कोरिया की कलीसिया म्यांमार की जनता के करीब
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
कोरिया, बृहस्पतिवार, 18 मार्च 21 (वीएनएस) – कोरियाई काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने म्यांमार में हिंसा एवं रक्तपात की घटनाओं के प्रति गहरी चिंता व्यक्त की है, जिसमें तख्तापलट विरोधी प्रदर्शनकारियों को रोकने के प्रयास में पुलिस ने क्रूरता पूर्वक लोगों को मार डाला है।
म्यांमार जो 1 फरवरी को सैन्य तख्तापलट के कारण अब तनाव में है, कोरिया के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के लिए सेओल में आयोजित 8 से 12 मार्च की सभा में चर्चा का विषय था। सभा के अंत में धर्माध्यक्षों ने सैन्य शासन के अंत एवं प्रजातंत्र को पुनः स्थापित करने हेतु म्यांमार के लोगों के प्रति कोरिया की कलीसिया की एकजुटता व्यक्त करते हुए एक बयान जारी किया।
भाईचारा पूर्ण एकात्मता
बयान में कहा गया है कि "इस चालीसा काल में क्रूस एवं पुनरूत्थान के रहस्य पर गहराई से चिंतन करते हुए कोरिया की काथलिक कलीसिया, म्यांमार के भाइयों एवं बहनों के प्रति भाईचारापूर्ण एकात्मता व्यक्त करता है जो क्रूस के रास्ते पर चल रहे हैं जब उन्हें अकथनीय दुःख और पीड़ा सहना पड़ रहा है।" "अनेक लोगों ने लहू बहाया और मर गये क्योंकि उन्होंने स्वतंत्रता, प्रजातंत्र, शांति और प्रतिष्ठित जीवन जिसको कोई छीन नहीं सकता, उसके लिए आवाज उठायी।"
सिस्टर तवंग की पुकार
धर्माध्यक्षों ने कहा कि कोचिन राज्य के मैथेइना की जवेरियन धर्मबहन, सिस्टर अन्न रोसा नू तवंग के साहस से, वे बहुत प्रभावित हुए जो 28 फरवरी को घुटनी टेककर पुलिस से अर्जी की कि वह शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को बचाये। 45 वर्ष की धर्मबहन ने भारी पुलिस बल के सामने जमीन पर घुटनी टेककर पुलिस अधिकारियों से कहा था, "उनके बदले मुझे मार डालिए।" यह पुकार हमारे कानों में जोरों से गूँज रही है। विरोध स्थलों में अंधाधुंध हिंसा तुरंत समाप्त होनी चाहिए। संत पापा के प्रेरितिक विश्व पत्र फ्रातेल्ली तूत्ती के शब्दों में धर्माध्यक्षों ने कहा कि हर हिंसा दुनिया को पहले से अधिक बुरी स्थिति में छोड़ती है।
खुद कोरिया में संघर्ष की याद
कोरियाई धर्माध्यक्षों ने दक्षिण कोरिया के लोगों की याद की जिन्होंने इसी तरह की स्थिति 1980 के दशक में झेली थी जब लोग चुन डू-ह्वान की सैन्य तानाशाही के खिलाफ उठे, जो 1987 में समाप्त हो गया। उन्होंने कहा कि कोरिया के लोगों ने इतिहास से सीखा है कि आम जनता एवं सरल लोगों के बीच एकजुटता से एक नई दुनिया की रचना हो सकती है। धर्माध्यक्षों ने प्रार्थना की कि प्रजातंत्र पर आधारित एक राष्ट्र जिसकी कामना म्यांमार के सभी लोग कर रहे हैं, वह जितनी जल्दी हो सके खुले मन से वार्ता करने के द्वारा स्थापित किया जाए।
कार्डिनल येओम के सामीप्य का भाव
इस बीच, सेओल के कार्डिनल अंड्रू येओम सो युंग ने एक अलग पत्र भेजाकर म्यांमार की कलीसिया एवं विश्वासियों के प्रति अपना सामीप्य व्यक्त किया है। उन्होंने लिखा है, "मैं म्यांमार के शांतिमय प्रदर्शन में सैनिको के क्रूर हमले के समाचार से अत्यन्त दुःखी हूँ। मैं मानता हूँ कि लोगों का दमन करने के लिए सैनिकों द्वारा हिंसा के प्रयोग को कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता।" कार्डिनल येओम ने अपना पत्र म्यांमार में यंगून के कार्डिनल चार्ल्स बो को प्रेषित किया है। उन्होंने लिखा है कि वे म्यांमार के लोगों के प्रजातंत्र की चाह का पूर्ण समर्थन करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वे इसे बहुत जल्दी वापस प्राप्त करेंगे। म्यांमार के कार्डिनल को उन्होंने लिखा, "आपको मालूम हो कि सेओल महाधर्मप्रांत के सभी पुरोहित, धर्मसमाजी एवं विश्वासी, देश में प्रजातंत्र को बचाने के लिए इमानदारी से प्रार्थना कर रहे हैं।"
अपने सामीप्य के चिन्ह स्वरूप सेओल के कार्डिनल ने कार्डिनल बो को म्यांमार के प्रेरितिक राजदूत के माध्यम से 50,000 डॉलर भेंट किया।
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here