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केरल की एक काथलिक पल्ली प्रार्थना करते हुए (प्रतीकात्मक तस्वीर) केरल की एक काथलिक पल्ली प्रार्थना करते हुए (प्रतीकात्मक तस्वीर)  

केरलः ख्रीस्तीयों के विरुद्ध भेदभाव को समाप्त करें

केरल राज्य के काथलिक धर्माध्यक्षों ने ख्रीस्तीयों के विरुद्ध भेदभाव की समाप्ति हेतु अपने अभियान को सघन करते हुए अल्पसंख्यकों के लिये नियत सरकारी सुविधाओं में न्यायसम्मत भागीदारी की मांग की है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

कोची, शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2020 (रेई, वाटिकन रेडियो): केरल राज्य के काथलिक धर्माध्यक्षों ने ख्रीस्तीयों के विरुद्ध भेदभाव की समाप्ति हेतु अपने अभियान को सघन करते हुए अल्पसंख्यकों के लिये नियत सरकारी सुविधाओं में न्यायसम्मत भागीदारी की मांग की है।

केरल स्थित पूर्वी रीति की सिरो मलाबार कलीसिया के प्रतिनिधि धर्माध्यक्षों ने 27 अक्टूबर को केरल के मुख्य मंत्री पिन्नारई विजयन से मुलाकात कर धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए सुनिश्चित्त संघीय अनुदान को, अल्पसंख्यक समुदायों के प्रतिशत के अनुपात में वितरित करने हेतु, मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप की मांग की।

न्यायसम्मत वितरण की मांग

मुख्य मंत्री विजयन के समक्ष प्रस्तुत एक ज्ञापन में उन्होंने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि शिक्षा एवं रोज़गार के लिये धार्मिक अल्पसंख्यकों को मिलनेवाले सरकारी अनुदान का 80 प्रतिशत मुसलमानों को मिलता है। इसकी तुलना में ख्रीस्तीयों को 20 प्रतिशत से भी कम अनुदान मिल पाता है।

ख्रीस्तीयों नेताओं का मानना है कि, सांख्यिकीय रूप से, ईसाइयों को कम से कम 40 प्रतिशत हिस्सा मिलना चाहिए, जबकि मुसलमानों को, जनसांख्यिकी के आधार पर, 60 प्रतिशत से अधिक नहीं मिलना चाहिए।

केरल राज्य की 3.6 करोड़ की कुल आबादी में ख्रीस्तीय 18.38 प्रतिशत ङै। 26.56 प्रतिशत के साथ मुसलिम समुदाय राज्य का सर्वाधिक विशाल धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय है। केरल में 54.73 प्रतिशत हिंदू धर्मानुयायी हैं। शेष धार्मिक अल्पसंख्यक सिक्ख, बौद्ध, जैन एवं पारसी धर्मों के अनुयायी हैं।

अध्यापकों की नियुक्ति की स्वतंत्रता

धर्माध्यक्षों के ज्ञापन पत्र में कहा गया कि राज्य में जनसंख्या अनुपात के अनुसार अल्पसंख्यकों के बीच लाभ को समान रूप से वितरित नहीं किया जाता है। इसके अतिरिक्त, धर्माध्यक्षों ने काथलिक स्कूलों में अध्यापकों की नियुक्ति की स्वतंत्रता की मांग की। उन्होंने कहा कि विगत पाँच वर्षों से अध्यापकों की खाली सीटों को नहीं भरा जा सका है।

राज्य के 13,000 से अधिक स्कूलों में से, लगभग 5,000 स्कूलों का प्रबंधन एवं संचालन काथलिक कलीसिया एवं अन्य ख्रीस्तीय सम्प्रदाय करते हैं। इनमें से कम से कम पचास प्रतिशत स्कूल सरकार के आर्थिक अनुदान पर चलते हैं।

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30 October 2020, 11:12