साइप्रस के पवित्र क्रूस का गिरजाघर साइप्रस के पवित्र क्रूस का गिरजाघर 

साइप्रस की कलीसिया को आनन्द, प्रेम व सिनॉडालिटी के साथ पोप का इंतजार

साइप्रस और ग्रीस में 2 से 6 दिसम्बर तक पोप फ्राँसिस की प्रेरितिक यात्रा के पूर्व साइप्रस के पुरोहित फादर इब्राहिम खिता ने वाटिकन न्यूज को बतलाया कि वे संत पापा की इस यात्रा की तैयारी कैसे कर रहे हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

साइप्रस, बुधवार, 1 दिसम्बर 2021 (वीएनएस)- मरोनाइट फादर इब्राहिम खिता ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि हमें नया जीवन मिलेगा, एक अच्छा जीवन जो शांति और प्रेम से भरा होगा।" साइप्रस में संत पापा 2 से 4 दिसम्बर तक रहेंगे। साइप्रस से वे ग्रीस की ओर बढ़ेंगे तथा 6 दिसम्बर को रोम वापस लौटेंगे। यह विदेशों में उनकी 35वीं प्रेरितिक यात्रा होगी।

फादर खिता जो लिमासोल में संत कार्बेल पल्ली के पल्ली पुरोहित हैं उन्होंने वाटिकन न्यूज की पत्रकार ख्रीस्तीने सूस को बतलाया कि उन्होंने पोप की यात्रा की घोषणा के तीन सप्ताह बाद से ही तैयारी शुरू कर दी है।  

पोप हरेक के लिए आ रहे हैं

उन्होंने प्रेरितिक राजदूत के साथ तीन समितियों का गठन किया है और उनकी जिम्मेदारी है समन्वय समिति का नेतृत्व करना जो पूरी तैयारी की देखरेख कर रही है।

फादर खिता पूजन समारोह की समिति का संचालन कर रहे हैं, जिसमें उन्हें 3 दिसम्बर को जीएसपी स्टेडियम में संत पापा के ख्रीस्तयाग की देखरेख करने की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मीडिया समिति कठिन परिश्रम कर रही है और अच्छा काम कर रही है।

पिछले सप्ताह सभी समितियाँ सिनॉडालिटी की भावना में खुशी और प्यार से तैयारियाँ पूरी करने के लिए रात और दिन काम कर रहे थे।

फादर ने कहा कि वे सिनॉडालिटी को अलग कलीसिया की तरह नहीं बल्कि एक साथ जीने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि येसु एक हैं और हम सभी उनमें एक हैं। इस संबंध में संत पापा ने रविवार को अपने वीडियो संदेश में कहा था कि वे न केवल काथलिकों को देखने आ रहे हैं बल्कि काथलिकों, ऑर्थोडॉक्स, आप्रवासी एवं हरेक जन को देखने आ रहे हैं।  

जब वे उनके आने के दिन की तैयारी कर रहे हैं उन्हें येसु में एक होना है। पोप फ्राँसिस का संदेश सभी ख्रीस्तियों और मनुष्यों के लिए है कि वे जीवन को लोगों के बीच प्रेम और शांति से जीयें। फादर इब्राहिम को उम्मीद है कि उन्हें शांति और प्रेम से भरा एक नया एवं अच्छा जीवन प्राप्त होगा।  

दो भूमध्यसागरीय देशों साइप्रस और ग्रीस में 5 दिनों की यात्रा में संत पापा की ग्रीस की राजधानी एथेन्स एवं ग्रीक द्वीप लेसबोस जायेंगे जहाँ वे 2016 की तरह आप्रवासियों एवं शरणार्थियों से मुलाकात करेंगे।

प्रेरितों के पदचिन्हों पर

2010 में संत पापा बेनेडिक्ट 16वें की प्रेरितिक यात्रा के बाद, देश में पोप की यह दूसरी यात्रा होगी।  

साइप्रस की प्रेरितिक यात्रा का प्रतीक चिन्ह, उस भूभाग के मानचित्र, संत पापा फ्राँसिस की तस्वीर और संत बर्नाबस को प्रस्तुत करता है जो वहाँ के संरक्षक माने जाते हैं एवं संत पौलुस के साथी थे। जैतून की डाली एवं गेहूँ की बाली को एक साथ बांधा गया है जो शांति एवं मित्रता का प्रतीक है। प्रेरितिक यात्रा का आदर्शवाक्य है, "विश्वास में एक दूसरे को सात्वना देना।"(1थेस. 5,11) जो संत बर्नाबस के नाम के अर्थ "सांत्वना के पुत्र" की याद दिलाता है। (प्रे.च 4,36)

साइप्रस के 850,000 लोगों में से अस्सी प्रतिशत ख्रीस्तीय हैं, काथलिकों की संख्या लगभग 38,000 या कुल आबादी का लगभग 4.47% है। मुसलमान 2% हैं। साइप्रस के अधिकांश लोग ग्रीक ऑर्थोडॉक्स के रूप में पहचाने जाते हैं। कई ख्रीस्तीय अपने मूल को क्रूसेडरों में पाते हैं जो 12वीं शताब्दी में यरूसालेम के पतन के बाद वहां बस गए थे।

संत पौलुस पहली शताब्दी में साइप्रस में रुक गये थे और द्वीप के रोमन गवर्नर सर्जियस पौलुस को ख्रीस्तीय धर्म को स्वीकार करने के लिए प्रेरित कर दिया था।

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01 December 2021, 16:02