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यूक्रेन में अपने घर में रोती एक महिला यूक्रेन में अपने घर में रोती एक महिला 

एक माह एक सदी के समान लम्बा

24 फरवरी को रूसी सैनिकों ने यूक्रेन पर हमला शुरू कर दिया, जो युद्ध बन गया, जिसने लाखों लोगों के जीवन को तबाह कर दिया है और नाटकीय रूप से इतिहास की घड़ी को पिछली शताब्दी में वापस शीत युद्ध के समय में बदल दिया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

एक व्यक्ति के लिए इस एक माह का अनुभव कैसा रहा है? जब जीवन सामान्य रूप से चलता है तब यह बहुत छोटा है। सड़क का एक हिस्सा जो मुश्किल से हमारे रास्ते में गहरे पैरों के निशान छोड़ता, सब कुछ बदल जाता है अगर कुछ हफ़्ते एक ऐसी घटना से परेशान होता, जो अचानक उन पटरियों को बदल देती है जिन पर इतिहास की ट्रेन चलती है।

ठीक यही हुआ इस एक माह के अंदर जो हमें 23 और 24 फरवरी के बीच की रात से अलग करता है, जब रूसी सैनिकों ने यूक्रेन के खिलाफ जंग छेड़ दिया। जी हाँ एक महीना छोटा समय है, फिर भी इन दिनों के दुःख, पीड़ा एवं चिंता के कारण यह एक सदी के समय लम्बा लग रहा है क्योंकि उन्होंने नाटकीय रूप से हमें एक सदी पीछे 20वीं सदी में खींच लाया है- एक नये शीत युद्ध के खतरे, तीसरे विश्व युद्ध के भय के साथ।  

कुछ लोग सचमुच मानते थे कि ब्लादिमीर पुतिन ने आक्रमण करने का आदेश दिया है जबकि यह इतना बेतुका, इतना पागलपन लगता था कि कुछ रूसी लोग भी नहीं सोच पाये थे कि यूरोप के केंद्र में युद्ध शुरू हो रहा है, एक ऐतिहासिक समय में, जब कोविड -19 महामारी के कारण, मानवता अपने पैरों पर वापस आने के लिए संघर्ष कर रही है।

अब यह स्पष्ट हो गया है कि जिन लोगों ने इस लापरवाह और अन्यायपूर्ण युद्ध की मांग की थी, उन्होंने यूक्रेनी लोगों के ऐसे कड़े विरोध के बारे में नहीं सोचा था, जिसे यूरोप, अपनी स्वतंत्रता की रक्षा में दिखाई जा रही ताकत के लिए प्रशंसा के साथ देख रहा है।

पुराने महाद्वीप पर युद्ध की भयावहता को फिर से वापस लानेवाले व्यक्ति ने शायद सोचा था कि कुछ दिनों में "मुद्दा" हल हो जाएगा।

उन्होंने इस तरह से, एक बार फिर इतिहास के उस सबक को नज़रअंदाज कर दिया, जो हमें और तथाकथित महाशक्तियों को भी दुखद रूप से याद दिलाता है कि एक बार युद्ध शुरू हो जाने के बाद आप कभी नहीं जानते कि यह कब (और कैसे) समाप्त होगा। बस इतना तय है कि लोगों का जीवन हमेशा के लिए अस्त-व्यस्त हो जाएगा।

"जो लोग युद्ध छेड़ते हैं वे मानवता की अवहेलना करते हैं; वे लोगों के ठोस जीवन को नहीं देखते हैं," पोप फ्रांसिस ने इस युद्ध के खिलाफ अपनी कई हार्दिक अपीलों में से एक में कहा था, जिसे गलत तरीके से "एक विशेष सैन्य अभियान" के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है जबकि यह बिलकुल सही है।

युद्ध छेड़नेवालों के परिप्रेक्ष्य में, कीव, मारियुपोल और खार्किव केवल लक्ष्य प्राप्त करने के लिए हैं, "अंतिम जीत" प्राप्त करने के लिए एक पहेली के टुकड़े एक साथ फिट किए जाने के लिए।

लेकिन यह बोर्डगेम रिस्क नहीं है और न ही यह कोई वीडियो गेम है। लोग वास्तव में इस महीने मरे हैं जिसने इतिहास बदल दिया है और यूक्रेन के शहीद शहरों में हर दिन, हर घंटे मर रहे हैं।

लोगों का वास्तविक जीवन, परिवारों, पिताओं, माताओं और उनके बच्चों का जीवन हमेशा के लिए बदल गया है। यूक्रेन से प्रतिदिन आनेवाली तस्वीरों- और एक बार फिर, पोप के शब्दों में, हमें उन पत्रकारों को धन्यवाद देना चाहिए जो हमें "उस जनता की पीड़ा के करीब होने में मदद देते हैं" - हमें युद्ध की क्रूरता में इसकी सभी क्रूरता और संवेदनहीनता दिखाते हैं, जो कुछ भी नहीं और किसी को भी नहीं छोड़ता।

बमबारी के तहत अपने गर्भ में अपने बच्चे के साथ मरनेवाली गर्भवती मां से ज्यादा भयानक क्या हो सकता है?

"यह सब अमानवीय है! यह वास्तव में, अपवित्र है," संत पापा ने इन शब्दों में नसीहत दी है जिसने सभी की अंतरात्मा को हिला दिया है, विशेष रूप से विश्वासियों की, "क्योंकि यह मानव जीवन की पवित्रता के खिलाफ है, खासकर रक्षाहीन मानव जीवन के खिलाफ है।"

युद्ध का हर दिन मानवता के लिए हार है, यूक्रेन में यमन में, सीरिया में और सोमालिया में, साथ ही साथ ग्रह के हर दूसरे कोने में जहां लोग इस घृणा के कारण पीड़ित हैं।

यह एक ऐसी हार है जिसके लिए संत पापा फ्राँसिस अपने शब्दों, इशारों और सबसे बढ़कर प्रार्थना के द्वारा - हमें धैर्य और साहस से, शांति एवं आशा के भविष्य के निर्माण के लिए प्रोत्साहित करते हैं तथा याद दिलाते हैं कि हमें इसकी आदत न पड़े।

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24 March 2022, 17:13