कोरियाई कलीसिया ने अपने प्रथम पुरोहित का 200वां जन्म दिवस मनाया
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
कोरिया, शनिवार, 21 अगस्त 2021 (वीएनएस)- कोरिया के पहले काथलिक पुरोहित अंद्रेया किम ताएगोन 1846 में विश्वास के कारण शहीद हो गये थे और संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने उन्हें सन् 1984 में संत घोषित किया। उनकी यादगारी में 21 अगस्त को दोपहर 3.30 बजे संत पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित किया गया।
प्रथम कोरियाई काथलिक पुरोहित के 200वें जन्म दिवस के अवसर पर याजकों के लिए गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के अध्यक्ष कोरिया के महाधर्माध्यक्ष लाज्जारो यू ने समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित किया।
महाधर्माध्यक्ष लाज्जारो ने शहीद ताएगोन की शहादत से पहले, सरकारी अधिकारी द्वारा उनसे किये गये वार्तालाप की याद की। अधिकारी ने ताएगोन से पूछा था, "क्या तुम काथलिक हो?" और उन्होंने जवाब दिया "हाँ मैं काथलिक हूँ।" यद्यपि उन्हें अपनी जान का खतरा था फिर भी उन्होंने अपने विश्वास की अभिव्यक्ति की।
कोरिया के पहले काथलिक पुरोहित 1846 में शहीद हो गये थे। उन्होंने अपने विश्वास का साक्ष्य दिया। इस प्रकार उनके विश्वास पर जीवन के सर्वोच्च बलिदान की मुहर लगी जो आज भी कोरिया के लोगों के लिए जीवन रक्त एवं उनके इतिहास में उनकी पहचान के समान है।
दक्षिणी कोरिया का विश्वास एवं जयन्ती वर्ष का विशेष अवसर
संत अंद्रेया का जन्म 21 अगस्त 1821 को एक ख्रीस्तीय परिवार में हुआ था जिनके पिता ने अपने घर को एक घरेलू कलीसिया में बदल दिया था। संत के परिवार की चार पीढ़ियों में 11 सदस्यों को प्रभु के लिए शहीद होना पड़ा और उनमें से पाँच की धन्य घोषणा हो चुकी है और बाकी संत घोषित हो चुके हैं।
अंद्रेया जब 15 साल के थे तभी उन्होंने अत्याचार के शिकार लोगों के बीच काम किया। जब वे 25 साल के भी नहीं थे तभी विश्वास का त्याग नहीं करने के कारण उनका कत्ल कर दिया गया।
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