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107 वें आप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस पर काथलिक संगठनों का वकतव्य

आप लोगों के बीच भ्रातृ प्रेम बना रहे। आप लोग आतिथ्य-सत्कार नहीं भूलें, क्योंकि इसी के कारण कुछ लोगों ने अनजाने ही अपने यहाँ स्वर्गदूतों का सत्कार किया है। इब्रानियों को लिखे सन्त पौल के इन शब्दों से आप्रवासियों एवं शरणार्थियों की मदद करनेवाले "काथलिक संगठनों के अन्तरराष्ट्रीय मंच" ने 107 वें आप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस पर अपना वकतव्य आरम्भ किया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 24 सितम्बर 2021(रेई, वाटिकन रेडियो):  आप लोगों के बीच भ्रातृ प्रेम बना रहे। आप लोग आतिथ्य-सत्कार नहीं भूलें, क्योंकि इसी के कारण कुछ लोगों ने अनजाने ही अपने यहाँ स्वर्गदूतों का सत्कार किया है। इब्रानियों को लिखे सन्त पौल के इन शब्दों से आप्रवासियों एवं शरणार्थियों की मदद करनेवाले "काथलिक संगठनों के अन्तरराष्ट्रीय मंच" ने 107 वें आप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस पर अपना वकतव्य आरम्भ किया।   

एकीकरण का प्रयास

काथलिक संगठनों के मंच के वकतव्य में कहा गया, "हमारे संगठन, दैनिक तौर पर, शरणार्थियों, प्रवासियों, आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों और मानव तस्करी और आधुनिक युग की गुलामी के अन्य रूपों से प्रभावित व्यक्तियों के साथ महत्वपूर्ण व्यक्तिगत साक्षात्कारों में संलग्न रहते हैं।

स्थानीय कलीसियाई समुदायों के साथ मिलकर हम, अपने घरों एवं अपने देशों से अन्यत्र पलायन हेतु बाध्य किये गये इन ज़रूरतमन्द भाइयों को स्व्स्थ्य सेवा, शिक्षा, कानूनी सहायता तथा रोज़गार हेतु प्रशिक्षण आदि देकर इनकी प्राथमिक आवश्यकताओं को पूरा करने तथा इनके एकीकरण का प्रयास करते हैं।"

"हम" के दायरे को विस्तृत करें

काथलिक कलीसिया द्वारा घोषित 107 वें आप्रवासी एवं शरणार्थी मनाये जाने का उक्त मंच ने  स्वागत किया तथा इस अवसर के लिये प्रकाशित सन्त पापा फ्राँसिस के सन्देश हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया जिसमें सन्त पापा फ्रांसिस "हम" के दायरे को और अधिक विस्तृत करने की अपील है, ताकि मानव परिवार को नवीकृत किया जा सके तथा न्याय एवं शांति से परिपूरित भविष्य का निर्माण किया जा सके।   

वकतव्य में कहा गया कि कोविद महामारी ने मानव जाति के समक्ष गम्भीर चुनौतियों को प्रस्तुत कर संरचनात्मक असमानताओं को उजागर किया है जिससे यह स्पष्ट है कि नित्य अपने घरों से पलायन करनेवाले लोगों की स्थिति और अधिक कमज़ोर हो गई है। उन्होंने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि अनेक आप्रवासी मज़दूर स्वास्थ्य सोवाओं एवं कोविद- वैकस्सीन आदि की सुविधाओं से वंचित हैं।  

समस्याओं को चुनौतियों के रूप में देखें

राष्ट्रवादी विचारधाराओं का उन्होंने खण्डन किया और कहा कि इन संकीर्ण विचारधाराओं ने लोगों में ग़लत एवं भ्रामक विचारों का प्रसार किया है तथा आप्रवासियों एवं शरणार्थियों की मदद को अवरुद्ध किया है। उन्होंने कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस हम सबको एक कलीसिया, एक घर और एक परिवार का हिस्सा बनने के लिये आमंत्रित करते हैं। हमारा युग हमें समस्याओं को बाधाओं के रूप में नहीं अपितु चुनौतियों के रूप में देखने का आग्रह करता है, इसलिये दीवारों का निर्माण न किया जाये अपितु सेतुओं का निर्माण कर ज़रूरतमन्दों की सहायता की जाये।   

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24 September 2021, 12:34