एक दिन तहखाना येसु की कब्र की तरह खाली हो जाएगा, चेर्निहाइव के पुरोहित
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
चेर्निहाइव, सोमवार 11 अप्रैल 2022 (रेई) : यूक्रेनी ग्रीक-काथलिक युवा पुरोहित फादर रोमन ह्रीडकोवेट्स चेर्निहाइव के निवासियों को अकसर यह बात कहा करते हैं कि पास्का रविवार की सुबह, येसु के चेले उस कब्र पर गए जहाँ उसका शरीर रखा गया था और उसे खाली पाया। इसी तरह, यूक्रेन के शहरों के कालकोठरी और हवाई हमले के आश्रय एक दिन खाली हो जाएंगे, क्योंकि मसीह उठे हैं और हमारे लिए पुनरुत्थान भी होगा। फादर रोमन ह्रीडकोवेट्स का पुरोहिताभिषेक पिछले साल दिसंबर में हुआ और वे चेर्निहाइव में अपनी प्रेरितिक सेवा के लिए भेजे गये जहां वे युद्ध द्वारा लाए गए खतरों के बावजूद बने रहे। यह कोई संयोग नहीं है कि फादर रोमन ने आश्रयों के बारे में बात की थी: रूसी आक्रमण की शुरुआत से उन्होंने फैसला किया कि उनका मिशन जहां लोग थे - बेसमेंट में रहना है - और उन्हें सांत्वना और आशा का एक शब्द देना है।
वह तहखाना जो प्रथम पल्ली बन जाता है
फादर रोमन कीव से हैं, जहां उन्होंने सेमिनरी में पढ़ाई की और फिर रोम में मिशन शास्त्र की पढ़ाई पूरी की। वह पिछले साल दिसंबर में एक पुरोहित बने और उसे एक नया ग्रीक-काथलिक समुदाय पल्ली की स्थापना के लिए चेर्निहाइव भेजा गया। वे मुस्कुराते हुए कहते हैं,"पल्ली केवल कागज पर मौजूद है, - अभी भी कुछ नहीं है: कोई लोग नहीं, कोई गिरजाघर नहीं, इसे बनाने के लिए कोई जमीन नहीं: मुझे फिर से शुरू करना पड़ा। हालाँकि उनके पास एक पल्ली नहीं था, फिर भी युवा पुरोहित ने युद्ध शुरू होने पर चेर्निहाइव में रहने का फैसला किया। "लोग तहखाने में छिपने लगे और मुझे लगा कि मेरा मिशन उनके साथ रहना है, - फादर रोमन कहते हैं, “पहली रात, 24 से 25 फरवरी तक, मैं एक बड़े तहखाने में गया, जहां बहत सारे लोग थे। मैंने अपना कैसक पहन लिया, बाइबिल ली और उनके साथ वहीं खड़ा हो गया, मौन में प्रार्थना कर रहा था। मुझे अभी भी नहीं पता था कि वास्तव में मुझे क्या करना है, लेकिन फिर मैंने लोगों को जानना और उन्हें एक साथ प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित करना शुरू कर दिया। चूंकि अधिकांश लोग गिरजा नहीं जाते थे, इसलिए मैंने एक निवेदन (उदाहरण के लिए, शांति के लिए) और एक संक्षिप्त आह्वान "ईश्वर हमें बचाओ!" का प्रस्ताव रखा। और दस बार इसे दोहराने के लए कहा। उस तहखाने में कई बच्चे भी थे। हर शाम, सोने से पहले, हंसमुख आँखों वाले युवा पुरोहित उन्हें अपने पास इकट्ठा करते और उन्हें एक कहानी सुनाते थे।
तहखाने में एक प्रार्थनालय
चेर्निहाइव, इसी नाम के क्षेत्र की राजधानी, यूक्रेन के उत्तर में स्थित है और बेलारूस और रूसी संघ की सीमाएँ हैं और इसलिए युद्ध की शुरुआत के पहले दिन से ही यहाँ इसे महसूस किया गया है। शहर रूसी सेना से घिरा हुआ था, जिसने मिसाइलें दागीं, प्रशासनिक और आवासीय भवनों, स्कूलों और अस्पतालों को निशाना बनाया, नागरिकों की हत्या की। ऐसे दिन थे जब शहर में मानवीय स्थिति बहुत गंभीर थी, खासकर 25 मार्च के बाद जब रूसी सैनिकों ने देसना नदी पर पुल को नष्ट कर दिया, इस प्रकार मानवीय सहायता के आगमन को रोक दिया। 5 अप्रैल को, रूसी सेना चेर्निहाइव क्षेत्र से हट गई।
इस समय, जैसा कि फादर रोमन हमें बताते हैं, तहखानों में शायद ही कोई हो। केवल वही लोग बचे हैं जिनके घर बमबारी से तबाह हो गए थे। फादर रोमन ने कहा, "इन तहखानों में से एक, उन बच्चों और परिवारों के लिए एक मिलन स्थान बन गया है, जहाँ हम बम विस्फोटों से बचने के लिए छिपे हुए थे। अब वे हर रात मेरी कहानियाँ सुनने आते हैं। यह लगभग एक परंपरा बन गई है।"
आत्मा को स्वस्थ करने की प्रार्थना
फादर रोमन उस कठिन समय को भी याद करते हैं जब उन्होंने उन लोगों को अपना समर्थन देने की कोशिश की, जिन्होंने इतनी पीड़ा झेली थी और क्रूरता, हिंसा एवं अन्याय ने तबाह कर दिया था। वे कहते हैं, "स्वाभाविक है कि क्रोध आता है, इसलिए मैं उसके पास था, मैंने उन्हें बात करने दिया और फिर मैंने उन्हें ईश्वर से प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित किया कि वे हमारा समर्थन करें और हमें दुश्मन के हमले से खुद को मुक्त करने में मदद करें।"
ईश्वर के प्रेम के साक्षी बनें
फादर रोमन ह्रीडकोवेट्स कहते हैं, "मसीह ने हमारी आत्माओं को बचाया और कलीसिया को शांति के समय और युद्ध के समय दोनों में उसकी गवाही देनी चाहिए।" अन्याय, बुराई और पीड़ा तब तक मौजूद रहेगी जब तक कि मसीह का दूसरा आगमन नहीं हो जाता और ख्रीस्तियों का मिशन ईश्वर के प्रेम की गवाही देना है, लेकिन यह प्रेम कुछ अमूर्त नहीं है, बल्कि इसमें अपनी मातृभूमि और अस्तित्व के लिए प्रेम भी शामिल है। जरूरत पड़ने पर इसका बचाव करने के लिए तैयार है। "लेकिन सबसे बढ़कर, हमें उस व्यक्ति को यह समझने में मदद करनी चाहिए कि कोई है जिसने उसकी आत्मा को बचाया है और जब उसका शरीर मर जाता है, तब भी आत्मा अमर है।"
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