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डॉ थॉमस हेइन-गेल्डर्न डॉ थॉमस हेइन-गेल्डर्न 

प्रताड़ित ख्रीस्तियों के सेवा हेतु आभार

साल समाप्ति की दहलीज में, जरुरत में पड़ी कलीसिया की सेवा, परमधर्मपीठीय सम्मेलन ने अध्यक्ष डॉ थॉमस हेइन-गेल्डर्न ने वैश्विक प्रताड़ित कलीसिया की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए एक विज्ञप्ति जारी की।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, गुरूवार, 30 दिसम्बर 2021 (रेई) जरूरत में पड़ी कलीसिया की सेवा हेतु गठित परमधर्ममीठीय संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ थॉमस हेइन-गेल्डर्न ने कलीसियाई सेवा कार्य में मददगार सभी हितैषियों और विश्व से नेक हृदय लोगों के प्रति अपने कृतज्ञता के भाव अर्पित किये।

अपने विज्ञप्ति में उन्होंने कहा, “हम दुनिया भर में अपने परोपकारियों, दोस्तों और सहयोगियों के प्रति आभारी हैं, उनके बिना, हम संकट में फंसे ख्रीस्तियों और धार्मिक उत्पीड़न के शिकार लोगों की मदद करने में सक्षम नहीं हो पाते”।

उन्होंने संत पापा फ्रांसिस के प्रति अपने विशेष कृतज्ञता के भाव प्रकट किये जिनकी ईराक प्रेरितिक यात्रा ने वहाँ के लोगों को सांत्वना और स्थानीय ख्रीस्तीय समुदाय को आशा से भर दिया। अपनी इस प्रेरितिक यात्रा के दौरान संत पापा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईराक और मध्य पूर्वी प्रांत में ख्रीस्तियों की स्थिति को प्रकाश में लाया जिन्हें विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

जरूरत में पड़े कलीसिया की सेवा (एसीएन) ने मध्य पूर्वी प्रांत ने ख्रीस्तियों के बेहतर भविष्य के लिए विभिन्न हितैषियों और परियोजनाओं में मिलकर काम कर रहा है, ताकि उनके लिए सम्मानपूर्ण जीवन संभव हो सके और खास कर उनकी दुर्दशा को दूर किया जा सके। 

धार्मिक स्वतंत्रता हेतु सामूहिक प्रयास

अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों और विशेषज्ञों के संग मिलकर 2021 में प्रकाशित धार्मिक स्वतंत्रता के रिपोर्ट के बारे में उन्होंने कहा कि यह न केवल वैश्विक स्तर पर धार्मिक प्रड़ातना की चर्चा करता बल्कि यह एक साथ मिलकर मानव अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता हेतु खड़ा होने की प्रतिबद्ध पर जोर देता है जो मानवीय गरिमा में गहराई से निहित है। धार्मिक संप्रदाय की स्वतंत्रता हमारी मानवता का पैमाना है।

डॉ थॉमस ने “रेड बुधवार/रेड वीक” के बारे में कहा जिसकी पहल 2015 में एसीएन द्वारा की गई जो वैश्विक ख्रीस्तीय संकट को लोगों के सामने प्रस्तुत करता है जिसके फलस्वरूप हम संकटग्रस्त भाइयों और बहनों के लिए प्रार्थना करने को एकजुट होते हैं।

हत्या और अपहरण में वृद्धि

उन्होंने याजकों और लोकधर्मियों के ऊपर होने वाली हिंसा और सतावट के बार में अपने दुख जाहिर किये।  “पुरोहितों, लोकधार्मिक और विश्वासियों को उनकी सेवा कार्य हेतु अपहरण, प्रताड़ना और मौत का शिकार होना पड़ता है, या उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। विशेष रूप से भारत और नाइजीरिया की वर्तमान स्थिति हमें गहरी चिंता से भर देती है और यदि परिस्थितियों में हम सहायता हेतु सभों के संग खड़े हैं”।

उन्होंने आफ्रीका के साहेल प्रांत ,मोजांबिक की स्थिति के बारे में अपनी चिंता जारी की जहाँ आंतवाद निरंतर बढ़ता जा रहा है। बहुत से स्थानों में हिंसा और आतंकवाद के कारण कलीसियाई प्रेरितिक कार्यों में अड़चने आ रही हैं। इसके शिकार न केवल मठवासी समुदाय हैं बल्कि हिंसात्मक गतिविधियों ने अस्पतालों, विद्यालयों और अन्य महत्वपूर्ण कलीसियाई कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रहे हैं। “कलीसिया इस समय एक और अत्यंत कठिन कार्य का सामना कर रही है जहाँ वह हजारों शरणार्थियों और प्रवासन के शिकार हुए लोगों की मदद हेतु बुलाई जाती है। 

पश्चिमी में “विनम्र उत्पीड़न”

उन्होंने संत पापा फ्रांसिस के शब्दों में “विनम्र उत्पीड़न” के बारे में कहा कि हम पश्चिमी देशों को इसका शिकार होता पाते हैं। इसमें कथित “सहिष्णुता” की आड़ में सार्वजनिक जीवन से धार्मिक विश्वासों का क्रमिक उन्मूलन शामिल है। हमारे लिए इसका उदाहरण हाल फिलहाल ही देखने को मिला है जहाँ ईसाई शब्दावली “क्रिसमस” के बदले “छुट्टियों” का उपयोग करने की सिफारिश की गई।

हम वर्ष 2021 के अंतिम पड़ाव में हैं अतः हम उन धर्माध्यक्षों पुरोहितों,धर्मबंधुओं, धर्मबहनों और प्रचारकों की याद करना चाहते हैं जो सेवा के कार्य करते हुए कोविड-19 के शिकार हो गये। उन्होंने खतरे की चिंता किये बिना अपने कार्यों का निर्वाहन किया और सुसमाचार का साक्ष्य प्रस्तुत किया है।

“2021 हमारे लिए कृतज्ञता और सेवा का वर्ष रहा। आगामी वर्ष 2022 भी हमारे लिए ईश्वर में विश्वास का वर्ष हो जहाँ हम भय और चिंताओं से मुक्त रहते हुए, अपने प्रेरिताई को पूरा करने हेतु नए क्षेत्रों की तलाश कर सकें”। 

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30 December 2021, 16:35