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संत पापा फ्राँसिस माता मरिया के निष्कलंक हृदय के सामने समर्पण प्रार्थना करते हुए संत पापा फ्राँसिस माता मरिया के निष्कलंक हृदय के सामने समर्पण प्रार्थना करते हुए 

यूक्रेन और रूस के समर्पण प्रार्थना में भारतीय हुए शामिल

शुक्रवार को दुनिया भर के काथलिकों और भारत के काथलिक धर्माध्यक्षों, पुरोहितों और विश्वासियों ने संत पापा फ्राँसिस के साथ आध्यात्मिक रूप से एकजुट होकर मानवता, विशेष रूप से यूक्रेन और रूस को माता मरियम के निष्कलंक हृदय को समर्पित किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 28 मार्च 2022 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने इस वर्ष चालीसा काल के दौरान विश्व में शांति के लिए शक्तिशाली हथियार प्रार्थना का उपयोग करने हेतु और 13 जुलाई 1917 को फातिमा में दिव्यदर्शन में कहे गये धन्य कुँवारी मरियम के आग्रह का जवाब देने के लिए, शुक्रवार 25 मार्च को चुना।

चालीसा काल के पुर्नमिलन पापस्वीकार धर्मविधि में संत पापा ने अपने प्रवचन में मानवता को ईश्वर की क्षमा की आवश्यकता और माता मरियम के पवित्र हृदय को समर्पण के महत्व पर चिंतन किया। संत पापा ने कहा, "यह कोई जादू का फार्मूला नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक कार्य है।" "यह उन बच्चों की ओर से पूर्ण विश्वास का कार्य है, जो इस क्रूर और संवेदनहीन युद्ध के क्लेश के बीच, जो हमारी दुनिया के लिए खतरा है, अपनी माँ की ओर मुड़ते हैं।"

उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि "इस भयंकर युद्ध ने इतने सारे लोगों को प्रभावित किया है और सभी को कष्ट पहुँचाया है, हम में से प्रत्येक को भयभीत और चिंतित कर दिया है।" हमें ईश्वर की निकटता और उनकी क्षमा की निश्चितता की आवश्यकता है, जो केवल बुराई को समाप्त करती है, आक्रोश को कम करती है और हमारे दिलों में शांति बहाल करती है," संत पापा ने सभी को "ईश्वर की ओर लौटने और उनसे क्षमा पाने के लिए" आमंत्रित किया।

उत्तर-पूर्वी भारत

उत्तर-पूर्व भारत के काथलिक धर्माध्यक्षों ने संत पापा फ्राँसिस के साथ शांति के लिए प्रार्थना और रूस और यूक्रेन को माता मरियम के निष्कलंक हृदय को समर्पण के धर्मविधि में भाग लिया। गुवाहाटी के महाधर्माध्यक्ष जॉन मूलचिरा ने धर्मविधि के दौरान अपने प्रवचन में कहा, "हमें शांति चाहिए। हम इन दोनों देशों में लोगों की पीड़ा से आहत हैं। इन दोनों देशों के नेताओं को हमारी प्रार्थनाओं की आवश्यकता है कि उनके पास शांति की दिशा में कदम उठाने के लिए ज्ञान और साहस मिले।" संत पापा के समर्पण की प्रार्थना को महाधर्मप्रांत द्वारा कई स्थानीय भाषाओं में अनुवाद किया गया था ताकि बहुत से लोग भाग ले सकें।  उत्तर-पूर्व भारत के काथलिक धर्माध्यक्षों के सम्मेलन के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष जॉन मूलचिरा ने कहा कि कई पल्लियों ने क्रूस रास्ता की धर्मविधि के बाद पवित्र मिस्सा के अंत में माता मरियम के निष्कलंक हृदय को रूस और यूक्रेन को समर्पित किया।

डिब्रूगढ़

पूर्वोत्तर भारत में डिब्रूगढ़ के धर्माध्यक्ष अल्बर्ट हेमरोम ने भी समर्पण धर्मविधि का नेतृत्व किया। वे उत्तर पूर्व सामाजिक संचार विभाग (एनइएससीओएम) के अध्यक्ष भी हैं, उन्होंने कहा "हमें अब पहले से कहीं अधिक शांति की आवश्यकता है।" “दुनिया दो साल के लंबे समय के बाद महामारी के कारण ठीक होने की राह पर है। युद्ध आखिरी चीज है जिससे मानवता को अब उबरने की जरूरत है, ”

इस क्षेत्र के कई धर्माध्यक्ष एनइएससीओएम की वार्षिक आम सभा की बैठक के लिए एकत्रित हुए थे, बैठक को संबोधित करते हुए, गुवाहाटी के सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष थॉमस मेनमपरम्पिल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यूक्रेन में युद्ध का दुनिया भर में प्रभाव पड़ रहा है "क्योंकि हम सभी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।" हमारा एक बड़ा परिवार है। हम लड़ नहीं सकते और न ही लड़ना चाहिए,” अनुभवी शांतिदूत ने कहा, जिन्होंने लगभग 4 दशकों से इस क्षेत्र में शांति की पैरवी की है।

त्रिपुरा राज्य में, अगरतला के धर्माध्यक्ष लुमेन मोंटेइरो ने समर्पण धर्मविधि से पहले पवित्र साक्रामेंट की आराधना में अपने लोगों का नेतृत्व किया। उनहोंने कहा, "मैं संत पापा फ्राँसिस के साथ रूस और यूक्रेन को माता मरियम के निष्कलंक हृदय को समर्पित करता हूँ। प्रार्थना ने युद्धों को जीता है। हमारी प्रार्थनाओं का लाभ भोजन या दवा पर खर्च किए गए डॉलर के रूप में मूर्त नहीं हो सकते हैं, परंतु  हमें विश्वास है कि उनके प्रभाव और भी महत्वपूर्ण हैं। ”

मियाओ धर्मप्रांत

अरुणाचल प्रदेश राज्य में मियाओ धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष जॉर्ज पल्लीपराम्बिल ने पवित्र मिस्सा, पवित्र संस्कार की आराधना के दौरान सभी विश्वासियों को समर्पण प्रार्थना में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। उनहोंने कहा, “जब हमारे सभी मानवीय प्रयास विफल हो जाते हैं, तो ईश्वर नियंत्रण करते हैं। हम इन दोनों देशों और बाकी दुनिया में शांति के लिए संत पापा के साथ मिलकर समर्पण प्रार्थना करते हैं।"

इसी तरह की पहल भारत के अन्य धर्मप्रांतो में आयोजित की गई थी।

मुंबई

भारत की वाणिज्यिक राजधानी, मुम्बई के महाधर्माध्यक्ष के कार्डिनल ओसवाल्ड ग्रेसियस ने  महागिरजाघर में मानवता, विशेष रूप से यूक्रेन और रूस को माता मरियम के निष्कलंक हृदय को समर्पण धर्मविधि की अध्यक्षता की।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीबीसीआई) के अध्यक्ष कार्डिनल ओसवाल्ड  नेअपने प्रवचन में कहा कि छोटे या बड़े संघर्षों की जड़ स्वार्थ और व्यक्तियों, समुदायों, धर्मों और राष्ट्रों में मेल-मिलाप की कमी है।

उन्होंने कहा, "जैसा कि यूक्रेन में लोग संकट, भय, निराशा, निराशा और भ्रम से गुजर रहे हैं, हम अपनी मध्यस्थ माता मरियम की ओर मुड़ते हैं, जो हमें शांति के राजकुमार येसु के पास ले जाती हैं। येसु के शिष्यों के रूप में, हम शांति प्रेमी, शांति प्रवर्तक, शांतिदूत और शांति निर्माता होने के लिए बुलाए गए हैं। प्रेम, निस्वार्थता और क्षमा के सुसमाचार मूल्यों पर आधारित होने पर हम शांति का निर्माण करते हैं, हम विभाजन, पूर्वाग्रह और क्रोध को दूर करने वाले उपकरण बन जाते हैं और यह शांति, जो केवल युद्ध की अनुपस्थिति नहीं है, घर से, परिवार में शुरू होती है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि संत मरियम को स्वर्गदूत के संदेश के महापर्व वास्तव में ईश्वर का अवतार है, जो "इतिहास में सबसे अधिक विश्व-परिवर्तनकारी घटना" है क्योंकि ईश्वर मनुष्य बन गए और सब कुछ बदल दिया, हमारे मूल्यों की भावना, हमारे जीवन, आशा और पाप से मुक्ति मिली।

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28 March 2022, 16:56