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27 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के विरोध में प्रदर्शनकारी बर्लिन, जर्मनी में एकत्रित हुए 27 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के विरोध में प्रदर्शनकारी बर्लिन, जर्मनी में एकत्रित हुए 

यूक्रेन ˸ हम शांति चाहते हैं

रूसी आक्रमण यूक्रेन के लिए दर्द एवं तबाही का कहर भरपा रहा है और इसके बढ़ने का भय बना हुआ है। सीरिया, यमन, इथोपिया और अन्य जगहों पर दूसरे युद्धों के शिकार लोग पहले से हो रहे हैं। दुखद बात ये है कि असुरक्षित लोगों को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है, खासकर, बच्चों को, जबकि सामान्य लोग शांति की चाह रखते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

आज हम हमेशा से कहीं अधिक नबी इसायस के भविष्यवाणी का सपना देख रहे हैं ˸ "वह राष्ट्रों के बीच न्याय करेगा और देशों के आपसी झगड़े मिटायेगा। वे अपनी तलवार पीट-पीटकर फाल और अपने भाल को हँसिया बनायेंगे।"(इसा. 2,4)

वाटिकन न्यूज के उप-संपादक सेरजो चेंतोफनी ने रूसी हमले पर टिप्पणी करते हुए कहा, "लम्बे समय से, यहाँ यूरोप में हमने शांति को हल्के में लिया है। युद्ध दूसरों का मामला था, दूर के लोगों का, हम उन युद्धों को भूल से गये थे, शरणार्थियों के रूदन और उनके लिए नई आशा की खोज में संलग्न थे, शायद उन लोगों की पीड़ाओं के लिए असंवेदनशील हो चुके थे। वे युद्ध अब भी जारी हैं ˸ सीरिया, यमन, इथोपिया और अन्य जगहों में। लोग अब भी भाग रहे हैं, वे बस जीने की कोशिश कर रहे हैं।"  

हमले की शुरूआत की याद करते हुए कहा, "कभी-कभी जीवन अचानक बदल जाता है। रूसी आक्रमण की पूर्व संध्या, यूक्रेनी शहरों के सड़कों एवं रेस्टोरेन्टों में भीड़ थी। लोगों ने सीमा पर मास्को सैनिकों की भीड़ के बारे चिंता नहीं करने की कोशिश की। किसी ने कल्पना नहीं की कि नाटक कुछ ही घंटों में शुरू हो जायेगा। शाम को वातावरण शांत था और रात में युद्ध शुरू हो गया। शाम तक प्रेमी के हाथ में प्रेमिका का हाथ था, जबकि दूसरे दिन राइफल आ गया। युद्ध शुरू हो रहा था और एक नवदम्पति ने शादी के पवित्र बंधन को अपनाया तथा अपने देश की रक्षा के लिए समर्पित हो गये। कई बच्चे देश से बाहर लिये गये और कई अब भी बम के नीचे हैं। यह निर्दोष लोगों का एक नया नरसंहार है।"  

हम शांति के आदी हो गये हैं। हम हर दिन कई चीजों की शिकायत करते हैं। लेकिन जब युद्ध अचानक शुरू हो जाता है तो पता चलता है कि क्या महत्वपूर्ण है। महत्वपूर्ण है शांति। एक स्तोत्र हमें इसकी याद दिलाता है ˸ "हमारी चारदीवारी में न तो कोई दरार है, न युद्द का कोई उपक्रम और न हमारे चौकों पर कोई गोहार। सौभाग्यशाली है वह प्रजा जो इस तरह समृद्ध है।"(स्तोत्र 144) अब यूरोप में संघर्ष चल रहा है और हम डरे हुए हैं, शायद यह दूर तक पहुँच सकता है। यूक्रेनवासियों के लिए यह उनकी ही मातृभूमि में हो रहा है, जहाँ कोई उसे छीन लेना चाहता है। यूरोप के अन्य लोगों के लिए यह निकट है। परमाणु युद्ध का दुःस्वाप्न आ रहा है। एक मिसाइल परमाणु ऊर्जा संयंत्र को मार सकती है। इन सारी चिंताओं के बीच, एकात्मता के बहुत अधिक उदाहरण दिखाई पड़ रहे हैं, उन लोगों के प्रति जिनपर हमले हो रहे हैं। आज के प्रातःवंदना का पाठ कहता है ˸ "पददलितों को सहायता दो।" (इसा.1,17) हम मदद करने के लिए क्या करें?

हम शांति चाहते हैं! हम इस समय के शक्तिशालियों के युद्ध नहीं चाहते जो दूसरों के खून पर अपनी शक्ति का विस्तार करना चाहते हैं ˸ यहाँ तक कि खुद अपने बच्चे जो प्रयोग किये जा रहे हैं, धोखे दिये जा रहे हैं तथा मारने एवं मर जाने के लिए भेजे जा रहे हैं। हम इस पागलपन को किस तरह रोक सकते हैं? कुछ लोग प्रतिबंधों का सहारा ले रहे हैं, कुछ लोग हथियारों का और कुछ कूटनीतिक रास्ता अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। आम लोग क्या कर सकते हैं? मदद कर सकते हैं, यूक्रेन के लोगों के प्रति एकात्मता व्यक्त कर सकते हैं और शांति हेतु प्रार्थना कर सकते हैं।

आज हम कहीं अधिक एक अन्य भविष्यवाणी का सपना देख रहे हैं, जब शत्रु एक साथ शांति से रहेंगे। "तब भेड़िया मेमने के साथ रहेगा, चीता बकरी के बगल में लेट जायेगा, बछड़ा तथा सिंह शावक साथ-साथ चरेंगे और बालक उन्हें हांक कर ले जायेगा।"(इसा.11,6) प्रभु हमें शांति प्रदान कर।

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05 March 2022, 14:15