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झारखंड के कोयले की खान में काम करते मजदूर झारखंड के कोयले की खान में काम करते मजदूर 

झारखंड सरकार पर ख्रीस्तियों को परेशान करने का आरोप

राज्य सरकार ने धर्मप्रांतों एवं धर्मसमाजों द्वारा संचालित गैर-सरकारी ख्रीस्तीय सस्थाओं पर धर्मांतरण हेतु पैसा खर्च करने का आरोप लगाकर, विदेशों द्वारा मिलने वाले अनुदान की जाँच करने का आदेश दिया है। ख्रीस्तीय समुदाय ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य सरकार पर हस्तक्षेप की मांग की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

भोपाल, मंगलवार, 24 जुलाई 2018 (उकान)˸ झारखंड में 80 से अधिक ख्रीस्तीय संस्थाओं के वित्तीय मामलों की जांच के आदेश के बाद, काथलिक धर्माध्यक्ष ने ख्रीस्तियों का उत्पीड़न रोकने के लिए, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य सरकार पर हस्तक्षेप की मांग की है।

सरकार द्वारा जाँच का आदेश

राज्य सरकार ने 19 जुलाई को, धर्मप्रांतों एवं धर्मसमाजों द्वारा संचालित गैर-सरकारी ख्रीस्तीय सस्थाओं पर धर्मांतरण हेतु पैसा खर्च करने का आरोप लगाकर, विदेशों द्वारा मिलने वाले अनुदान की जाँच करने का आदेश दिया था।  

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासचिव धर्माध्यक्ष थोओदोर मसकरेन्हास ने ऊकान्यूज से कहा, "यह दूसरा चिन्ह है कि झारखंड सरकार किस तरह ख्रीस्तीय संस्थाओं को परेशान कर रही है।" 

प्रधानमंत्री से अपील  

उन्होंने कहा, "हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करते हैं कि वे राज्य सरकार को नियंत्रित करें। हम उम्मीद करते हैं कि प्रधानमंत्री हस्ताक्षेप कर इस उत्पीड़न को रोकेंगे।"

झारखंड में 2014 से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है जिसने ख्रीस्तीय समुदायों पर विभिन्न प्रकार के आरोप लगाकर, पुलिस द्वारा धर्मबहनों, पुरोहितों एवं ख्रीस्तियों को गिरफ्तार किया।

हाल में बाल तस्करी का आरोप लगाकर एक धर्मबहन को गिरफ्तार किया गया तथा मिशनरीस ऑफ चैरिटी की धर्मबहनों के समुदायों में जाँच का आदेश दिया गया है। 

जाँच अनुचित

धर्माध्यक्ष ने कहा कि पूछताछ अनुचित है क्योंकि राज्य और संघीय सरकारों के पास इन सभी संगठनों के वित्तीय विवरण है क्योंकि विदेशी धन पंजीकृत बैंकों के माध्यम से आते हैं और खातों को सरकारी नियमों का अनुपालन करने के लिए सालाना संकलित किया जाता है।

उन्होंने कहा, "अगर सरकार निष्पक्ष होना चाहती है, तो उसे सभी गैर-सरकारी संगठनों की जांच शुरू करनी चाहिए, क्यों केवल ख्रीस्तीय की?"

धर्माध्यक्ष ने कहा कि ख्रीस्तीय समुदाय गरीबों के कल्याण के लिए काम कर रहा है, उन्हें शिक्षित कर रहा है और उनकी स्वास्थ्य आवश्यकताओं का ख्याल रखता है। उन्होंने कहा, "गरीबों के लिए काम करने के बजाय, सरकार उन लोगों को लक्षित कर रही है जो गरीबों के लिए काम कर रहे हैं।"

राज्य के 24 जिलों में जाँच हेतु टीम का गठन

हिंदी समाचार पत्र प्रभात खबर की रिपोर्ट अनुसार झारखंड ने सभी 24 जिलों में 80 से ज्यादा ईसाई संस्थाओं, की जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया है।

उन संस्थाओं की सूची में काथलिक धर्मप्रांत जैसे रांची और गुमला तथा सलेशियन, जेसुइट्, उर्सुलाईन धर्मसमाज और लूथरन कलीसिया शामिल हैं।

गुमला धर्मप्रांत के विकर जेनेरल फादर सिप्रियन कुल्लू ने कहा, "हम किसी तरह की जाँच से नहीं डरते, विदेश की राशि संघीय गृह मंत्रालय की पूरी जानकारी के साथ आती है और इसका हर पैसा गिना हुआ है। सरकार के इस रवैये से गरीबों को परेशानी होगी।" 

ख्रीस्तियों पर सरकार का निशाना क्यों?

उन्होंने कहा कि ख्रीस्तीय इसलिए निशाने पर हैं क्योंकि वे गरीबों को सशक्त कर रहे हैं। आदिवासी एवं दलित जो शिक्षित हैं तथा मुद्दों के प्रति जागरूक हैं वे अब अपने अधिकारों के लिए खड़े होकर आवाज उठा रहे हैं अतः सरकार उन्हें दबाना चाहती है।"

राँची जेस्विट सोसाईटी के प्रोविंशल फादर जोसेफ मरियानुस कुजूर ने ऊकान्यूज़ को बतलाया कि केवल ख्रीस्तीय संस्थाओं को निशाना बनाया गया है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार निष्पक्ष है तो उसे सभी संस्थाओं की जाँच करनी चाहिए जिन्हें विदेशी राशि प्राप्त होते हैं। 

झारखंड में कुल 33 मिलियन आबादी है जिनमें से 9 मिलियन आदिवासी हैं जबकि 1.5 मिलियन ख्रीस्तियों में से आधे काथलिक हैं।

 

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24 July 2018, 17:02