा के आठ साल बाद, उन्हें अंततः 3 जून 2021 को लाहौर उच्च न्यायालय द्वारा रिहा कर दिया गया। इसके बाद शगुफ्ता ने एसीएन के साथ अपनी कहानी अपने शब्दों में साझा की।

उसने कहा, "मैं एक मजबूत ईसाई परिवार में पैदा हुई थी। मैंने नियमित रूप से पवित्र मिस्सा में भाग लिया और पवित्र परमप्रसाद ग्रहण किया।  मैं हमेशा धर्मशिक्षा में जाने और रोजरी प्रार्थना नियमत रुप से करती थी। मेरे पिता और मेरी माता ने मुझे और मेरे छह भाइयों और बहनों को अपने विश्वास में दृढ़ रहना और सभी प्रकार के बलिदानों या सतावटों के लिए तैयार रहना सिखाया था।"

हमारे गाँव में अधिकांश परिवार मुस्लिम थे, लेकिन वहाँ ख्रीस्तियों की भी अच्छी संख्या थी। मुसलमानों के साथ हमारे संबंध बहुत सौहार्दपूर्ण थे। मुझे याद है कि मैं मुस्लिम लड़कियों के साथ खेलती थी और हम क्रिसमस और ईद-उल-फितर के दौरान एक-दूसरे के घरों में जाते थे और बधाई और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते थे। मेरे भाइयों के भी बहुत अच्छे मुस्लिम मित्र थे। मुझे धर्म के नाम पर कोई लड़ाई या विवाद याद नहीं है।

शफ़क़त इम्मानुएल से शादी करने के कुछ साल बाद हम गोजरा चले गए और मेरे पति को वहाँ नौकरी मिल गई। दुख की बात है कि करीब 12 साल पहले एक झगड़े में लोगों को बचाने के दौरान उन्हें एक गोली लग गई, जिसकी वजह से उन्हें लकवा मार दिया। उसके बाद जीवन कठिन था, लेकिन हम भाग्यशाली थे कि उन्हें गोजरा के संत जॉन हाई स्कूल में नौकरी मिल गई। स्कूल के घंटों के बाद, मेरे पति परिवार के खर्चों के लिए कुछ अतिरिक्त पैसे कमाने के लिए सेल फोन की मरम्मत करते थे।

फिर, जुलाई 2013 में एक दिन अचानक, हम दर्जनों अधिकारियों के साथ कई पुलिस की गाड़ियों को देखकर घबरा गए। उन्होंने हमारे घर पर छापा मारा और हमारे मोबाइल सिम कार्ड के माध्यम से भेजे गए मोहम्मद के बारे में आपत्तिजनक संदेश के रूप में ईशनिंदा के आरोप में मेरे पति और मुझे गिरफ्तार कर लिया। फोन मेरे नाम पर रजिस्टर्ड था और मेरे पति भी इसका इस्तेमाल करते थे। आपत्तिजनक संदेश अंग्रेजी में लिखा गया था, एक ऐसी भाषा न तो मेरे पति और न ही मैं बोलती या पढ़ पाती हूं। हमें एक रात के लिए पुलिस हिरासत में रखा गया था, अगले दिन हमें जेल स्थानांतरित कर दिया गया। जेल में, हमें प्रताड़ित किया गया। अधिकारियों ने मेरे पति से कहा कि अगर उसने कबूल नहीं किया, तो वे उसके सामने मेरे साथ बलात्कार करेंगे और इसलिए उसने कबूल किया, भले ही हम दोनों निर्दोष थे।

एक न्यायाधीश ने हमें दोषी पाया और हमें मौत की सजा देने से पहले हम आठ महीने तक जेल में थे। हमारे वकील को अपनी अंतिम दलीलें पूरी करने की अनुमति नहीं दी गई और न ही हम दोनों की बात सुनी गई। मौत का यह फैसला सुनकर मैं बेहोश हो गयी। सजा हमारे और हमारे परिवार के लिए एक बड़ा झटका था। पाकिस्तान और अन्य जगहों पर पूरे ख्रीस्तीय समुदाय को झकझोर दिया।

शफ़क़त को फ़ैसलाबाद जेल ले जाया गया, जबकि मुझे मुल्तान में मौत की सज़ा की एक कोठरी में ले जाया गया। हम आठ साल लंबे समय तक मौत की कतार में थे। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह मेरे बच्चों पर कितना भारी पड़ता था, उस समय मेरे बेटे 13, 10 और 7 साल के थे और मेरी बेटी सिर्फ 5 साल की थी। उन्हें मुस्लिम कट्टरपंथियों से छिपने के लिए बारंबार जगह बदलना पड़ा, जिन्होंने उन पर हमला करने की धमकी दी थी और लगभग 20 से 30 मिनट के लिए हर पांच या छह महीने में केवल मुझसे मिलने आते थे। मैं अपने बच्चों से अलग होकर उनके लिए हर दिन रोती थी। मेरा जीवन भयानक था और मैं यही सोचती रही, कि एक दिन मुझे और मेरे पति को फांसी पर लटका दिया जाएगा।

ईश्वर पर विश्वास

इन सभी भयावह दुःस्वप्नों के बावजूद, मैंने कभी आशा या अपना विश्वास नहीं खोया। मैंने प्रतिदिन प्रार्थना किया। मैं प्रतिदिन बाइबल पढ़ती थी और उर्दू और पंजाबी में भजन और गीत गाए। इससे मुझे बहुत सुकून मिलता था। मैंने कभी विश्वास और आशा नहीं खोया, क्योंकि मेरे पति और मैं निर्दोष थे, हमेशा जीवित रहने वाले मेरे प्रभु येसु मसीह - जिन्होंने मृत्यु को हराया और तीसरे दिन मृतकों में से जी उठे - हमें स्वतंत्र करेंगे और मुझे मृत्यु से ऊपर उठाएंगे।

कई बार मुझसे कहा गया था कि अगर मैं इस्लाम धर्म को स्वीकार करुँगी तो मेरी मौत की सजा को जेल में बदल दिया जाएगा और अंततः मुझे रिहा कर दिया जाएगा। मैंने हमेशा कहा नहीं। पुनर्जीवित प्रभु येसु मसीह मेरा जीवन और उद्धारकर्ता है। येसु मसीह ने मेरे लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया, हालांकि मैं एक पापी हूं। मैं कभी भी अपना धर्म नहीं बदलूंगी और इस्लाम में परिवर्तित नहीं होऊंगी। मैं येसु मसीह को नकारने के बजाय फांसी पर लटका देना पसंद करूंगी।

इस बीच, दुनिया भर के मानवाधिकार संगठनों के साथ-साथ काथलिक कलीसिया और एड टू द चर्च इन नीड द्वारा यूरोपीय संसद में हमारे अनुचित परीक्षण और सजा के खिलाफ दैवीय हस्तक्षेप शुरू हुआ और बहुत मजबूत आवाज उठाई गई। उन्होंने हमारी रिहाई के लिए प्रार्थना की और हमें नैतिक और आध्यात्मिक समर्थन दिया। मैं और मेरे पति अपने सभी समर्थकों के हमेशा आभारी रहेंगे। आपका बहुत बहुत धन्यवाद! ईश्वर सभी को आशीर्वाद दे!

 ईश्वरीय कृपा

आसिया बीबी, जिसे ईशनिंदा के झूठे आरोपों में मौत की सजा सुनाई गई थी, मुल्तान में कुछ दिनों के लिए, मेरी पड़ोसी थी। हम जब भी मिलते थे, एक साथ प्रार्थना करते थे, एक-दूसरे को सांत्वना देते थे और येसु मसीह में अपने दृढ़ विश्वास को नवीनीकृत करते थे। क्रिसमस के समय हम अन्य मुस्लिम और ख्रीस्तीय कैदियों के साथ केक साझा किया करते थे।

जब मैंने सुना कि आसिया को आज़ाद कर दिया गया है, तो मेरा दिल खुशी से भर गया और मुझे विश्वास था कि एक दिन मुझे भी रिहा कर दिया जाएगा। अंत में यह हुआ। मैं और मेरे पति मुक्त हो गए। लेकिन यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि आसिया बीबी की तरह, शफ़क़त और मैं अपने परिवार के साथ पाकिस्तान में नहीं रह सके और हमें शरण लेनी पड़ी और दूसरे देश में बसना पड़ा, क्योंकि यदि हम पाकिस्तान में रहें तो कट्टर चरमपंथी मुसलमान हमें मारने के लिए तैयार थे।

हालांकि, हम बहुत खुश हैं कि एक यूरोपीय देश ने हमें शरण दी है और अब हमारा परिवार फिर से मिल गया है। हम यहां सुरक्षित हैं और हम अपने धर्म का पालन करने के लिए स्वतंत्र हैं।

मैं आशा और प्रार्थना करती हूं कि ईशनिंदा के ये झूठे आरोप, जो अक्सर व्यक्तिगत द्वेष के कारण लगाए जाते हैं, पाकिस्तान में बंद हो जाएंगे और जो लोग दूसरों पर झूठा आरोप लगाने के दोषी पाए जाएंगे उन्हें दंडित किया जाएगा।

"मेरे जीवित प्रभु येसु मसीह और मेरे दयालु पिता ईश्वर, जो न्याय के परमेश्वर हैं, सारी प्रशंसा और महिमा हो।"

मूल साक्षात्कार देने वाले फादर जेम्स चन्नान को धन्यवाद।

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27 May 2022, 12:30