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फ्रांसिसकन सिस्टर और  'असीसी गारमेंट्स' में काम करने वाली लड़कियाँ फ्रांसिसकन सिस्टर और 'असीसी गारमेंट्स' में काम करने वाली लड़कियाँ  कहानी

भारत: जैविक कपास से 300 युवतियों के लिए एक अवसर

संत पापा फ्राँसिस के विश्वपत्र 'लौदातो सी' की भावना में और "असीसी के गरीब फ्राँसिस" की शिक्षाओं का पालन करते हुए, भारत के तमिलनाडु राज्य में सेवारत फ्रांसिस्कन धर्मबहनें भारतीय महिलाओं विशेषकर विकलांग युवतियों की मदद करने के लिए एक "असीसी गारमेंट्स" एक कपड़ा कंपनी चला रही हैं जो 100% जैविक कपास पर ध्यान केंद्रित करते हुए परंपरा, नवाचार और पर्यावरण संरक्षण को जोड़ती है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, गुरुवार 7 अक्टूबर 2021 (वाटिकन न्यूज) : यह 1994 की बात है जब भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में कुछ फ्रांसिस्कनधर्मबहनों ने, बेरोजगार युवा लड़कियों की मदद करने के लिए एक गतिविधि शुरू करने के बारे में सोचा। विभिन्न विकलांगों से प्रभावित लड़कियों, विशेष रूप से बधिरों पर ध्यान दिया।

धर्मबहनों ने फैसला किया कि आय का उपयोग न केवल उस व्यवसाय का विस्तार करने के लिए किया जाएगा, बल्कि अन्य उदार कार्यों के समर्थन में भी किया जाएगा। उन्होंने सोचा कि भारत में कपास के साथ काम करने से बेहतर क्या काम हो सकता है? जल्द ही धर्मबहनों ने एक कंपनी की स्थापना की। शुरु में सौ लड़कियाँ काम करती थी, आज यह कंपनी लगभग 300 लड़कियों को रोजगार देती है।

कंपनी का नाम अपने फ्रांसिस्कन धर्मसंघ से जुड़ा हुआ है: शुरु में कंपनी का नाम "असीसी परिधान" रखा गया, जो तीन साल बाद "असीसी गारमेंट्स" बन गया, जो हस्तनिर्मित सूती कपड़ों में विशेषज्ञता रखता है।

ये उत्पाद तमिलनाडु से आ रहे हैं और सभी उत्कृष्ट कारीगरी के हैं। धीरे-धीरे, व्यवसाय/दान ने इतालवी दुकानों के निष्पक्ष व्यापार में एक बड़ा स्थान बनाने में कामयाबी हासिल की, विशेष रूप से "अलत्रोमेर्कातो" और "आलताक्वालिता", जो उन्हें वितरित करते हैं।

पवित्र मिस्सा में भाग लेती काथलिक महिलाओं की फाइल फोटो
पवित्र मिस्सा में भाग लेती काथलिक महिलाओं की फाइल फोटो

"असीसी गारमेंट्स" नें काम करने वाली युवा महिलाएँ पास के राज्य केरल से भी आती हैं, जहां एक बड़ी काथलिक आबादी मौजूद है।  फ्रांसिस्कन धर्मबहनें उनके लिए रहने और खाने की व्यवस्था भी करती हैं। सतत शिक्षा पाठ्यक्रम के साथ-साथ, सामाजिक सुरक्षा और अच्छा मासिक वेतन भी प्रदान करती हैं। ।

कंपनी का लक्ष्य उत्पादों में सुधार करना, हमेशा जैविक उत्पादन पर अत्यधिक ध्यान देना, साथ ही उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर अमेरिका से लेकर विभिन्न यूरोपीय देशों तक और अधिक आकर्षक बनाना है।

बिक्री से होने वाले लाभ का उपयोग विभिन्न उदार कार्यों के लिए किया जाता है, विशेष रूप से एक क्लिनिक के कैंसर रोगियों के लिए, (स्थानीय रूप से मुख्य रूप से कृषि में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग के कारण), एक धर्मशाला, एक अनाथालय, एड्स रोगियों के लिए, कोढ़ी, और शिक्षा केंद्र के लिए, नेत्रहीनों के लिए एक स्कूल भी शामिल है।

हालांकि, यह सब दक्षिण भारत के उन गोदामों से शुरू होने वाली श्रृंखला की अंतिम कड़ी निष्पक्ष व्यापार के बिना संभव नहीं है।

कई युवतियां केरल की हैं
कई युवतियां केरल की हैं

इन लगभग 30 वर्षों की गतिविधि में, "असीसी गारमेंट्स" परंपरा, नवाचार और पर्यावरण संरक्षण के संयोजन के आगे के उद्यम में भी 100% जैविक कपास श्रृंखला बनाने में सफल रहा है।

आज, यह अपनी पद्धति को संत पापा फ्राँसिस 'लौदातो सी' की शिक्षाओं में प्रतिबिंबित करता है, जो पृथ्वी और गरीबों की पुकार का जवाब देने से लेकर अर्थव्यवस्था को समझने के वैकल्पिक तरीके और वैकल्पिक जीवन शैली अपनाने से लेकर शिक्षा तक और पारिस्थितिक जागरूकता पैदा करने से लेकर नौकरी के नए अवसर पैदा करता है।

"असीसी गारमेंट्स" कपड़ा उद्योग के क्षेत्र में कुछ अनोखा प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें एक एकीकृत आपूर्ति श्रृंखला होती है जो कपास के बीज से तैयार उत्पाद तक जाती है। परिणाम 100% जैविक कपास है, इसलिए, सभी आवश्यक प्रमाणपत्रों के साथ, पर्यावरण के संरक्षण के लिए जिम्मेदार तरीके से योगदान देता है, भारत में एक महत्वपूर्ण तत्व नहीं है।

दूसरी ओर, द ग्लोबल ऑर्गेनिक टेक्सटाइल स्टैंडर्ड, प्रमाणन जारी करने वाली संस्था, मापदंडों की एक पूरी श्रृंखला को ध्यान में रखती है: स्पष्ट रूप से पारिस्थितिक, पूरी आपूर्ति श्रृंखला के विशुद्ध रूप से उत्पादक और सामाजिक भी। इनमें कपास की कटाई, कताई, रंगाई, बुनाई के साथ-साथ सामग्री और प्रक्रियाओं का विनियमन शामिल है जिनका उपयोग कपास या अन्य जैविक फाइबर में परिवर्तन किया जा सकता है। "असीसी गारमेंट्स", उदाहरण के लिए, ऐसे रंगों का उपयोग नहीं करता है जिनमें भारी धातुएं या पूतिदोष-रोधी पदार्थ मौजूद होते हैं, ताकि खरीदारों को एलर्जी न हो।

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06 October 2021, 16:11