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यूक्रेन के मारियुपोल की सेमिनरी में चोरी करते समय तोड़ी गई मरियम की प्रतिमा यूक्रेन के मारियुपोल की सेमिनरी में चोरी करते समय तोड़ी गई मरियम की प्रतिमा 

कीएव के काथलिक ईशशास्त्रीय सेमिनरी पर हमला

यूक्रेन की राजधानी कीएव के वोरजेल स्थित काथलिक ईशशास्त्रीय सेमिनरी के रेक्टर फादर रूसलान मेखालकिव ने बतलाया कि सेमिनरी में किस तरह तोड़फोड़ किया गया है। सेमिनरी पर न केवल रूसी बल्कि भूखे लोगों ने भी हमला किया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

यूक्रेन, मंगलवार, 12 अप्रैल 2022 (रेई) ˸ यूक्रेन की राजधानी कीएव के वोरजेल स्थित काथलिक ईशशास्त्रीय सेमिनरी के रेक्टर फादर रूसलान मेखालकिव ने बतलाया कि सेमिनरी में किस तरह तोड़फोड़ किया गया है। सेमिनरी पर न केवल रूसी बल्कि भूखे लोगों ने भी हमला किया है।

युद्ध के शुरू से लेकर अब तक वोरजेल के काथलिक सेमिनरी में दो बार हमले हो चुके हैं और सारे समान लिए जा चुके है। चैलिस जिसमें संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने 2001 में ख्रीस्तयाग अर्पित किया था वह भी ले लिया गया है।

फादर रूसलान ने कहा, "मुझे लगता है कि स्थानीय लोगों ने भी चोरी की है जो इस क्षेत्र में रहते हैं। चूँकि वे भूखे हैं और सब कुछ बंद है।"

उन्होंने नाराजगी जताये बिना कहा, "हमने जिन्हें भोजन दिया उन्होंने बतलाया कि वे रूसी सैनिक थे किन्तु स्थानीय लोग भी थे। वे निराश हैं, भूखे हैं, यहाँ सब कुछ बंद है। इसलिए उन्होंने हमारे पास आकर भोजन पाने का उपाय किया। वे कम से कम भोजन कर सके।" दो हमलों में सेमिनरी का आधा भाग ध्वस्त हो चुका है और अंदर से सब कुछ चुरा लिया गया है। जिनमें संत पापा जॉन पौल द्वितीय द्वारा प्रयोग किया गया चैलिस भी शामिल है।   

धर्माध्यक्ष के पोस्ट

कीएव के लातीनी काथलिक धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष विताली क्रेवेतस्काय के फेसबुक पोस्ट के द्वारा हमले की जानकारी मिली। फोटो में दिखाई पड़ रहा है कि माता मरियम की प्रतिमा का सिर धड़ से अलग है। यह एक अपमानजनक भाव है, किन्तु एक तबाही का भी प्रभाव है, जिसने पिछले 24 फरवरी से यूक्रेन को अपनी चपेट में ले लिया है।

बमबारी से बचना

रूसी आक्रमण शुरू होने के दूसरे ही दिन रेक्टर ने सेमिनरी के छात्रों, निकट के अनाथालय के लोगों, दो धर्मबहनों एवं पाँच बच्चों को वहाँ से निकाल लिया था। उन्होंने कहा, "हम पहले से तैयार थे कि कुछ होनेवाला है और ऐसा ही हुआ।" आसपास का क्षेत्र सैनिकों के कब्जे में हो गया। उन सभी लोगों को कीएव एवं बूचा के बीच एक आश्रय में रखा गया है जबकि सेमिनरी के आध्यात्मिक संचालक और पल्ली पुरोहित पादर इगोर सेमिनरी में ही रह गये। वे कुछ दिन पहले तक वहीँ थे। युद्ध शुरू होने के चौथे दिन उनके घर का आधा हिस्सा बम द्वारा क्षतिग्रस्त हो गया।  

वापसी

भारी हथियारों द्वारा दूसरे हमले के बाद फादर इगोर ने भी सेमिनरी छोड़ दिया, जिसने सुविधाओं को क्षतिग्रस्त कर दिया था और अंदर–बाहर से सब कुछ अस्त-व्यस्त हो चुका था। रूसी सैनिकों ने उस क्षेत्र में प्रवेश निषेध कर दिया था। फादर रूसलान ने बतालया कि वे पिछले बृहस्पतिवार को ही वापस लौट सके और उन्होंने देखा कि उनका मुख्य द्वार खुला था। उन्हें बूचा गये स्वयंसेवकों एवं कारितास कार्यकर्ताओं से चेतावनी मिल चुकी थी कि स्थिति क्या हो सकती है। उन्होंने घर बंद करने की कोशिश की थी। किन्तु वापस लौटने पर उन्होंने पाया कि घर में न पानी था न बिजली और न गैस था। रेक्टर एवं अन्य पुरोहितों ने वापस आकर सब कुछ ठीक करने की सहमति जतायी। जब वे वापस लौटे तो घर को पूरी तरह खुला पाया और अंदर घुसने पर महसूस किया कि यह केवल बम से नहीं हुआ था।  

सब कुछ चुरा लिया गया

सेमिनरी से सबकुछ चुरा लिया गया था ˸ बर्तन, कपड़ा धोने की मशीन, कम्प्यूटर, एर कंडिशन, छोटे समान आदि सब गायब थे। यहाँ तक कि चीजें जो मूल्यवान नहीं थीं किन्तु मूल्यावान लग रही थीं उन्हें भी...उन्होंने मिस्सा पूजा की सामग्रियों और संत पापा जॉन पौल द्वितीय द्वारा 2001 में प्रेरितिक यात्रा के दौरान ख्रीस्तयाग अर्पित किये गये थे, उस चैलिस को भी ले लिया। यह एक पवित्र अवशेष के समान था जिसका प्रयोग बड़े समारोहों में किया जाता था। सेमिनरी छात्रों के जूते और कपड़े भी चुरा लिये गये हैं।  

"वे भूखे थे..."

रेक्टर ने कहा, "गोदाम खाली हो चुका था ˸ हमारे जीने के लिए कुछ आलू, पास्ता और दूसरे खाद्य सामग्री रखे गये थे। कुछ भी बाकी नहीं रहा।" हम जानते है कि रूसी लोगों ने सेमिनरी को लूटा था क्योंकि जिन्होंने हमारे लिए भोजन लाया उन्होंने बतलाया कि वे गेट खोलने के लिए एक विशेष तकनीक का प्रयोग करते हैं और दरवाजों को तोड़ देते हैं। किन्तु मैं सोचता हूँ कि हम स्थानीय लोगों के द्वारा भी लूटे गये हैं जो यहाँ रहते हैं। पहले भी कुछ निराश लोगों ने रसोई से कुछ बर्तन चुरा लिये थे। अब उन्होंने पूरा भोजन पा लिया है। कोई बात नहीं...यहाँ भोजन था और लोग भूखे थे। सब कुछ बंद है, वे कहाँ से चीजें पाते? उन्होंने यह उपाय अपनाया जिसको अपने अंतःकरण के अनुसार नहीं किया होगा। हमें युद्ध की पृष्टभूमि को समझना होगा। उन्होंने अपने लिए कुछ खाया, यह ठीक ही है।  

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12 April 2022, 17:37