फ्राँसिस की अर्थव्यवस्था ˸ बेहतर वैश्विक प्रणाली की शुरूआत
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, मंगलवार, 17 नवम्बर 2020 (वीएन) - फ्राँसिस की अर्थव्यवस्था का उद्घाटन बृहस्पतिवार 19 नवम्बर को शुरू होनेवाला है। यह ऑनलाईन कार्यक्रम है और तीन दिनों तक चलेगा। कार्यक्रम का मुख्य केंद्र इताली शहर असीसी होगा।
संत पापा के आह्वान पर आयोजित इस कार्यक्रम की उम्मीद है युवाओं को प्रेरित करना कि वे संत फ्राँसिस असीसी के पदचिन्हों एवं विश्व पत्र लौदातो सी के अनुसार वैश्विक परिवर्तन प्रणाली की शुरूआत करें।
दूसरा लक्ष्य है युवा अर्थशास्त्रियों और उद्यमियों को न्याय, समावेशिता और स्थिरता के साथ आर्थिक प्रणाली को पुनर्निर्मित करने की दिशा में काम करने हेतु प्रेरित करना है जैसा कि संत पापा फ्रांसिस के हाल में प्रकाशित विश्व पत्र फतेल्ली तूत्ती में कहा गया है। फ्राँसिस की अर्थव्यवस्था काम, वित्त, शिक्षा एवं कृत्रिम बुद्धिमता पर प्रकाश डालेगी।
एक साथ काम करनेवाला समुदाय
अन्ना मरिया जोर्जी के अनुसार फ्राँसिस की अर्थव्यवस्था एक समुदाय है ऐसे लोगों का, जो जीवन की विभिन्न दशाओं से आते हैं किन्तु जो विश्वास करते हैं कि अभी हमारी जो आर्थिक स्थिति है उसे हम बेहतर कर सकते हैं।
भारत से बेंगलुरू की यह युवा काथलिक शिक्षिका का कहना है कि वह और उसके साथी उम्मीद करते हैं कि वे मानव व्यक्ति एवं मानव प्रतिष्ठा पर केंद्रित एक नई सच्चाई को उत्पन्न करने में मदद कर सकते हैं।
आप परिवर्तन लायें जिसको देखना चाहते हैं
कोई पूछ सकता है कि क्या युवा लोग बेहतर के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था में बदलाव ला सकते हैं?
उन्होंने कहा, "विश्व अर्थव्यवस्था जितना अधिक विस्तृत है, यह हम प्रत्येक से शुरू हो सकती है। इसका अर्थ है कि इसकी शुरूआत मेरे समान युवा से हो सकती है, मेरे घर में, मेरे कार्यस्थल में और जो चुनाव में करती हूँ उसके द्वारा।"
हल्की लहर के रूप में फ्राँसिस की अर्थव्यवस्था एक परिवर्तन लाना चाहती है, दुनिया भर के युवाओं को एक मंच देते हुए कि वे एक साथ आयें और विचार-मंथन करें।
वैश्विक समस्या, स्थानीय समाधान
जब फोकलारे आंदोलन की युवा सदस्य पहली बार इस अवसर में भाग ली, उसने आर्थिक समस्या का अनुभव किया, उसने दुनिया के अपने हिस्से में देखा कि वह उस क्षेत्र के लिए विशिष्ट थी।
विश्व के अन्य हिस्से के लोगों से मुलाकात करने के बाद जोर्जी ने महसूस किया कि वास्तव में कई समस्याएँ एक समान हैं और उनमें से कई समस्याओं की जड़ भी एक ही हैं। उन्होंने उसका निदान पड़ोसी के प्रति प्रेम बतलाया।
बच्चों को मेरे पास आने दो
जोर्जी ने वास्तुकार पर ट्रेनिंग प्राप्त की है एवं काम भी करती थीं किन्तु कुछ ही दिनों बाद इंडिया फेलोशिप में पढ़ाना करना शुरू किया, जिसके द्वारा वे शहरी झुग्गियों में रहनेवाले गरीब बच्चों को कई विषय पढ़ाती हैं। उनका मानना है कि सबसे प्रभावशाली परिवर्तन बच्चों से शुरू होता है।
उनका कहना है कि "बेहतर अर्थव्यवस्था के लिए चाहिए कि सभी लोगों के साथ मानव व्यक्ति की तरह वर्ताव किया जाए, सभी को मानव के रूप में देखा जाए और इसकी शुरूआत, खासकर, बच्चों से किया जाए।
आत्मा का भोजन
हालाँकि वैश्विक अर्थव्यवस्था एक आत्मारहित, अवैयक्तिक इकाई लग सकती है, लेकिन असीसी के युवा प्रतिभागियों को ऐसा नहीं भी लग सकता है।
"फ्राँसिस की अर्थव्यवस्था वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक आत्मा, एक स्वाद और एक व्यक्तित्व प्रदान करने की कोशिश कर रही है। यह एक समान नहीं है बल्कि विभिन्न प्रकार के लोगों द्वारा अपने थोड़े हिस्से को एक साथ लाते हुए, वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक आत्मा की सृष्टि का प्रयास है।"