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72 वर्षीय पूर्व प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति जोस रामोस-होर्टा (बीच में) नये राष्टपति बने 72 वर्षीय पूर्व प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति जोस रामोस-होर्टा (बीच में) नये राष्टपति बने 

परमधर्मपीठ ने चुनाव के बाद तिमोर लेस्ते के साथ संबंधों की पुष्टि की

तिमोर-लेस्ते में प्रेरितिक राजदूतावास के प्रभारी मोन्सिन्योर मार्को स्प्रीज़ी को उम्मीद है कि नए राष्ट्रपति के अधीन में देश आम भलाई के लिए परमधर्मपीठ के साथ आपसी संबंध को बनाए रखेगा।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

दिली, बुधवार 13 अप्रैल 2022 (वाटिकन न्यूज) : तिमोर-लेस्ते या पूर्वी तिमोर के लिए परमधर्मपीठ के मिशन ने शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक राष्ट्रपति चुनाव कराने के लिए काथलिक-बहुमत वाले देश की सराहना की है। उनकी उम्मीद है कि परमधर्मपीठ और दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र के बीच अच्छे संबंध बढ़ते रहेंगे।

जनहित

राजधानी दिली में प्रेरितिक राजदूतावास के प्रभारी मोनसिन्योर मार्को स्प्रीज़ी ने 19 अप्रैल के चुनाव पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि यह "एक बहुत ही लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न किया गया था।"

"हमें उम्मीद है कि भविष्य में और आने वाले महीनों में तिमोर-लेस्ते में राजनीतिक जीवन और सार्वजनिक संस्थान लोगों की सेवा के लिए कुशलता से काम करना जारी रखेंगे।" उन्होंने 25 अप्रैल को मंत्रिपरिषद के अध्यक्ष फिदेलिस मानुएल लेइट मैगलहेस के साथ बातचीत के बाद दिली में संवाददाताओं से कहा।

चुनाव

निवर्तमान राष्ट्रपति फ्रांसिस्को गुटेरेस ने 19 मार्च के राष्ट्रपति चुनाव में दूसरा कार्यकाल मांगा। जैसा कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों में से किसी को भी कम से कम 50% वोट नहीं मिले, 19 अप्रैल 2022 को शीर्ष दो उम्मीदवारों, गुटेरेस और 72 वर्षीय पूर्व प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति जोस रामोस-होर्टा के बीच चुनाव आयोजित किया गया था।

रामोस-होर्ता ने 62.1 प्रतिशत मतों के साथ जीत हासिल की। गुटेरेस ने 22 अप्रैल को अपनी हार स्वीकार करते हुए एक बयान जारी किया, जिसका कई लोगों ने लोकतांत्रिक इशारे के रूप में स्वागत किया।

निर्दलीय नेता रामोस-होर्टा, जिन्होंने "पूर्वी तिमोर में संघर्ष के न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में" काम करने के लिए तिमोर-लेस्ते के सलेसियन धर्माध्यक्ष ज़िमेनेस बेलो के साथ 1996 नोबल शांति पुरस्कार साझा किया, 2007 से 2012 तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया, और उससे पहले प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री के पद पर भी अपनी सेवा दी थी। वे 20 मई को तिमोर-लेस्ते की स्वतंत्रता की 20वीं वर्षगांठ पर पद की शपथ लेंगे।

एशिया का काथलिक राष्ट्र

अपनी 13 लाख आबादी में से 98 प्रतिशत से अधिक काथलिक धर्म को मानने वाले हैं। तिमोर-लेस्ते फिलीपींस के बाद एशिया का सबसे अधिक आबादी वाला काथलिक राष्ट्र है। संत पापा जॉन पॉल द्वितीय अक्टूबर 1989 में तिमोर-लेस्ते की यात्रा करने वाले पहले परमाध्यक्ष बने, देश तब भी इंडोनेशियाई नियंत्रण में था।

परमधर्मपीठ और तिमोर-लेस्ते के बीच संबंध

परमधर्मपीठ को लंबे समय से तिमोर-लेस्ते के सबसे करीबी राजनयिक भागीदारों में से एक माना जाता है। 2015 में एक समझौते पर हस्ताक्षर करके उनके रिश्ते को मजबूत किया गया, जब वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन ने देश में काथलिक कलीसिया के 500 साल पूरे होने के अवसर पर देश का दौरा किया था।

समझौता विशिष्ट क्षेत्रों को परिभाषित करता है जिसमें कलीसिया देश के लोगों की स्वतंत्र और खुले तौर पर सेवा कर सकता है, जिसमें जेलों, अस्पतालों, क्लीनिकों और अनाथालयों में आध्यात्मिक सहायता प्रदान करना, उदार कार्य करना और हर स्तर पर स्कूल स्थापित करना शामिल है।

मोनसिन्योर स्प्रीज़ी ने जोर देकर कहा कि तिमोर-लेस्ते और परमधर्मपीठ राष्ट्र की भलाई के लिए मजबूत राजनयिक संबंध बनाए रखेंगे।

राष्ट्र के 5वें चुनाव में पूर्वी तिमोर के धर्माध्यक्षों के रुख को दोहराते हुए, वाटिकन राजनयिक ने जोर देकर कहा कि परमधर्मपीठ ने कभी किसी विशेष उम्मीदवार का पक्ष नहीं लिया। दोनों उम्मीदवार काथलिक थे और हम उन दोनों के लिए अपनी बहुत प्रशंसा व्यक्त करते हैं। परमधर्मपीठ हमेशा बेहतर विकास के लिए तिमोर-लेस्ते की सरकार का समर्थन करता है। उन्होंने जोर देकर कहा, "हमारा एकमात्र हित लोगों की आम भलाई के लिए है।”

 

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27 April 2022, 16:07