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वाटिकन में सन्त पापा पौल षष्टम भवन में सन्त पापा फ्राँसिस (प्रतीकात्मक तस्वीर) वाटिकन में सन्त पापा पौल षष्टम भवन में सन्त पापा फ्राँसिस (प्रतीकात्मक तस्वीर) 

जयंती एक महान आध्यात्मिक और सामाजिक घटना

2025 में विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया द्वारा मनाये जा रहे पवित्र जयन्ती वर्ष के उपलक्ष्य में सन्त पापा फ्राँसिस ने नवीन सुसमाचार प्रचार सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष रीनो फिज़ीकेल्ला को एक पत्र प्रेषित कर कहा है कि कलीसिया के जीवन में जयन्ती हमेशा से एक महान आध्यात्मिक, कलीसियाई एवं सामाजिक घटना रही है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 11 फरवरी 2022 (रेई,वाटिकन रेडियो): 2025 में विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया द्वारा मनाये जा रहे पवित्र जयन्ती वर्ष के उपलक्ष्य में सन्त पापा फ्राँसिस ने नवीन सुसमाचार प्रचार सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष रीनो फिज़ीकेल्ला को एक पत्र प्रेषित कर कहा है कि कलीसिया के जीवन में जयन्ती हमेशा से एक महान आध्यात्मिक, कलीसियाई एवं सामाजिक घटना रही है।

ईश्वरीय करुणा की अभिव्यक्ति

सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि सन् 1300 में सन्त पापा बोनिफात्सियो आठवें द्वारा प्रति 100 वें वर्ष पवित्र वर्ष मनाये जाने की परम्परा का शुभारम्भ किया गया था जो बाद में प्रति पचासवें और फिर प्रति 25 वें वर्ष मनाया जाने लगा। उन्होंने कहा कि आरम्भ ही से जयन्ती का पवित्र वर्ष काथलिक विश्वासियों के लिये कृपा का महान वरदान सिद्ध हुआ है, जिसकी विशिष्टता पापों की क्षमा, दण्डमोचन और ईश्वरीय करुणा की अभिव्यक्ति है।

पवित्र जयन्ती वर्ष के दौरान समस्त काथलिक धर्मानुयायी तीर्थयात्राओं में भाग लेने तथा रोम स्थित सन्त पेत्रुस एवं सन्त पौलुस के महागिरजाघरों के द्वारों को पार करने के लिये आमंत्रित किये जाते हैं। सन्त पापा ने कहा कि सदियों के अन्तराल में, लाखों-करोड़ों तीर्थयात्रियों ने इन पवित्र स्थलों तीर्थयात्रा की है तथा हर युग में वे आस्था के  जीवंत गवाह बने है।

सन्त पापा फ्राँसिस ने अपने पूर्वाधिकारी सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय का स्मरण दिलाया जिन्होंने विश्वासियों को सन् 2000 में मनाये गये महान जयन्ती वर्ष के लिये तैयार किया था। उन्होंने कहा, "वर्ष 2000 की महान जयंती ने विश्वव्यापी कलीसिया को उसके इतिहास की तीसरी सहस्राब्दी में प्रवेश कराया। सन्त जॉन पॉल द्वितीय ने लंबे समय से उस घटना की प्रतीक्षा की थी और यह उम्मीद की थी कि सभी ख्रीस्तानुयायी, अपने ऐतिहासिक विभाजनों को भुलाकर, मानवता के उद्धारकर्ता, येसु मसीह के जन्म की दो हजारवीं वर्षगांठ एक साथ मना सकें।"

सन्त पापा ने कहा कि नवीन सहस्राब्दि के आरम्भिक 25  वर्षों के समापन पर हमारा आह्वान किया जाता है कि हम ख्रीस्तानुयायी सन् 2025 को पूर्ण प्रेरितिक समृद्धि सहित पवित्र वर्ष के रूप में मनाये। उन्होंने कहा कि इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम तब लिया गया था जब हमने करुणा को समर्पित पवित्र वर्ष मनाया था।

एकजुटता दर्शाई जाये

कोविद-19 महामारी से झूझते विश्व की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए सन्त पापा ने कहा, "पिछले दो वर्षों में, विश्व का कोई भी देश महामारी के अचानक फैलने से अप्रभावित नहीं रहा है, जिसने हमें न केवल अकेले मरने की त्रासदी का, बल्कि अस्तित्व की अनिश्चितता और क्षणभंगुरता का भी अनुभव कराया है, और ऐसा करने में, हमारे जीने के तौर तरीकों को ही बदल कर रख दिया है। हमारे गिरजाघरों, स्कूलों, कार्यस्थलों एवं संस्थानों को बन्द कर दिया गया, जिससे हमने भय, आशंका, अनिश्चत्तता और भटकाव की भावनाओं का अनुभव किया है। हम सबने मिलकर इन कठिनाइयों और प्रतिबन्धों को पार किया है। हमारी आशा है कि उपयुक्त उपचार से हम एक बार फिर सामान्य दैनिक जीवन यापन करने में सक्षम बन सकें। तथापि, उन्होंने कहा कि ऐसा तब ही सम्भव हो सकता है जब प्रभावी एकजुटता दर्शाई जाये, जब हमारे सबसे जरूरतमंद पड़ोसियों की उपेक्षा न हो तथा वैज्ञानिक सफलताओं और आवश्यक दवाओं की पहुंच सब तक हो।

मनपरिवर्तन एवं सृष्टि का देखभाल

जयन्ती वर्ष के आध्यात्मिक पहलू की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने लिखा,  "जयन्ती वर्ष का आध्यात्मिक आयाम मनपरिवर्तन की मांग करता है, इसे जीवन के मूलभूत पहलुओं के रूप में अपने समाज का एक सुसंगत हिस्सा बनाया जाना चाहिये। इस अहसास में कि हम सभी इस पृथ्वी पर तीर्थयात्री हैं, जिसके रख-रखाव का कार्यभार प्रभु ने हमें सौंपा है, हम सब पृथ्वी पर अपने प्रवास के दौरान, सृष्टि के सौन्दर्य पर चिंतन करें तथा अपने आम घर की देखभाल करने में कभी असफल न रहें।"

उन्होंने आशा व्यक्त की कि आगामी जयन्ती वर्ष के दौरान सभी लोग सृष्टि की देखभाल हेतु विशेष प्रयास करेंगे इसलिये कि सृष्टि की देखभाल ईश्वर में हमारे विश्वास और ईश इच्छा के प्रति हमारी आज्ञाकारिता की एक अनिवार्य अभिव्यक्ति है।                         .

नवीन सुसमाचार प्रचार सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष रीनो फिज़ीकेल्ला से सन्त पापा ने आग्रह किया कि वे पवित्र वर्ष को गहन आस्था, जीवंत आशा और सक्रिय उदारता की भावना में मनाने के लिए उपयुक्त तौर-तरीकों की खोज कर इसके लिये उपयुक्त योजानाएँ बनायें।

                       

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11 February 2022, 11:41