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आयरलैंड के नोक का तीर्थस्थल आयरलैंड के नोक का तीर्थस्थल 

नोक की कलीसिया ने याद किया दिव्यदर्शन की 140वीं वर्षगाँठ को

आयरलैंड के नोक में 21 अगस्त को, कुँवारी मरियम, संत जोसेफ, सुसमाचार लेखक संत योहन और वेदी पर येसु ख्रीस्त ईश्वर के मेमने के दिव्यदर्शन की 140वीं वर्षगाँठ मनायी गयी। यह दिव्यदर्शन पश्चिमी आयरलैंड के एक छोटे गाँव में सन् 1879 में 15 लोगों को प्राप्त हुआ था।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

दिव्यदर्शन के समय से ही नोक आयरलैंड एवं आसपास के देशों के ख्रीस्तियों के लिए भक्ति का केंद्र बना हुआ है। पिछले साल संत पापा फ्राँसिस ने आयरलैंड में अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान इस तीर्थस्थल का दर्शन किया था। उनके पूर्व संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने भी 1979 के दौरान आयरलैंड की प्रेरितिक यात्रा के दौरान तीर्थस्थल का दौरा किया था।

नोक तीर्थस्थल की वर्षगाँठ समारोह के दौरान उन तीर्थयात्रियों ने भी भाग लिया जिन्होंने पिछले सप्ताह संत पापा फ्राँसिस से आशीर्वाद प्राप्त किया। बुधवार 21 अगस्त की शाम को दिव्यदर्शन के मूल गवाहों के पदचिन्हों पर एक तीर्थयात्रा की गयी। आयरलैंड के प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष जूड थदेयूस ओकोलो और तुअम के महाधर्माध्यक्ष मिखाएल नेयारी ने वर्षगाँठ के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का नेतृत्व किया। तीर्थस्थल पर ख्रीस्तयाग शाम 8.00 बजे अर्पित किया गया।  

नोक पल्ली पुरोहित एवं तीर्थस्थल के अध्यक्ष फादर रिचार्ड गिब्बोन ने वाटिकन न्यूज को घटना के बारे बतलाते हुए कहा, "उन्हें कोई संदेश नहीं दिया गया था तथा दिव्यदर्शन का एक मूल पहलू है कि संदेश को उन्होंने उस झांकी में देखा जो उनके सामने दिखाई दिया।"

फादर ने बतलाया कि उन्होंने धन्य कुँवारी मरियम, संत योसेफ और संत योहन तथा वेदी पर एक मेमने को देखा जो येसु ख्रीस्त ईश्वर के मेमने हैं। दिव्यदर्शन प्राप्त करने वालों के अनुसार वहाँ एक क्रूस भी था जो स्वर्गदूतों से घिरा था। दिव्यदर्शन एक तेज प्रकाश में हुआ जिसको गिरजाघर के दूर से भी लोगों ने देखा।   

फादर गिब्बोन ने बतलाया कि आयरिश लोगों की आध्यात्मिकता में धन्य कुँवारी मरियम की विशेष भूमिका रही है। दिव्यदर्शन में सुसमाचार लेखक संत योहन का प्रकट होना असाधारण बात थी जो एक हाथ में किताब लिए हुए थे और दूसरे हाथ को उठाये हुए थे, मानो कि प्रवचन दे रहे हों।

फादर ने कहा किन्तु दिव्यदर्शन के केंद्र में माता मरियम नहीं हैं, इसका केंद्र वेदी है, उसके ऊपर मेमना और क्रूस जो यूखरिस्त का प्रतीक है। उन्होंने याद किया कि आयरलैंड में दण्ड सहिंता के अंधकारमय युग में भी लोगों के लिए यूखरिस्त अत्यन्त महत्वपूर्ण था जो अपने विश्वास को बनाये रखना चाहते थे।

40 वर्षों पूर्व संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने दिव्यदर्शन की शतवर्षीय जयन्ती के अवसर पर नोक तीर्थस्थल का दर्शन किया था। उनका अनुसरण करते हुए 2018 में संत पापा फ्राँसिस ने भी नोक का दौरा किया। इन अवसरों पर दोनों ही संत पापाओं ने नोक के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि यह विश्वास को बनाये रखने में सहायक है, यह सुसमाचार प्रचार के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है। फादर गिब्बोन ने कहा कि संत पापा फ्राँसिस ने एक आशा का संकेत दिया कि विश्व के दूसरे तीर्थस्थलों की तरह नोक भी शांति का स्थान बना रहेगा जहाँ लोग विश्वास में फिर से जुड़ेंगे।    

आज नोक विकसित है हमारा पूरा ध्यान देश के विश्वास के नवीनीकरण पर है अतः नोक में जो कुछ भी होता है इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि उसे लोगों तक किस तरह पहुँचा जाए? किस तरह विश्वास की बातों को लोगों तक पहुँचाया जाए? किस तरह हम पुनः उनसे जुड़ सकें तथा काथलिक धर्म और विश्वास को जीने की सुन्दरता को दिखाया जाए? फादर ने कहा कि ऐसा करने के लिए वे लोगों के विश्वास पर गौर करते हैं कि वे किस स्थिति में है, खासकर, मेल-मिलाप के संस्कार में लोगों की रूचि देखी जाती है। जिसे तीर्थस्थल का ऊर्जा स्थल कहा जाता है जहाँ चमत्कार होते हैं, जहाँ सच्ची शांति है और ईश्वर के साथ पुनर्मिलन को महसूस किया जा सकता है।      

फादर गिब्बोन ने स्वीकार किया कि आपमान एवं चुनौतियों ने आयरलैंड की कलीसिया को कष्ट दिया है किन्तु उन्हें अब भी उम्मीद है। उन्होंने सभी को वर्षगाँठ की शुभकामनाएँ दीं और उम्मीद जतायी कि विश्वासी नोक तीर्थयात्रा का दर्शन करने आते रहेंगे जहाँ आयरलैंड के लोग उनका सहर्ष स्वागत करेंगे।  

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22 August 2019, 16:42