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द. अफ्रीका का प्राकृतिक दृश्य द. अफ्रीका का प्राकृतिक दृश्य 

सृष्टि के मौसम पर पहलों को बढ़ा रहा है अफ्रीका

अफ्रीका में सतत विकास के मॉडल को बढ़ावा देने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कम करने में सबसे आगे कलीसियाएँ और गैर सरकारी संगठन हैं।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

केन्या, सोमवार 28 सितम्बर 2020 (वाटिकन न्यूज) : कलीसियाओं द्वारा 1 सितंबर से 4 अक्टूबर असीसी के संत फ्रांसिस के पर्ब दिवस तक ‘सृष्टि के मौसम’ के तहत प्रार्थना और पारिस्थितिक कार्यों की प्रगति का महीना घोषित किया गया है। अफ्रीका में भी सृष्टि के मौसम के लिए कलीसियाओं और गैर सरकारी संगठनों द्वारा कई पहल शुरु किये गये हैं, जैसे नए वृक्षारोपण, बच्चों के लिए पर्यावरण का सम्मान करने के लिए शिक्षा अभियान, स्थानीय समुदायों में जागरूकता बढ़ाने वाले काम, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का प्रचार सेमिनार वगैरह।

कलीसियाओं की प्रतिबद्धता

अपने 1.3 बिलियन निवासियों के साथ, अफ्रीका जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के प्रभावों के संपर्क में आने वाले महाद्वीपों में से एक है, लेकिन इसमें एक सतत विकास मॉडल को बढ़ावा देने की भी काफी संभावना है जो वर्तमान परिस्थिति को पलट सकता है। कलीसियाएँ जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के प्रभावों को कम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और अनेक कदम उठाये हैं जैसे, वैश्विक काथलिक जलवायु आंदोलन (जीसीसीएम) के अफ्रीकी अनुभाग द्वारा केन्या में प्रचारित एक नई पहल है। हाल के दिनों में वैश्विक काथलिक जलवायु आंदोलन ने जंगल में 700 वृक्षारोपण किया है। देश में एकमात्र बचा हुआ वर्षावन काकमेगा है, अब मानव गतिविधियों, प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के कारण वनों की कटाई से खतरे में है। “पेड़ों की अवैध कटाई, मधुमक्खी का शिकार इको-सिस्टम को नष्ट कर देता है। शिकार और विभिन्न अन्य मानवीय गतिविधियां जो जंगल के आसपास रहने वाले जनजातीय समुदायों की जीविका उपार्जन की साधन हैं, तेजी से वनों की कटाई और जंगल काफी हद तक नष्ट होने के कारण उनका जीवन खतरे में है।  

"अमचेया ब्लॉग के साथ एक साक्षात्कार में, ईस्ट अफ्रीका के धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के जीसीसीएम के कार्यक्रम प्रबंधक, फादर बेनेडिक्ट अयोधी ने पहल के बारे में बताया कि इस पहल में विभिन्न कलीसियाओं के 500 लोगों ने भाग लिया। उन्हें सृष्टि के मौसम के अर्थ के बारे में लोगों को जागरूक करने, ईश्वर और सृष्टि की सभी वस्तुओं के साथ हमारे संबंधों को नवीनीकृत करने हेतु जागृत किया गया।

केन्या और बच्चे

 केन्या के केरिचो धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष अल्फ्रेड रोटिच ने संत पापा फ्राँसिस के विश्व पत्र "लौदातो सी" की पांचवीं वर्षगांठ के अवसर पर, पूरे धर्मप्रांत के पल्ली पुरोहितों को अपनी पल्लियों के विश्वासियों को संत पापा के आम घर की देखभाल दस्तावेज के बारे जानकारी देने और जागरुकता बढ़ाने हेतु आग्रह किया। इस मुद्दे पर जागरूकता छोटों से शुरू होती है। पल्ली पुरोहित, फादर मुतुकु ने ‘मिशनरी चाइल्डहुड’ संगठन के सहयोग से बच्चों के लिए शैक्षिक गतिविधियों को आयोजित करने का निर्णय लिया है, जिसमें बच्चों को धरती माँ की देखभाल का महत्व सिखाया जाएगा और उन्हें वृक्षारोपन में भी शामिल किया जाएगा। जिससे कि बच्चे कम उम्र से पृथ्वी के महत्व को समझेंगे और बड़े होकर भी पर्यावरण की देखभाल करने में अपना सहयोग दे पायेंगे।"

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28 September 2020, 14:31