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म्यांमार के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल चार्ल्स बो म्यांमार के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल चार्ल्स बो 

म्यांमार में तख्तापलट की वर्षगाँठ पर कार्डिनल बो की अपील

1 फरवरी को म्यांमार में तख्तापलट की पहली वर्षगाँठ पर, म्यांमार के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल चार्ल्स बो ने वहाँ के लोगों एवं कलीसिया की भावनाओं को व्यक्त किया है, साथ ही, फौज एवं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपनी अपील दोहरायी है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

म्यांमार, मंगलवार, 1 फरवरी 2022 (वीएनएस)- जब म्यांमार, सैन्य तख्तापलट की पहली वर्षगाँठ की याद कर रहा है, म्यांमार के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल बो ने पीड़ित लोगों के प्रति अपना सामीप्य व्यक्त किया है तथा कलीसिया एवं ख्रीस्तियों का आह्वान किया है कि वे "चंगाई लानेवाले" एवं "शांति के साधन" बनें।   

वाटिकन न्यूज को प्रेषित एक संदेश में कार्डिनल बो ने अपने लोगों को सम्बोधित कर कहा है, "हम आपके दर्द, आपकी भुखमरी को महसूस करते हैं; हम आपकी निराशा को समझते हैं; आपके विरोध को जानते हैं, किन्तु कुछ लोग हैं जो सिर्फ हिंसक विरोध में विश्वास करते हैं हम उनसे कहना चाहते हैं कि इसके अलावा दूसरे साधन भी हैं।"

1 फरवरी 2021 को म्यांनमार के फौज के वरिष्ठ जनरल मीन हंग हलाईंग ने डेमोक्रेसी की निर्वाचित सरकार, आंग सान सू की एवं अन्य नेताओं को पद से हटाकर कैद कर लिया। तख्तापलट के बाद बृहद स्तर पर प्रदर्शन एवं हड़ताल हुए तथा निर्वाचित सरकार की रिहाई एवं प्रजातांत्रिक प्रणाली को सुरक्षित रखने की मांग की गई। फौज के सुरक्षाबल ने विरोध का उत्तर हिंसक कार्रवाई से दिया जिसमें राजनीतिक कैदियों के लिए सहायता संघ (एएपीपी), जो तख्तापलट के तहत हताहतों का दस्तावेजीकरण और संकलन करता है, उसके अनुसार करीब 1,500 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और लगभग 11,800 लोगों को कैद कर रखा गया है।   

कार्डिनल चार्ल्स बो और विश्वासी
कार्डिनल चार्ल्स बो और विश्वासी

विस्तृत क्रूस का रास्ता

कार्डिनल बो जिन्होंने कई बार शांतिपूर्वक नागरिक शासन की ओर लौटने तथा मानव अधिकार एवं स्वतंत्रता का सम्मान करने की अपील की है, लोगों की संकटपूर्ण परिस्थिति के प्रति गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने सैन्य शासन द्वारा एक साल की इस मानवीय पीड़ा को "एक विस्तृत क्रूस रास्ता, अदन वाटिका का कलवारी पहाड़ बनना कहा है।"

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के कार्यालय के अनुसार म्यांमार के संघर्ष ने देश की आधी जनता (54 मिलियन) को गरीबी में डाल दिया है। वर्तमान में अनुमान लगाया गया है कि 15 में से 14 राज्य एवं प्रांत कुपोषण की गंभीर स्थिति में हैं।

 यूएन ने कहा है कि 2022 में लगभग 25 मिलियन लोग गरीबी में हैं जिनमें 14.4 मिलियन लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है। 1 फरवरी को तख्तापलट के पहले ही करीब 3,40,000 लोग विस्थापित थे। तख्तापलट ने विस्थापितों की संख्या फिर 3,21,000 बढ़ा दी है। भारी संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं खासकर, उन क्षेत्रों से जहाँ ख्रीस्तीय रहते हैं।  

कार्डिनल बो ने वर्तमान परिस्थिति को बेकाबू अराजकता, भ्रम, तनाव और मानवीय पीड़ा का समय बतलाया है। "भय, चिंता और भुखमरी में जीने वाले लोगों के साथ पूरा म्यांमार युद्ध क्षेत्र बन गया है।"

म्यांमार की कलीसिया का कार्य
म्यांमार की कलीसिया का कार्य

तनाव में बृद्धि

73 वर्षीय कार्डिनल ने कहा कि धर्माध्यक्ष अपने लोगों के साथ हैं, वे उन्हें मानवीय सुविधाओं तक पहुँचने में मदद कर रहे हैं एवं सभी दलों से अपील करते हैं कि वे शांति एवं मेल-मिलाप की यात्रा की ओर बढ़ें।  

प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सेना के हमले ने देश के सशस्त्र विद्रोही समूहों के साथ पुराने संघर्षों को फिर से ताजा कर दिया है, खासकर, कचिन, चिन, करेन और कया जो ख्रीस्तीय बहुत क्षेत्र हैं।  

ख्रीस्तीय जलती आग में

सैनिकों से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र हैं - चिन, कया और करेन। गिरजाघर जिनमें सैनिकों एवं सशस्त्र विरोधी दल के बीच संघर्ष के कारण पलायन करनेवाले लोगों को शरण दी जा रही है, उनपर सैनिक हमला कर रहे हैं। पुरोहितों एवं पास्टरों को गिरफ्तार किया जा रहा है जबकि अनेक निहत्थे नागरिकों जिनमें से कई ख्रीस्तीय भी हैं जिन्हें मार डाला गया।    

संघर्ष के परिणामस्वरूप लोग, देश के अंदर एवं बाहर पलायन करने के लिए मजबूर हैं। संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने डर व्यक्त किया है कि देश आगे कठोर परिणामों के साथ एक पूर्ण गृहयुद्ध में बदल सकता है।

कार्डिनल बो ने खेद प्रकट किया है कि पूजा के स्थलों पर शरण लिए हुए लोगों को मार डाला गया है, खासकर, उन्होंने 35 लोगों की हत्या की निंदा की है जिनमें 4 बच्चे थे एवं 2 मानवीय अधिकार के कार्यकर्ता। जिन्हें क्रिसमस के पहले दिन कया के मो सो गाँव में जलाकर मार डाला गया।

म्यांमार के धर्माध्यक्षों ने लड़ाकू दलों से अपील की है कि वे मानवीय राहत कार्य में लगे लोगों एवं शांति निर्माताओं को कार्य करने दें।

इस बात पर गौर करते हुए कि तख्तापलट के कारण ख्रीस्तियों को बहुत अधिक दुःख सहना पड़ा है कार्डिनल बो ने उनके क्रूस रास्ते में अपना सामीप्य व्यक्त किया है।  

उन्होंने कहा, "एक कलीसिया एवं एक ख्रीस्तीय के रूप में हम संत पिता फ्राँसिस के मार्गदर्शन का अनुसरण करते हैं, आइये हम घायल चंगाई करनेवाले, शांति के साधन बनें, आइये हम निराश करने वाले अंधकार में आशा की एक ज्योति जलायें।"  

म्यांमार की कलीसिया
म्यांमार की कलीसिया

फौज से – अधिकारों एवं स्वतंत्रता का सम्मान करें

फौज के नेताओं को सम्बोधित करते हुए म्यानमार के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष ने आश्वासन दिया है कि कलीसिया, लोगों की बेहतरी एवं सभी मामलों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध है।  

उन्होंने कहा, "हम लगातार वार्ता, कैदियों की रिहाई, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सभी के मौलिक मानव अधिकार के सम्मान की अपील कर रहे हैं।"

म्यांमार को न भूलें

उन्होंने खेद प्रकट करते हुए कहा कि शुरूआती दिलचस्पी के बाद, अब लगता है कि म्यांमार दुनिया के रडार से गायब हो चुका है। अतः उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वे म्यांमार की याद करें एवं शांति निर्माण में उसकी मदद करें। ऐसा वे तभी कर सकते हैं जब वे हथियार की आपूर्ति रोक देंगे एवं लोगों के लिए मानवीय सहायता मिल पायेगी।  

पोप फ्राँसिस एवं म्यांमार

संत पापा फ्राँसिस जिन्होंने नवम्बर 2017 में म्यांमार की यात्रा की थी, म्यांमार के संकट के शीघ्र एवं शांतिपूर्ण समाधान की अपील कई बार की हैं।  

उन्होंने पहली अपील तख्तापलट के तुरन्त बाद 7 फरवरी 2021 को, वाटिकन में रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान की थी। उन्होंने लोगों को अपनी आध्यात्मिक सामीप्य, प्रार्थना एवं एकात्मता का आश्वासन दिया था और प्रार्थना की थी कि जिन्हें देश की जिम्मेदारी है वे सार्वजनिक हित, सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने एवं राष्ट्रीय स्थिरता की सेवा में ईमानदारी पूर्वक कार्य करें, ताकि एक सामंजस्यपूर्ण, लोकतांत्रिक सह-अस्तित्व संभव हो सके। संत पापा ने विश्वासियों को एक मिनट की मौन प्रार्थना का भी निमंत्रण दिया था।

धर्मबहन अन्न रोदा नू तावंग पुलिस के सामने अर्जी करते हुए
धर्मबहन अन्न रोदा नू तावंग पुलिस के सामने अर्जी करते हुए

पोप ˸ "म्यांमार की सड़कों पर मैं भी घुटनी टेकता हूँ"

एक अन्य अवसर पर, वे 45 वर्षीय धर्मबहन अन्न रोदा नू तावंग के साक्षी से प्रभावित हुए, जिन्होंने 28 फरवरी को कचिन में सशस्त्र सुरक्षा बल के सामने आने का साहस किया था। उन्होंने घुटनी टेककर और हाथ जोड़कर, शांतिपूर्ण प्रदर्शन करनेवाले, क्लिनिक में शरण लिए हुए लोगों को हानि नहीं पहुँचाने की अर्जी की थी।

संत पापा ने धर्मबहन के संदर्भ में कहा था, "मैं भी म्यांमार की सड़कों पर घुटनी टेकता और आग्रह करता हूँ, हिंसा को रोकें।" "मैं भी अपनी बाहें फैलाता और कहता हूँ ˸ वार्ता बढ़े।" ऐसा कहते हुए उन्होंने उन लोगों के लिए शोक प्रकट किया था जिन्होंने अपना जीवन खो दिया है, खासकर, युवा।

ख्रीस्त जयन्ती के उर्बी एत ओरबी (रोम और विश्व के लिए पोप का संदेश) संदेश में संत पापा ने देश के लिए प्रार्थना की थी जहाँ असहिष्णुता और हिंसा, अपना निशाना ख्रीस्तीय समुदाय एवं उनके पूजा स्थल को बनाते हैं तथा वहाँ के लोगों के शांतिपूर्ण चेहरे को बादलों से ढक देते हैं।  

अंतिम बार उन्होंने 10 जनवरी को राजनयिक निकाय को वाटिकन में सम्बोधित करते हुए म्यांमार की याद की। उन्होंने कहा कि संकट जिसने म्यांमार को करीब एक  साल प्रभावित किया है, इसका सामना करने हेतु विवेक से काम करने के लिए वार्ता एवं भाईचारा की आवश्यकता है।  

संत पापा ने खेद प्रकट किया कि "इसकी सड़कें जो एक समय मिलन स्थल हुआ करती थीं, अब लड़ाई की दृश्य बन गयी हैं जो प्रार्थना गृह को भी नहीं छोड़ता।"

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01 February 2022, 16:23