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ब्रिटेन में पर्यावरण परिवर्तन को लेकर कर रहे प्रदर्शनकारी ब्रिटेन में पर्यावरण परिवर्तन को लेकर कर रहे प्रदर्शनकारी 

कोप 26: जलवायु संकट से निपटने के लिए एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकत

लिंडलिन मोमा, 'लौदातो सी आंदोलन' के कार्यकारी निदेशक, संयुक्त राष्ट्र कोप 26 जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में विश्व के नेताओं से एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान करते हैं। वे जलवायु संकट के प्रभाव को रोकने के लिए रास्ते तलाश रहे हैं।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

ग्लासगो, बुधवार 3 नवम्बर 2021 (वाटिकन न्यूज) : विश्व के नेता, नीति-निर्माता, वैज्ञानिक, विश्वास-आधारित समूह और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और नागरिक समाज के प्रतिनिधि, 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के लिए स्कॉटलैंड के ग्लासगो में एकत्रित हुए हैं।

31 अक्टूबर से 12 नवंबर तक आयोजित कोप 26 शिखर सम्मेलन का उद्देश्य पेरिस समझौते और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के लक्ष्यों की दिशा में कार्रवाई में तेजी लाने के लिए पार्टियों को एक साथ लाना है। 2015 का पेरिस समझौता की मांग है कि देश वैश्विक तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस या अधिमानतः 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम कर दें, एक लक्ष्य जो विशेषज्ञों का कहना है कि 2030 तक वैश्विक उत्सर्जन को लगभग आधा और 2050 तक "शुद्ध-शून्य" करना होगा।

जलवायु परिवर्तन बैठक के लिए ग्लासगो में उपस्थित "लौदातो सी आंदोलन" की कार्यकारी निदेशक लिंडलिन मोमा ने वाटिकन रेडियो के मैरीन हेनरियट से राजनीतिक निर्णय निर्माताओं द्वारा हमारे आम घर की सुरक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता के बारे में बातें की।

सब कुछ आपस में जुड़ा हुआ है

मोमा ने समझाया कि जलवायु परिवर्तन बैठक में "लौदातो सी आंदोलन" का उद्देश्य दुनिया के नेताओं को 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि सीमा को साकार करने के लिए कदम उठाने की मांग करते हुए ग्रह की सुरक्षा के लिए आवाज उठाना है। उसने कहा कि यह जैव विविधता के नुकसान को सीमित करेगा और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से कमजोर समुदायों की रक्षा करेगा।

संत पापा फ्राँसिस के शब्दों को दोहराते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि "सब कुछ जुड़ा हुआ है" और इस प्रकार, जलवायु संकट की विनाशकारी प्रवृत्ति को उलटने के लिए ग्रह की रक्षा के प्रयासों को एकीकृत किया जाना चाहिए।

एक ख्रीस्तीय पारिस्थितिकी

"ख्रीस्तीय पारिस्थितिकी" के अस्तित्व के बारे में एक प्रश्न के उत्तर में, मोमा ने कहा कि कलीसिया हमें प्रकृति का सम्मान और देखभाल करना सिखाती है क्योंकि हम, मनुष्य, जैव विविधता का एक हिस्सा हैं और आंतरिक रूप से इससे जुड़े हुए हैं।

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि काथलिक समाज शिक्षा हमें गरीबों और कमजोर लोगों की देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिसमें जलवायु परिवर्तन से प्रभावित लोग भी शामिल हैं, भले ही वे जलवायु संकट का कारण नहीं हैं। उन्होंने एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें "गरीबों और कमजोर लोगों की आवाज को ध्यान में रखना" शामिल है, उन्होंने चेतावनी दी कि हम "जलवायु संकट और जीवाश्म ईंधन का खनन को निपटे बिना जैव विविधता संकट से नहीं लड़ सकते।"

संयुक्त प्रयासों की जरूरत

मुमा ने कहा, "काथलिक के रूप में, हम अकेले कार्य नहीं कर सकते। हमने संत पापा फ्राँसिस को देखा है, वे अन्य धर्मों के नेताओं से संपर्क बना रहे हैं।"

कोप 26 से पहले, "लौदातो सी आंदोलन" ने एक "स्वस्थ ग्रह, स्वस्थ लोग" याचिका शुरू की थी, जिसमें सभी को हस्ताक्षर करने के लिए आमंत्रित किया गया था ताकि वे अपने राजनीतिक नेताओं से जलवायु संकट की प्रवृत्ति को उलटने की दिशा में निर्णय लेने का आग्रह कर सकें। याचिका पर लगभग 100,000 हस्ताक्षर हुए।

याचिका पर हस्ताक्षर करने वालों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए, मुमा ने सभी धर्मों के लोगों और गैर-धार्मिक अभिनेताओं को एक साथ काम करने के लिए आमंत्रित किया ताकि हम ग्रह की सुरक्षा के लिए कोप 26 बैठक में अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें।

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03 November 2021, 16:10