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अलेप्पो का मेलकाइट गिरजाघर अलेप्पो का मेलकाइट गिरजाघर 

अलेप्पो में युद्ध व आर्थिक संकट के कारण ख्रीस्तियों का पलायन

सीरियाई शहर अलेप्पो में, ख्रीस्तियों की उपस्थिति लगभग 2,000 साल पहले की है। दुर्भाग्य से, देश की हालात कई युवाओं को अन्य गंतव्यों के लिए छोड़ने के लिए प्रेरित कर रही है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

अलेप्पो, मंगलवार 14 दिसम्बर 2021 (वाटिकन न्यूज) : सीरिया के अलेप्पो में ख्रीस्तियों की संख्या युद्ध से पहले लगभग 150,000 थी। आज केवल 30 हजार बचे हैं। पूरे सीरिया में, प्रवासन की लहर एक ऐसी उपस्थिति को खतरे में डालती है जो ख्रीस्तीय धर्म की उत्पत्ति के समय की है। यह न केवल देश के लिए बल्कि पश्चिमी दुनिया के लिए भी अपरिहार्य मानी जाने वाली उपस्थिति है।

उक्त बात वाटिकन मीडिया के साथ एक साक्षात्कार में, अलेप्पो के मारोनाइट धर्माध्यक्ष जोसेफ टोबजी ने कही। पूर्व में ख्रीस्तीय उपस्थिति हजारों साल पुराना है, यहां तक ​​कि अलेप्पो में भी - प्रेरितों के समय से ख्रीस्तियों की उपस्थिति है। इसलिए, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि यहाँ उनकी उपस्थिति जारी रहे, क्योंकि इससे न केवल पूर्व को बल्कि विश्वव्यापी कलीसिया को भी लाभ होता है। यह वास्तव में, "येसु के रहस्यमय शरीर का एक अंग है, इसलिए अलेप्पो में, सीरिया में, पूर्व में ख्रीस्तीय धर्म की निरंतरता पूरे विश्वव्यापी कलीसिया के लिए आवश्यक है।"

धर्माध्यक्ष ने आगे कहा, "अलेप्पो और सीरिया में ख्रीस्तियों उपस्थिति देश के लिए और मुसलमानों के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पूर्व और पश्चिम के बीच एक 'प्रतिरोधी' के रूप में बनी हुई है। हम अरबी बोलते हैं, हम संस्कृति से अरबी हैं और इसलिए हम अपने साथी देशवासियों को अच्छी तरह समझते हैं, जिनसे हम वास्तव में मजबूत भाईचारे और दोस्ती से बंधे हैं। हम एक दूसरे को बहुत अच्छी तरह समझते हैं और इससे पश्चिम में मुसलमानों और ख्रीस्तीय धर्म को भी लाभ होता है। हम एक पुल हैं, एक प्रतिरोधी हैं और हम यहां के लोगों के लिए भी मानव संस्कृति के बंधन हैं।"

आप यह कह रहे हैं कि यहाँ, इस देश में ख्रीस्तीय और मुसलमान, एक दूसरे से बात कर सकते हैं, तो क्या वे पूरी दुनिया में वे एक दूसरे से बातचीत कर सकते हैं?

हां बिल्कुल! क्योंकि ये पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल भी हो सकता है. कभी-कभी, मुसलमान और ख्रीस्तीय हम एक साथ प्रार्थना करते हैं और साधारण लोगों के मुस्लिम पड़ोसी होते हैं, यानी वे ख्रीस्तियों के साथ काम करते हैं। यह हमारे विश्वास और हमारे मानवीय मूल्यों को वास्तविक विचार देता है जो ईश्वर से भी आते हैं और इस प्रकार, यह सीरिया में मुस्लिम मानसिकता के लिए खुलेपन के दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है। उदाहरण के लिए,  यह सऊदी अरब से अलग है, यहां का इस्लाम दुनिया के अन्य हिस्सों में, तुर्की या अफगानिस्तान में इस्लाम से अलग है, क्योंकि यहां दोनों धर्म सह-अस्तित्व में हैं और इसलिए एक अलग वातावरण है, मानवता का एक अलग माहौल है।

ख्रीस्तियों और मुसलमानों के बीच इस संवाद को बनाए रखने के लिए ख्रीस्तियों को बने रहना चाहिए। लेकिन समस्या यह है कि आज के युवा अपने देश को छोड़ रहे हैं, वे दूसरे देश जाते हैं। युवा, जो बहुत गरिमा के साथ, अपनी पढ़ाई के बारे में बातें करते हैं और जब उनके भविष्य के बारे में बात करने की बात आती है, तो उन सभी का एक ही जवाब है: वे विदेश जाना चाहते हैं, क्योंकि अपने ही देश में, उन्हें आशा का कोई स्रोत नहीं मिलता...

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14 December 2021, 16:25