उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
कोलोम्बिया, मंगलवार, 11 फरवरी 2020 (रेई)˸कोलोम्बिया के धर्माध्यक्षों ने अपनी 109वीं आमसभा के अंत में एक प्रेस सम्मेलन में जारी संदेश में 7 मुख्य विन्दुओं को प्रस्तुत किया।
वे विन्दु हैं ˸ - जीवन की रक्षा एवं सम्मान।
- सामाजिक संवाद की आवश्यकता।
- देश की आम योजना की प्राप्ति।
- शांति प्रक्रिया को ठोस समर्थन।
- मानव तस्करी एवं नशीली पदार्थों की तस्करी की गंभीर बुराई एवं इसके सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक परिणामों को पहचानना।
- आप्रवासी हमारे भाई-बहनों का स्वागत।
- समग्र पारिस्थितिकी को प्रोत्साहन।
संदेश में कहा गया है कि निर्णायक, जटिल और चिंताजनक ऐतिहासिक क्षण का सामना करते हुए देश में, "यह आवश्यक है कि सुनने, चिंतन करने, वार्ता, एकता एवं समर्पण के मनोभाव को अपनाया जाए ताकि हर कठिनाई को अवसर में बदला जा सके।"
कोलोम्बिया में इस समय वेनेजुएला से आप्रवासी बड़ी संख्या में प्रवेश कर रहे हैं। हाल के महीनों में राष्ट्रपति इवान दुक्वे के प्रशासन के लिए लोगों ने सड़कों पर प्रदर्शन भी किया था। सरकार के अलोकप्रिय आर्थिक योजनाओं और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं तथा भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने वालों की हत्या में सरकार की कार्रवाई की कमी के कारण भी लोग परेशान हैं।
जीवन
जारी दस्तावेज में कहा गया है कि कोलोम्बिया की कलीसिया जीवन की रक्षा एवं सम्मान पर जोर देती है। धर्माध्यक्षों ने हिंसा को समाप्त किये जाने की अपील की है जो लोगों एवं समुदायों में बोझ उत्पन्न करता है क्योंकि न ही हथियार और न ही विचारों को थोपने से कुछ हासिल किया जा सकता है।
वार्ता
धर्माध्यक्षों का मानना है कि वार्ता के द्वारा कलीसिया लोगों की आवश्यकताओं को पहचान सकती है तथा राष्ट्र एवं नागरिक समाज के बीच संबंध को मजबूत कर सकती है।
शांति
उन्होंने शांति प्रक्रिया के महत्व पर बल दिया है, खासकर, पीड़ितों और हथियार छोड़कर समाज में पुनः एकीकरण का प्रयास कर रहे लोगों पर विशेष ध्यान दिये जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वार्ता के द्वार को खुला रखना एवं मेल-मिलाप हेतु अथक संघर्ष करना आवश्यक है।
शोषण एवं तस्करी
धर्माध्यक्षों ने गौर किया कि इन प्रयासों के साथ, नशीली पदार्थों की तस्करी और इससे जुड़ी गतिविधियों एवं अमानवीय तथा अन्याय के कार्यों के कारण आप्रवासियों के मध्य हो रहे शोषण को रोकना है।
हमारा आमघर
अंततः समग्र पारिस्थितिकी के संबंध में धर्माध्यक्षों ने कहा कि ईश्वर द्वारा मानव को सौंपी गयी सृष्टि पर गंभीर एवं अपूरणीय क्षति को कम करने के लिए कार्य करना है ताकि आमघर बना रहे। अमाजोन पर धर्माध्यक्षीय धर्मसभा का हवाला देते हुए धर्माध्यक्षों ने कहा कि ग्रह के जैविक हृदय के लिए तथा समुदाय जो इसमें निवास करते हैं उनके प्रति हमें ठोस एवं स्पष्ट समर्पण की आवश्यकता है, विशेषकर, आदिवासी लोगों के लिए।