कीव में युवा नर्स ˸ 'मेरा कर्तव्य है कि मैं रूकूँ और मदद करती करती रहूँ'
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
यूक्रेन, बृहस्पतिवार, 23 मार्च 2022 (रेई)˸ आजकल, यूक्रेन में, कटिया के पास जो कौशल है, वह पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। बाल चिकित्सा गहन देखभाल इकाइयों में एक अंतिम वर्ष की मेडिकल छात्रा के रूप में, और एनेस्थिसियोलॉजी में तीन साल के अनुभव के साथ, उसे लगता है कि कीव में रहना, उसका कर्तव्य है, भले ही रूसी बम उसके चारों ओर गिरते रहें।
दूसरों के लिए और एक-दूसरे के लिए
"कीव में हर घंटे अस्पताल बदल सकते हैं क्योंकि कर्मचारी लगातार घायल पुरूषों, महिलाओं और बच्चों को इलाज के लिए भर्ती कर रहे हैं।"
वाटिकन रेडियो से बातें करते हुए कटिया ने कहा, "यही मुख्य कारण है जिसके लिए मैंने रूक जाने का निर्णय लिया है।" दूसरा कारण है कि वे संत एजिदियो समुदाय के युवा शांति आंदोलन के स्वयं सेवक के रूप में कार्य करते हैं।
कटिया बताती हैं कि कैसे उन्होंने युद्ध शुरू होने से पहले ही, अपने शहर के बुजुर्गों को भोजन और पानी पहुंचाकर उनकी मदद की।
"अब इनमें से कई कीव छोड़कर जाना नहीं चाहते और यद्यपि वे सभी साहसी हैं वे डरे हुए हैं। वह बताती हैं कि कई लोग गगनचुंबी इमारतों की ऊंची मंजिलों पर रहते हैं, और दिन में दस बार भी बम सायरन बजने के कारण, वे उन्हें बम आश्रयों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं।"
वे कहती हैं कि" वे मेरे रूकने के निर्णय का पूरा समर्थन करते हैं। मैं सिर्फ इसलिए यहाँ हूँ क्योंकि वे यहाँ हैं।"
कटिया इसलिए भी सौभाग्यशाली हैं क्योंकि उसके परिवारवालों का समर्थन है, इतना अधिक कि वे भी कीव में रह रहे हैं ताकि वे सभी एक साथ रह सकें।
"स्थिति खराब होती जा रही है और सबसे बड़ा खतरा है बम एवं रॉकेट जिसने नागरिकों के 70 इमारतों को ध्वस्त कर दिया है जिसमें किंडरगार्डन अस्पताल भी शामिल है। हम डरे हुए हैं किन्तु हमारे ईश्वर एवं हमारे सैनिकों के द्वारा सुरक्षा महसूस कर रहे हैं।" जब से युद्ध शुरू हुआ है बहुत कुछ बदल गया है।
कटिया ने कहा, "मेरे लिए शांति शब्द बहुत बदल चुका है। इसे आप तब बेहतर समझ सकते हैं जब युद्ध शुरू हो जाए।" किन्तु काटिया के लिए केवल "शांति" शब्द नहीं है जिसका अर्थ पूरी तरह बदल गया है बल्कि उसी तरह "शरणार्थी" शब्द भी है।
कटिया ने शांति के लिए युवा आंदोलन के साथ अपने काम की सबसे हालिया प्रयासों में से एक के बारे बतलाते हुए कहा कि इस साल उन्होंने शरणार्थी बच्चों, खासकर, अफगानिस्तान के बच्चों को अपने स्कूलों में आमंत्रित करना शुरू किया। यहाँ वे यूक्रेनी भाषा सीखते एवं स्थानीय बच्चों के साथ मित्रता बढ़ाते हैं। उन्होंने कहा, "युद्ध से कुछ महीने पहले हम बहुत डरे हुए थे, इसकी संभवना से हम अत्यन्त भयभीत थे, हवा में तनाव और युद्ध का खतरा मंडरा रहा था।"
तभी शरणार्थी का अर्थ बदलने लगता है...क्योंकि तब आप "शरणार्थियों" के प्रति सहानुभूति रखने लगते हैं, "आप समझने लगते है कि आप भी उनमें से एक हो सकते हैं।"
आभार
अंततः कटिया ने बहुमूल्य अंतरराष्ट्रीय समर्थन के लिए अपना आभार प्रकट किया।
उन्होंने कहा, " युद्ध के पहले दिन से ही, मेरा सबसे बड़ा डर है परित्यक्त हो जाने का, और कि हम अकेले हो जायेंगे किन्तु शब्दों और कार्यों दोनों से हम जानते हैं कि हम अकेले नहीं हैं, इसके लिए आप सभी को बहुत-बहुत शुक्रिया।"
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