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दो भारतीय मदर तेरेसा धर्मबहनों ने यूक्रेन में रहने का लिया संकल्प

उत्तर-पूर्वी भारत के मिजोरम राज्य से ताल्लुक रखने वाली दो मिशनरीज ऑफ चैरिटी धर्मबहनों का कहना है कि उन्होंने खतरे के बावजूद यूक्रेन के पीड़ित लोगों की सेवा जारी रखने का फैसला किया है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

कीव, सोमवार 07 मार्च 2022 (वाटिकन न्यूज) : कोलकाता की मदर तेरेसा के धर्मसमाज  मिशनरीज ऑफ चैरिटी (एमसी) की दो भारतीय धर्मबहनों ने 24 फरवरी से शुरू हुए रूस द्वारा सैन्य आक्रमण के बीच लोगों की सेवा करने के लिए यूक्रेन में रहने का फैसला किया है।

पूर्वोत्तर भारत के मिजोरम राज्य के मूल निवासी, सिस्टर रोसेला नुथांगी और सिस्टर आन फ्रिडा ने घायलों और युद्ध से भागने वालों की सेवा के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हुए यूक्रेन में ही रहने का फैसला किया है,

कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की सुपीरियर जनरल, सिस्टर प्रेमा ने 2 मार्च को दोनों धर्मबहनों से संपर्क किया, और उन्हें सड़क मार्ग से सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए कहा। लेकिन दोनों ने वहीं रहना पसंद किया जहां वे लोगों की हर संभव मदद करने कर रही हैं। बड़े खतरे के बावजूद धर्मबहनों ने अपने परिजनों को अपनी सुरक्षा की जानकारी दी।

मिजो मिशनरीज ऑफ चारिटी

मिजोरम का नाम इस क्षेत्र के मिजो मूल निवासियों के नाम पर पड़ा है जो मिजो भाषा को अपनी मुख्य बोली के रूप में बोलते हैं। मिजोरम की अनुमानित आबादी एक मिलियन से कुछ अधिक है, लगभग 87 प्रतिशत ईसाई है, जिसमें मुख्य रूप से प्रोटेस्टेंट और कई अन्य ईसाई समूह शामिल हैं।

सिस्टर रोसेला नुथांगी दूसरी मिज़ो एमसी बहन है। उन्होंने 1984 में अपना पहला मन्नत लिया और उन्हें एक मिशनरी के रूप में पूर्व सोवियत संघ (यूएसएसआर) भेजा गया। उसने 10 साल तक मास्को में काम किया।

रूसी भाषा में महारत हासिल करने के बाद, उन्होंने लातविया और एस्टोनिया में भी काम किया। सिस्टर रोसेला 2017 में यूक्रेन चली गईं और वहीं अब तक अपनी सेवा दे रही हैं।

सिस्टर आन फ्रीडा मिजोरम की राजधानी आइजोल की रहने वाली हैं। उन्होंने 1998 में अपना पहला मन्नत लिया। कुछ वर्षों तक भारत में काम करने के बाद, उन्हें यूक्रेन की राजधानी कीव भेज दिया गया और वे पिछले 10 वर्षों से वहां अपनी सेवा दे रही हैं।

मिशनरी भावना का आदर्श

उत्तर-पूर्बी क्षेत्रीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (एनईआरबीसी) के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष जॉन मूलचिरा ने दो मिशनरियों की प्रशंसा करते हुए कहा, "मुझे उन पर गर्व है।" "मुझे आश्चर्य नहीं है कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी की दो धर्मबहनें जो युद्ध से तबाह यूक्रेन में काम कर रही हैं, अपने जीवन के लिए बड़े खतरे और अपने सभी नागरिकों को निकालने के लिए भारत सरकार की इच्छा के बावजूद वे देश नहीं छोड़ रही हैं।"

उन्होंने कहा कि ये दो धर्मबहनें कलीसिया के वास्तविक अर्थ का एक छोटा सा उदाहरण हैं, प्रत्येक समर्पित व्यक्ति अपने साथी पुरुषों और महिलाओं के जीवन और आराम की परवाह करता है, न कि अपने स्वयं के। उस स्थान को छोड़ना, वे इसे कायरता और अपने नेक आह्वान को अशोभनीय मानते हैं जब उनकी देखभाल के तहत लोगों को उनकी मदद, प्रार्थना और समर्थन की सबसे अधिक आवश्यकता है।"

मिजोरम के एक सलेसियन फादर रॉबर्ट फॉस्टिन ने कहा कि इन दोनों मिजो धर्मबहनों के रिश्तेदार पिछले कुछ दिनों से लगातार उनके संपर्क में हैं। फादर फॉस्टिन ने कहा, "हम इन दो साहसी धर्मबहनों की सुरक्षा की उम्मीद करते हैं और हम प्रार्थना करते हैं कि यूक्रेन, रूस और बाकी दुनिया में शांति और सामान्य स्थिति बहाल हो।"

तीसरे देश के नागरिकों के खिलाफ भेदभाव

बीबीसी के अनुसार, यूक्रेन में पढ़ने वाले लगभग 76,000 विदेशी छात्र, अकेले भारतीयों की संख्या 20,000 से अधिक है। अन्य अफ्रीका से हैं, जिनमें सबसे बड़ी संख्या नाइजीरिया, मोरक्को और मिस्र के छात्रों की है। वे हजारों यूक्रेनियन और तीसरे देश के नागरिकों में से हैं, जो मुख्य रूप से यूक्रेन के पश्चिम में पोलैंड जाने के लिए पांव मार रहे हैं, जहां से वे अपने देश वापस जा सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्र ने गैर-यूरोपीय लोगों द्वारा यूक्रेन से भागने और सीमाओं को पार करने की कोशिश में सामना किए जाने वाले भेदभाव और नस्लवाद के कथित मामलों की कड़ी निंदा की है।

 

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07 March 2022, 15:23