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यूक्रेन में सैनिक चैपलिन फादर अंद्रेय जेलेंस्की एस.जे यूक्रेन में सैनिक चैपलिन फादर अंद्रेय जेलेंस्की एस.जे 

यूक्रेन, मेकोलाईव के पुरोहित ˸ ख्रीस्त का साक्ष्य एवं आशा प्रदान कर रहे हैं

ओदेसा के ग्रीक काथलिक समुदाय के पल्ली पुरोहित फादर तरास पौलुस ने बतलाया कि वे किस तरह युद्ध के बीच लोगों को ख्रीस्त का साक्ष्य एवं आशा प्रदान कर रहे हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

यूक्रेन, बृहस्पतिवार, 31 मार्च 22 (रेई) ˸ उन्होंने यूक्रेन के सैनिकों के चेकपोंइट को पार करते देखा के सैनिक अनजान लोगों से  कितना अधिक डरे हुए थे कि वे कहीं उनपर बम न बरसा दें, उन्हें न मार डालें अथवा हमला न कर दें। उन्होंने फादर से आशीष मांगी और फादर ने उन्हें आशीष दी एवं उनका आलिंगन कर उन्हें ढाढ़स प्रदान किया।    

पादर तरास ने कहा, "करीब 18 सालों से मैं यूक्रेन के दक्षिणी इलाके में अपनी पुरोहिताई की सेवा दे रहा हूँ। इन वर्षों में मैं काफी लोगों से परिचित हो चुका हूँ, यहाँ रहनेवाला हर व्यक्ति मेरे लिए महत्वपूर्ण है। मैं जानता हूँ कि आज वे छोड़ दिये गये हैं एवं उन्हें मदद की जरूरत है। जब मैं उनसे मिलता हूँ तो उनका आलिंगन करता एवं उन्हें आशीष देता हूँ, मैं उन्हें अपनी मुस्कान देता हूँ...यदि मैं ऐसा न करूँ तो कौन करेगा? यही मेरा मिशन है।"

फादर तरास इस युद्ध के समय में पुष्ट करना चाहते हैं कि एक पुरोहित के रूप में उन्हें येसु का साक्ष्य देना है एवं लोगों को आशा, स्नेह एवं मदद प्रदान करना है। वे स्वीकार करते हैं कि यह आसान नहीं है। रात को अक्सर उन्हें दुहस्वाप्न आते हैं जिसको वे दिन में देखे होते हैं, कई बार वे पसीना के साथ जाग जाते हैं। किन्तु कहते हैं "कि यह मुझे उनकी मदद करने से नहीं रोक सकता।"  

जरूरतमंदों को मानवीय सहायता प्रदान करना

कई काथलिक पुरोहित, बिजेनटाईन और लातीनी रीति दोनों, रूसी आक्रमण के शुरू से ही अपने समुदायों की न केवल आध्यात्मिक चिंता कर रहे हैं बल्कि देश के बम प्रभावित इलाकों में लोगों को आवश्यक मानवीय सहायता प्रदान कर रहे हैं।

मेकोलाईव के ग्रीक काथलिक कलीसियाई समुदाय में जरूरतमंद लोगों के लिए विदेशी मदद पाने हेतु एक केंद्र की स्थापना की गई है जिसकी देखभाल फादर तरास करते हैं। अधिकांश पल्लीवासियों ने शहर छोड़ दिया है और करीब दस परिवार बचे हुए हैं। यद्यपि वे कम हैं किन्तु लगभग सभी लोग ट्रकों से सामग्रियों को नीचे उतारने में मदद करने आते हैं।

फादर तरास ने कहा, "इन सारी चीजों को मैंने निकट के गाँव में लेकर रखा है जहाँ करीब 30 बुजूर्ग, बच्चों सहित परिवार और विकलांग रहते हैं। उन्हें ब्रेड, आंटा, पास्ता, मांस, मछली, तेल, दही, चीस आदि प्रदान किया जाता है जो करीब एक सप्ताह तक रह सकता है, क्योंकि दुकान खुले नहीं हैं, सब कुछ ध्वस्त हो चुका है, कोई भी भोजन नहीं देता क्योंकि गाँव सैन्य कारर्वाई के अंतर्गत आता है। दिन के समय बम धमाके होते रहते हैं। लोग डर में जी रहे हैं, यहाँ तीन सप्ताह से बिजली नहीं है और गैस कभी-कभी आता है। सब कुछ डरावना है इसलिए हमारी पल्लियों में मदद की जरूरत है।" बहुत अधिक विनाश एवं पीड़ा के बीच, उदारता का हर कार्य स्पष्ट दिखाई पड़ता है उदाहरण के लिए मेकोलाइव के रोमन काथलिक समुदाय के पल्ली पुरोहित फादर ऑलेक्ज़ेंडर द्वारा  फादर तरास को घर प्रदान किया जाना, क्योंकि उसका घर ध्वस्त हो गया था।  

एक पुरोहित का मिशन

जरूरतमंद लोगों की मदद करने के साथ-साथ फादर पौलुस यूक्रेन के सैनिकों की आध्यात्मिक देखभाल करते हैं। वे पहले उनके चैपलिन थे लेकिन युद्ध शुरू होने के  बाद उनका मिशन बदल गया है। "युद्ध के समय में पुरोहित, सेना के लिए एक माध्यम बन जाता है जो सुरक्षा के रूप में ईश्वर की उपस्थिति के साथ उनके बगल में होता। यह एक ऐसा समय है जब वे पुरोहित से आशीष प्राप्त करना चाहते हैं। हाल ही में, हमारी पुलिस के एक चेकपोइंट से पार करते हुए, मैंने उनमें अनजान लोगों के प्रति बहुत अधिक भय देखा, वे नहीं जानते कि उनपर बम बरसाया जाएगा, उन्हें मारा जाएगा अथवा उनपर हमला किया जाएगा।" उन्होंने फादर से आशीष का आग्रह किया, फादर ने उन्हें आशीष दी। हरेक सैनिक को आशीष देते हुए गले लगाया...इस प्रकार उनके बगल में एक पुरोहित की उपस्थिति उन्हें थोड़ी राहत एवं आत्मा की खुशी प्रदान की।  

फादर तरास करीब 800 सैनिकों की मदद करते हैं। उनकी प्रेरिताई है सैनिकों से मुलाकात करना, किन्तु पूरा समय उनके साथ नहीं रहना। उन्होंने कहा, "मैं बार-बार उनसे मिलता हूँ, वे मुझे जानते हैं यद्यपि वे बारी के अनुसार लगातार बदलते रहते हैं। फिर भी वे जानते हैं कि पुरोहित आया है। मैं पुरोहित का परिधान धारण नहीं करता केवल श्वेत कॉलर लगाता हूँ। सामान्य तौर पर जब मैं पहुँचता हूँ तो एक साथ प्रार्थना करने का समय नहीं रहता, मैं अकेला ही उनके लिए प्रार्थना करता हूँ। मैं उन चीजों को लेकर आता हूँ जिनको वे अच्छी तरह खाना जानते हैं। उन्हें आशीष देता, बाईबिल से परिस्थिति के अनुकूल पाठ सुनाता, कुछ कहानियाँ बतलाता और उनका मन हल्का करने के लिए मजाक भी करता हूँ क्योंकि वे सभी खाइयों और आश्रयों में रहते हैं ... उनकी चाह है कि वे जाकर हमला करें, बचायें, जीतें और कह सकते हैं कि शत्रुओं से बदला भी लेना चाहते हैं। किन्तु हम पुरोहित समझते हैं कि बदला लेने का परिणाम अधिक बुरा होगा तथा हम उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं कि उन्हें अपने शत्रुओं को प्यार करने सीखना है, साथ ही, उनका बहिष्कार करते हुए अपनी भूमि की रक्षा भी करना है।  

घटना दिल में रह जाती है

पुरोहित कई कहानियाँ बतला सकते हैं किन्तु उन्होंने दो घटनाएँ बतलायीं। पहली घटना उस समय की है जब वे सैनिकों के साथ थे, उन्होंने एक सैनिक को फादर (पुरोहित) पुकारे जाते सुना। फादर तरास उत्सुक थे और उस सैनिक के पास पहुंचे। उसने उसे बताया कि पहले वह भी एक प्रोटेस्टेंट पादरी था, लेकिन अब नहीं है। "मैंने अपने हाथ में बंदुक लिया क्योंकि अब ज्यादा दुःख बर्दस्त नही कर सकता", इसलिए उनका पोशाक ले लिया गया है किन्तु सैनिक अब भी उन्हें "फादर" ही पुकारते हैं।

फादर तरास ने यह भी याद किया कि हर सैनिक की तरह एक युवा सैनिक उनके पास आया और उनसे आशीष की याचना की। उसने बतलाया कि युद्ध से पहले वह प्रार्थना करने के लिए गिरजा जाता था किन्तु अब नहीं जा सकता। सैनिक ने अपनी माता और अपने भाइयों तथा साहस पाने के लिए प्रार्थना करने को कहा। युवा सैनिक ने कहा, "जब बमों की तेज आवाज आती है तो अलग विचार आते हैं...और निश्चय ही डर लगता है। मेरे लिए प्रार्थना कीजिए कि मुझे अधिक साहस और शक्ति मिले।" फादर तरास ने कहा कि यह मेरे लिए एवं इन लोगों के लिए ईश्वर के प्रेम का एक महान साक्ष्य है। वे स्वयं अपनी दुर्बलता स्वीकार करते एवं मजबूत होना चाहते हैं।   

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31 March 2022, 17:00