पाकिस्तानी धर्माध्यक्ष, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में वृद्धि
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
पाकिस्तान, बृहस्पतिवार 17 अक्टूबर 2019 (रेई)˸ हाल के महीनों में हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है, विशेषकर, धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ। इस तरह की नवीनतम घटना ओकारा के एक ख्रीस्तीय गाँव एंटोनियो अबाद में देखने को मिला जहाँ कब्रों में लगे क्रूस को तोड़ा गया है। पाकिस्तान के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के न्याय एवं शांति आयोग ने ऐसी घटनाओं के लिए चिंता व्यक्त की है।
न्याय एवं शांति आयोग की रिपोर्ट
न्याय एवं शांति आयोग ने फिदेस को प्रेषित एक रिपोर्ट में कहा है कि विगत कुछ महीनों में कई घटनाएँ हुई हैं। 12 मई को कुछ विश्वासियों ने गौर किया कि 40 काथलिक कब्रों के क्रूस को तोड़ा गया था। मई के अंत में जावेद मसीह नाम के 36 साल के एक ख्रीस्तीय को फैसलबाद के निकट एक गाँव में, धार्मिक भेदभाव द्वारा प्रताड़ित करने के बाद मार डाला गया। आयोग के रिपोर्ट की सूची में एक हिन्दू डॉक्टर रामेश कुमार पर ईशनिंदा का आरोप है। आरोप के अनुसार उन्होंने दवाई को एक ऐसे कागज से लपेटा था जिसमें कुरान से छंद अंकित थे। इस आरोप के कारण भीड़ ने डॉक्टर के कार्यालय पर आग लगा दी।
उनके विश्वास के कारण अल्पसंख्यकों पर हिंसक हमले
न्याय एवं शांति आयोग ने धार्मिक अल्पसंख्यकों पर उनके विश्वास के कारण लक्षित हिंसक हमलों की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा है कि अल्पसंख्यकों पर इस तरह के हमले सहन नहीं किये जायेंगे और देश को अपने सभी नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना चाहिए। आयोग के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष जोसेफ अर्शद, निदेशक फादर इम्मानुएल युसेफ और उपनिदेशक सेसिल शेन चौधरी ने सरकार से अपील की है कि वह "पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 36 के तहत अल्पसंख्यकों की सुरक्षा हेतु तत्काल प्रभावशाली कदम उठाये" और हिंसा के अपराधियों का न्याय करे।
धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा
फिदेस को प्रेषित वक्तव्य में कहा गया है कि "यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों के वैध अधिकारों के प्रचार और संरक्षण के लिए 19 जून 2014 के उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू करे।" डर व्यक्त की गयी है कि अल्पसंख्यकों को अब भी द्वितीय स्तर का नागरिक माना जाता है अतः फादर इम्मानुएल ने कहा है कि इन हमलों के कारण पाकिस्तान के कई अल्पसंख्यकों में गंभीर भय उत्पन्न हो रहा है। उन्होंने मांग की है कि मानव अधिकार के राष्ट्रीय कार्य योजना को लागू किया जाए।
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