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पेरियानायागी के माता मरियम तीर्थस्थल पर विश्व रोगी दिवस

पीड़ितों के लिए एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया था। तीर्थस्थल का इतिहास, खोयी हुई मरियम की प्रतिमा के तमिलनाडु जंगल में पाये जाने से जुड़ा है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

मुम्बई, मंगलवार, 11 फरवरी 2020 (रेई)˸ तीर्थस्थल के संचालक फादर देवासाहाय राज एम. जकारियस ने बतलाया कि "तमिलनाडु में पेरियानायागी की माता मरियम के तीर्थस्थल पर विश्व रोगी दिवस मनाया गया।"

उन्होंने बतलाया कि ख्रीस्तयाग के उपरांत सभी रोगियों पर आशीष दी गयी। मिस्सा में बधिर स्कूल के 85 विद्यार्थियों ने भी भाग लिया।

फादर ने बतलाया, "तीर्थस्थल में हर तरह के संतानहीन दम्पति आते हैं और माता मरियम को साड़ी भेंट करते हैं क्योंकि माता मरियम की प्रतिमा को भारतीय नारी के रूप में सजायी गई है।"

तीर्थस्थल की स्थापना 1720 में एक जेस्विट मिशनरी फादर बेस्की ने की थी। तीर्थस्थल का इतिहास महत्वपूर्ण है। फादर ने बतलाया कि तीर्थस्थल के आस-पास एक समय जंगल था जहाँ लोग पशु चराने आया करते थे।

17वीं शताब्दी में फादर बेस्की जो एक महान इताली मिशनरी थे तमिलनाडु में सुसमाचार का प्रचार कर रहे थे। उन्होंने कुम्बोकोनाम में माता मरियम की दो मूर्तियों को स्थापित करने के लिए लाया था।

जब वे एलाकूरिकी जाने के रास्ते पर मूर्तियों के साथ यात्रा कर रहे थे, थकान लगने पर वे पेड़ के नीचे सो गये। कुछ बच्चे जो निकट में पशु चरा रहे थे उन्होंने एक मूर्ति को झाड़ी के पीछे छिपा लिया। जब फादर बेस्की उठे तो एक मूर्ति को वहाँ न पाकर हैरान हुए और दुःखी होकर अपने रास्ते आगे बढ़ गये।   

तीर्थस्थल का इतिहास एक अन्य कहानी से भी जुड़ा है। एक व्यक्ति जिसका नाम काचिरायार था उसके कोई संतान नहीं थे। वह हरेक दिन संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करता था।

एक दिन माता मरियम ने उसे स्वाप्न में दर्शन दिया और कहा, काचिरायार, मैं जंगल में अकेली हूँ। यदि तुम मेरे लिए एक प्रार्थनालय बनाओगे तो मैं तुम्हें संतान प्रदान करूँगी। इतना कहने के बाद वह अंतर्ध्यान हो गयी।

स्वाप्न देखने के बाद वह व्यक्ति जंगल में माता मरियम की खोज करने गया और एक विशाल झाड़ी के पीछे उसे पा लिया।

बाद में लोगों ने वहाँ एक छोटा प्रार्थनालय बनाया और उसमें माता मरियम की प्रतिमा को रख दिया एवं उसकी पूजा करने लगे। फादर देवासाहाय राज ने बतलाया कि यही वह प्रतिमा है जो तीर्थस्थल में स्थापित है। व्यक्ति ने जैसा स्वाप्न देखा था, उसकी पत्नी गर्भवती हुई और एक पुत्र को जन्म दी।  

कुछ दिनों बाद फादर बेस्की इस घटना के बारे सुनकर कोनानकुप्पाम आये और वहाँ एक छोटा प्रार्थनालय में खोई हुई माता मरियम की प्रतिमा को देखकर बहुत खुश हुए। उन्होंने वहीं रहकर काम करना शुरू किया और एक तीर्थस्थल का निर्माण किया जो आज भी मौजूद है।  

 

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11 February 2020, 17:01