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येसु की प्रतिमा येसु की प्रतिमा 

येसु की प्रतिमा को ध्वस्त किये जाने की धर्माध्यक्षों ने निंदा की है

कर्नाटक के काथलिक धर्माध्यक्षों ने कहा है कि गाँव में येसु की प्रतिमा को तहस-नहस किया जाना दक्षिणी भारतीय राज्य में ख्रीस्तियों पर बढ़ते हमलों के बीच नवीनतम घटना है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

बेंगलूरू, बृहस्पतिवार, 17 फरवरी 2022 (मैटर्स इंडिया) ˸ कर्नाटक के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के प्रवक्ता फादर फौस्तीन लोबो ने कहा कि कोलार स्थित प्रतिमा को बड़ी बेरहमी एवं दर्दनाक तरीके से तथा बिना कोर्ट के आदेश के ध्वस्त कर दिया गया।    

कोलार जो बैंगलोर महाधर्मप्रांत के अंतर्गत आता है, राज्य की राजधानी बेंगलुरु से लगभग 65 किमी उत्तर पूर्व में है।

कर्नाटक के कोलार जिले में मुलबगल तालुक प्रशासन ने स्थानीय ख्रीस्तियों के विरोध के बीच 15 फरवरी को गोकुंटे गांव में 20 फीट ऊंची येसु की प्रतिमा को ध्वस्त कर दिया।

फादर लोबो ने मैटर्स इंडिया से कहा, "ध्वस्त किये जाते हुए वीडियो को बहुत अधिक घुमाया गया है और हिंदू समर्थक सरकारी लोगों द्वारा किये गये कृत्य से ख्रीस्तीय सचमुच चिंतित और दुखित हैं।"    

कोलार के तहसीलदार आर. शोभित ने यह दावा करते हुए ध्वस्त किये जाने का समर्थन किया है कि प्रतिमा सरकारी जमीन पर स्थापित थी जो कि एक चारागाह के लिए आरक्षित है। उन्होंने यह भी कहा है कि उसने हाईकोर्ट के आदेश पर इस काम को अंजाम दिया है।  

हालांकि स्थानीय ख्रीस्तीय धर्मगुरूओं ने आरोप लगाया है कि प्रतिमा को अवैध तरीके से ध्वस्त किया गया है जब मामला अदालत में अभी भी विचाराधीन है। प्रतिमा की स्थापना संत फ्राँसिस जेवियर चर्च द्वारा उस गाँव में 18 साल पहले हुई थी। गाँव के 500 लोगों में से लगभग 90 प्रतिशत लोग काथलिक हैं।  

तहसीलदार ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "हमने हाईकोर्ट के आदेश पर प्रतिमा को ध्वस्त किया क्योंकि यह सरकारी जमीन पर स्थापित थी। हमने ध्वस्त किये जाने के बारे में कलीसिया को एक सूचना जारी की थी।"

उधर स्थानीय काथलिकों ने तहसिलदार के दावे को विवादस्पद बतलाया और कहा कि मामला अभी तक हाईकोर्ट में विचाराधीन है। वकील फादर तेरेस बाबू ने कहा कि बार बार आग्रह करने पर भी ध्वस्त किये जाने का आदेश पत्र उन्हें नहीं दिखाया गया।    

गाँववालों के अनुसार, कुछ हिंदू समर्थक संगठन, उस क्षेत्र में तनाव लाना चाहते हैं और उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। वे यह भी दावा करते हैं कि चर्च के पास भूमि पर दावा पत्र है।

महाधर्मप्रांत के एक सज्जन ने कहा कि"स्थानीय पंचायत और पुलिस को इसकी जानकारी थी, लेकिन तहसीलदार ने अपने स्वामियों को खुश करने की जल्दबाजी की।"

उन्होंने कहा, "हम नहीं समझ रहे हैं कि हिन्दूओं की बहुलता होते हुए भी, उन्हें देश के 1.87 प्रतिशत ख्रीस्तियों से क्यों डर लगता है।  

फादर लोबो ने बतलाया कि इसी तरह की घटना 5 फरवरी को बेंगलूरू के तटीय शहर में हुआ था जो पश्चिमी बेंगलूरू से 350 किलो मीटर की दूरी पर है। एक गिरजाघर को इस आरोप पर ध्वस्त कर दिया गया कि वह सरकारी जमीन पर निर्मित है। वहाँ भी मामला अदालत में विचाराधीन था जबकि कुछ लोग आकर उसे गिरा दिये।  

इस बीच, संयुक्त ख्रीस्तीय मंच, एक ख्रीस्तीय एकता दल ने प्रकट किया है कि दक्षिण भारत में ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा की घटनाएँ कर्नाटक में सबसे अधिक दर्ज की गई हैं।

ख्रीस्तियों के खिलाफ हिंसा में उत्तर प्रदेश के बाद कर्नाटक का स्थान तीसरा है और छत्तीसगढ़ इसका केंद्र है।

बैंगलोर के महाधर्माध्यक्ष पीटर मचाडो ने कहा कि कर्नाटक पहले अपनी प्रगतिशील राजनीति के लिए देश का आईटी हब होने के लिए जाना जाता था, लेकिन "ऐसा लगता है कि हमारी मानवता खो गई है।"

मूर्ति को तोड़ा गया क्योंकि कर्नाटक, शैक्षणिक संस्थानों में मुस्लिम महिलाओं द्वारा "हिजाब" पहनने के विवाद में उलझा हुआ है।

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17 February 2022, 15:59