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बालासोर (उड़ीसा) के धर्माध्यक्ष सिमोन काईपुरम अब नहीं रहे

केरल के तन्नीरमुक्कोम में जन्में 65 वर्षीय विन्सेंसियन धर्माध्यक्ष सिमोन काईपुरम का 22 अप्रैल की सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

बालासोर, मंगलवार 23 अपैल 2019 (मैटर्स इन्डिया) : उड़ीसा जिले के बालासोर धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष सिमोन काईपुरम का 22 अप्रैल की सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। विन्सेंसियन धर्माध्यक्ष 65 वर्ष के थे।

उड़ीसा काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के उप-सचिव फादर प्रसन सिंह ने बताया कि धर्माध्यक्ष सिमोन का अंतिम संस्कार बुधवार 24 अप्रैल को स्थानीय समय अनुसार 3 बजे पूर्वाहन होगा। धर्माध्यक्ष काईपुरम की मृत्यु उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर के 195 किलोमीटर उत्तरपूर्व स्थित बालासोर के ज्योति अस्पताल में हुई।

फादर सिंह ने मैटर्स इंडिया को बताया कि धर्माध्यक्ष की अचानक मृत्यु सभी के लिए हृदय विदारक है। इसे स्वीकार करना बहुत कठिन हो रहा है कि वे अब नहीं रहे। धर्माध्यक्ष काईपुरम धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के सचिव थे और कुछ दिन पहले दोनों ने मिलकर उड़ीसा काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के कुछ मुदों पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा, “हमारी संवेदना बालासोर धरमप्रांत के पुरोहितों, धर्मबहनों और विश्वासियों के साथ है हम सभी ने एक जुझारु चरवाहे को खो दिया। ईश्वर उन्हें अनंत जीवन प्रदान करें।”

जीवन वृतांत

धर्माध्यक्ष काईपुरम का जन्म केरल के तन्नीरमुक्कोम में 9 फरवरी 1954 को हुआ था। वे चाको और मेरी काईपुरम के छः बच्चों में से एक थे। उनकी एक बहन प्रोविडेंन्स धर्मसमाज की धर्मबहन है।

उन्होंने हाई स्कूल की शिक्षा पूरी कर उड़ीसा में विन्सेंसियन धर्मसंध में प्रवेश किया।

उन्होंने भानजंगर के संत पेत्रुस गुरुकुल में धर्माध्यक्ष थोमस थिरुतालिल (सेमिनरी रेक्टर) के संरक्षण में प्रशिक्षण पाया।

1972 में संत अक्वीनस कॉलेज में दर्शनशास्त्र की पढ़ाई की उसी वर्ष उन्होंने विन्सेन्सियन धर्मसमाज के सदस्य के रुप में प्रथम मन्नत लिया। 1977 में ईशशास्त्र की पढ़ाई के लिए ज्ञानदीप विद्यापीठ पुणे गये। 1980 में उनका अंतिम मन्नत और उप-याजकीय अभिषेक हुआ। छः माह बाद, 20 दिसम्बर 1980 को उनका पुरोहिताभिषेक हुआ।

उन्होंने अलीगोंडा पल्ली और मोहाना पल्ली में अपनी सेवा दी। उसके बाद आगे की पढ़ाई करने रोम आये। परमधर्मपीठीय ग्रैगोरियम विश्वविद्यालय से 1993 में ‘बिब्लिकल थेओलोजी’ में डॉक्टर की उपाधि हासिल कर वापस भारत लौटे।

वे 1985 से चार साल तक गोपालपुर के एक्वीनस कॉलेज में प्रोफेसर रहे। वे 1994 से पांच साल के लिए पुणे के थियोलॉजी स्टडी हाउस के रेक्टर थे।

वे गोपालपुर के एक्वीनस कॉलेज में रेक्टर और प्रोफेसर के रूप में सेवारत थे, तब संत पापा फ्राँसिस ने उन्हें बालासोर का धर्माध्यक्ष नियुक्त किया था।  30 जनवरी 2014 को उनकी धर्माध्यक्षीय अभिषेक हुआ। वे बालासोर धर्मप्रांत के दूसरे धर्माध्यक्ष थे।

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23 April 2019, 14:57