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कार्डिनल सीन पैट्रिक ओमाले से मुलाकात करते संत पापा कार्डिनल सीन पैट्रिक ओमाले से मुलाकात करते संत पापा 

यौन दुराचार में शामिल धर्माध्यक्षों को कार्डिनल ओमाले का सम्बोधन

बॉस्टन के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल सीन ओमाले ने मंगलवार को कार्डिनल मैककारिक द्वारा यौन अप्रासंगिकता के आरोप पर एक बयान में कहा कि वे बहुत परेशान हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 26 जुलाई 18 (रेई)˸ कार्डिनल सीन ओ'मेली ने मंगलवार को कार्डिनल थिओडोर मैककरिक के खिलाफ यौन अप्रासंगिकता के आरोपों के बारे में धर्माध्यक्षों को संबोधित करते हुए एक बयान जारी किया।

परेशानी और विनाशकारी रिपोर्ट

जारी बयान में कार्डिनल ओमाले ने लिखा, "मैं इन रिपोर्टों से बहुत परेशान हूँ जिसने कई काथलिकों एवं विश्वव्यापी समुदाय को आघात पहुँचाया है।" कार्डिनल ने यह भी स्वीकार किया कि ऐसे रिपोर्ट पीड़ितों, उनके परिवार वालों तथा कलीसिया के लिए भी हानिकारक हैं। हर नया मामला जो दर्ज किया जाता है लोगों में संदेह पैदा करता है कि कलीसिया इन दुर्घटनाओं को प्रभावी रूप से सम्बोधित कर रही है।

माफी मांगना पर्याप्त नहीं

कार्डिनल ओमाले ने माफी मांगने के बढ़कर, धर्माध्यक्ष से जुड़े मामलों के लिए स्पष्ट प्रक्रियाओं की मांग की। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, प्रोटोकॉल अभी भी जरूरी है ताकि पीड़ितों को न्याय तथा समुदाय के वैध आकोश का प्रत्युत्तर दिया जा सके।

उनका कहना है कि यौन शोषण के किसी भी दावे के साथ तीव्र और निर्णायक कार्रवाई अवश्य होनी चाहिए तथा दुरुपयोग के किसी भी मामले में, पीड़ित, उनके परिवार और प्रियजनों को पहले आना चाहिए।

कार्रवाई की रेखाएं

विभिन्न धर्मप्रांतों एवं नाबालिगों की सुरक्षा हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति के अनुभव के आधार पर कार्डिनल ओमाले ने कार्डिनल मैककारिक के खिलाफ आरोप के मामले में तीन कदमों को आवश्यक बतलाया-

1.      इन आरोपों का निष्पक्ष और ठोस निर्णय

2.      प्रत्येक स्तर पर कलीसिया में और विशेष रूप से धर्माध्यक्ष के मामले में मानकों और नीतियों की पर्याप्तता का आकलन।

3.      धर्माध्यक्षों एवं कार्डिनलों के खिलाफ आरोपों की रिपोर्टिंग प्रक्रिया में काथलिक विश्वासियों एवं पीडितों के साथ स्पष्ट बातचीत।

परिणाम

कार्डिनल ओमाले ने अपने बयान के अंत में कहा कि यदि इन पहलों को कार्यान्वित न किया जाए तो कलीसिया जिसका नैतिक अधिकार पहले से ही कमजोर है, और अधिक खतरे में पड़ जाएगा और अंत में, काथलिकों की अगुवाई करने हेतु कलीसिया से जो भरोसा है एवं वृहद समाज में अर्थपूर्ण भूमिका की मांग है, वह समाप्त हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि इस समय कलीसिया के लिए इन मामलों के हल हेतु खुद को जिम्मेदार ठहराए जाने की अपेक्षा, दूसरा कुछ नहीं किया जा सकता। इस मुद्दे को वे परमधर्मपीठ के साथ आगामी बैठकों में तात्कालिकता और चिंता से प्रस्तुत करना चाहते हैं।

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26 July 2018, 16:38