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उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने केरल राज्य के मन्नानम में संदेश देते हुए उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने केरल राज्य के मन्नानम में संदेश देते हुए 

भारत के उपराष्ट्रपति द्वारा अभद्र भाषा के बिना धर्म का अभ्यास करने की अपील

भारत के उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आध्यात्मिक, शैक्षिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सुधारों के माध्यम से सद्भाव, सहिष्णुता और सामाजिक उत्थान में योगदान के लिए देश के काथलिक संत कुरियाकोस एलियास चावरा को श्रद्धांजलि अर्पित की।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

कोट्टायम, बुधवार 5 जनवरी 2022 (वाटिकन न्यूज): भारत के उपराष्ट्रपति ने सोमवार को अन्य धर्मों के खिलाफ अभद्र भाषा की निंदा करते हुए कहा कि यह समाज में विभाजन पैदा करता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को देश में अपने विश्वास का अभ्यास करने का अधिकार है।

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने केरल राज्य के मन्नानम में दक्षिणी भारतीय राज्य के काथलिक समुदाय से आने वाले शैक्षिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सुधारक संत कुरियाकोस एलियास चावरा की 150वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, "अपने धर्म का पालन करें, दूसरों को गाली न दें और अभद्र भाषा लेखन में शामिल न करें।"

भारत स्थित सिरो-मालाबार रीति की काथलिक कलीसिया के 19वीं सदी के परोहित कुरियाकोस एलियास चावरा की मृत्यु 3 जनवरी 1871 को उनकी मृत्यु हुई थी। 8 फरवरी 1986 को संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने धन्य घोषित किया और 23 नवंबर 2014 को संत पापा फ्राँसिस ने उन्हें संत घोषित किया था।

आंध्र प्रदेश के रहने वाले 72 वर्षीय उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि अभद्र भाषा और लेखन राष्ट्र की संस्कृति, विरासत, परंपराओं, संवैधानिक अधिकारों और लोकाचार के खिलाफ हैं। यह इंगित करते हुए कि धर्मनिरपेक्षता प्रत्येक भारतीय के खून में है, उन्होंने कहा कि देश को उसकी संस्कृति और विरासत के लिए दुनिया भर में सम्मानित किया जाता है।

दूसरों की देखभाल हेतु युवाओं को शिक्षित करना

भारतीय मूल्य प्रणाली को मजबूत करने का आह्वान करते हुए, उपराष्ट्रपति  नायडू ने सरकारी और निजी स्कूलों में छात्रों के लिए सामुदायिक सेवा को अनिवार्य बनाने का आग्रह करते हुए कहा कि इससे उन्हें दूसरों के साथ बातचीत करने, साझा करने का मनोभाव और देखभाल करने का दृष्टिकोण विकसित करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूल "छात्रों के लिए कम से कम दो से तीन सप्ताह की सामुदायिक सेवा अनिवार्य करें"।

नारायण और चावरा मॉडल के रूप में

भारतीय उपराष्ट्रपति ने केरल के दूरदर्शी आध्यात्मिक नेताओं, जैसे कि प्रसिद्ध समाज सुधारक श्री नारायण गुरु और संत चावरा को विभिन्न क्षेत्रों में मॉडल के रूप में रखा और अन्य राज्यों को शिक्षा, सामाजिक न्याय और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में केरल से प्रेरणा लेने का आग्रह किया।

उपराष्ट्रपति ने कहा, "उनका पथप्रदर्शक कार्य यह साबित करता है कि प्रत्येक राज्य को विकास और प्रगति के इंजन में बदला जा सकता है और यह समाज के गरीब वर्गों की महिलाओं और युवाओं के सामाजिक और शैक्षिक सशक्तिकरण के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।"

समावेशिता और जनहित

भारतीय उपराष्ट्रपति ने उल्लेख किया कि भले ही संत चावरा की पहचान और दृष्टि उनके काथलिक विश्वास द्वारा बनाई गई थी, लेकिन उनकी सामाजिक और शैक्षिक सेवाएं केवल उस समुदाय की प्रगति और विकास तक ही सीमित नहीं थीं।

उपराष्ट्रपति ने संत चावरा द्वारा शैक्षिक और स्वास्थ्य क्षेत्रों में शुरू की गई सभाओं और आंदोलनों की सराहना करते हुए कहा, "संत चावरा ने पुनर्जागरण की भावना को दया के मिशन और सार्वभौमिक भाईचारे की महान ख्रीस्तीय अवधारणा के साथ जोड़ा।"  

समावेशिता में दृढ़ विश्वास रखने वाले, संत चावरा ने 1846 में सभी जातियों, लिंगों और धर्मों के उम्मीदवारों के लिए एक संस्कृत स्कूल शुरू किया। ऐसी ही एक और पहल थी, सभी समुदायों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए प्रत्येक पल्ली गिरजाघर के साथ एक स्कूल की स्थापना करना। मुफ्त मध्याह्न भोजन प्रदान करने वाले इन स्कूलों ने माता-पिता को अपने बच्चों का नामांकन करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे राज्य में साक्षरता दर बढ़ाने में मदद मिली।

शांतिपूर्ण मानवीय संबंधों का निर्माण

नायडू ने कहा, "केरल का यह प्रतिष्ठित आध्यात्मिक और सामाजिक नेता, जिसे लोग अपने जीवनकाल में संत मानते थे, हर मायने में एक सच्चे दूरदर्शी थे।" 19वीं शताब्दी में संत चावरा ने खुद को केरल समाज के आध्यात्मिक, शैक्षिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सुधारक के रूप में शामिल किया और लोगों के सामाजिक पुन: जागरण में भरपूर योगदान दिया।

नायडू ने कहा कि समाज में सांप्रदायिक सद्भाव और सहिष्णुता में बहुत योगदान देते हुए, संत चावरा ने हमेशा सभी की भलाई के लिए एक गहरी चिंता दिखाई और हमें सिखाया कि शांतिपूर्ण मानवीय संबंध पवित्र और किसी भी चीज़ से अधिक महत्वपूर्ण हैं।

नायडू ने जोर देकर कहा, "आज, हमें हर समुदाय में एक चावरा की जरूरत है - समाज के सभी वर्गों को सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से एकजुट करने और देश को आगे ले जाने की दृष्टि वाला एक बड़ा व्यक्ति चाहिए।"

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05 January 2022, 15:19