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 ख्रीस्तियों के धर को बरवाद करते हुए गैर-ख्रीस्तीय लोग ख्रीस्तियों के धर को बरवाद करते हुए गैर-ख्रीस्तीय लोग 

विश्वास के लिए घरों से भागने को मजबूर ख्रीस्तियों पर खतरा बरकरार

इस वर्ष के सितम्बर महीने में करीब ककराबेड़ा के ख्रीस्तियों पर अपने विश्वास को छोड़ने से इनकार करने पर हमला किया गया। उन्होंने जंगलों में शरण ली। बिलासपुर उच्च न्यायालय ने कोंडागांव जिला प्रशासन को उनकी वापसी की सुविधा और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया। फिर भी वे नष्ट किए गए अपने घरों में वापस जाने की हिम्मत नहीं रखते हैं।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

छत्तीसगढ़, बुधवार 18 नवम्बर 2020 (वाटिकन न्यूज) :  भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में 22 और 23 सितंबर को ककराबेड़ा के करीब 100 ख्रीस्तियों पर अपने विश्वास को छोड़ने से इनकार करने पर हमला किया गया। वे सभी अपने प्राण बचाने के लिए अपने घरों को छोड़ जंगलों में भाग गये थे और अब अपने गांवों में लौट आए हैं।

पुलिस चौकी की स्थापना

 पिछले सप्ताह बिलासपुर उच्च न्यायालय ने कोंडागांव जिला प्रशासन को उनकी वापसी की सुविधा और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया। 8 नवंबर के कोर्ट के आदेश के बाद, प्रशासन ने एक पुलिस चौकी स्थापित की और 12 एजेंट भेजकर उन क्षेत्रों में ख्रीस्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई।

न्यायालय को भेजी गई याचिका पर हस्ताक्षर करने वाले शिव राम ने 17 नवंबर को उका न्यूज़ से बात की। उनहोंने बताया कि कैसे ख्रीस्तीय अपने गाँव काकराबेड़ा से निष्कासित हो गए। उनहें अपने जीवन के लिए भय है और वे सुरक्षित महसूस नहीं करते, यहाँ तक कि सभी 66 लोग अस्थायी आश्रय में एक साथ खाना बनाते, खाते और रहते हैं लेकिन नष्ट किए गए अपने घरों में वापस जाने की हिम्मत नहीं रखते हैं।

मुआवजे का वादा

राम ने कहा कि सरकार ने घरों और घरेलू सामानों के नुकसान के लिए मुआवजे का वादा किया है। उन्होंने कहा, "अधिकारियों ने हमारे घरों का दौरा किया और क्षति का विवरण दर्ज किया लेकिन हम नहीं जानते कि वे हमें मुआवजा कब देंगे।"

पादरी मूसा लोगन ने उका न्यूज को बताया कि न्याय के लिए संघर्ष जारी रहेगा। ख्रीस्तियों ने अपने उपर हो रहे हमले के विरुद्ध न्याय याचिका प्रधान मंत्री और अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को पेश की है।

 छत्तीसगढ़ राज्य ईसाई कल्याण सोसायटी के अध्यक्ष पादरी लोगन ने कहा, "जब तक दोषियों को सजा नहीं दी जाती है, तब तक हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।"

देश में ख्रीस्तियों के खिलाफ उत्पीड़न की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत में उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के बाद छत्तीसगढ़ ख्रीस्तियों के लिए तीसरा सबसे खतरनाक राज्य बन गया है। 2020 के पहले नौ महीनों में, राज्य ने उत्पीड़न की 39 घटनाएं दर्ज कीं। पिछले साल 21 घटनाएँ दर्ज की गई थीं।

18 November 2020, 15:33