पोप ने स्लोवाकिया को भाईचारा, आतिथ्य, एकजुटता के लिए प्रोत्साहित किया

संत पापा फ्रांसिस ने सोमवार 13 सितम्बर को ब्रातिस्लावा के राष्ट्रपति भवन में स्लोवाकिया के राष्ट्रपति जुकाना कपुतोवा, वहाँ के सामाजिक, नागरिक और धार्मिक अधिकारियों एवं राजनयिकों से मुलाकात की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

ब्रातिस्लावा, सोमवार, 13 सितम्बर 2021 (रेई)- संत पापा ने स्लोवाकिया के अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा, "मैं राष्ट्रपति जुकाना कपुतोवा को उनके स्वागत के शब्दों के लिए अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ। मैं आप सभी का अभिवादन करता हूँ और स्लोवाकिया में होने की अपनी खुशी प्रकट करता हूँ। मैं एक युवा किन्तु प्राचीन इतिहास के देश में, एक ऐसी भूमि में जो यूरोप के केंद्र में स्थित है, तीर्थयात्री के रूप में आया हूँ।"

भाईचारा

संत पापा ने कहा कि स्लोवाकिया यूरोप के केंद्र में शांति का संदेश बनने के लिए बुलाया गया है। राष्ट्रीय ध्वज में नीली पट्टी स्लोवाकिया के लोगों के साथ भाईचारा का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि एकीकरण बढ़ाने के लिए हमें भाईचारा को प्रोत्साहन देने की जरूरत है। इन कठिन महीनों में महामारी के साथ-साथ अन्य कठिनाइयों के कारण, अभी इसकी अति आवश्यकता है। ऐसे समय में लाभ की ओर तेजी से बढ़ने और एकता में आने के बदले विभाजित होने का खतरा हो सकता है। इसके अलावा, एक ऐसी दुनिया में जहाँ हम सभी जुड़े हुए हैं सिर्फ आर्थिक सुधार काफी नहीं है।

स्लोवाकिया का इतिहास विश्वास के अमिट चिन्ह से अंकित है। संत पापा ने आगे उम्मीद जताते हुए कहा, "मुझे उम्मीद है कि यह संकल्पों और बंधुत्व की भावनाओं को एक प्राकृतिक तरीके से पोषित करने में मदद करेगा।" उन्होंने संत सिरिल एवं संत मेथोदियुस के उदाहरण को सामने रखा जिन्होंने सुसमाचार का प्रचार किया एवं ख्रीस्तीयों के बीच एकता लायी और आज भी वे विभिन्न ख्रीस्तीय समुदायों को एक साथ लाते हैं। उन्होंने एक-दूसरे को पहचाना और स्लोवाक, ग्रीक एवं लातीनी सभी लोगों के साथ एकता की खोज की। इस तरह विश्वास के प्रति उदारता स्वतः खुलेपन में बदल गया। यह एक विरासत है जिसे वे एकत्रित करने के लिए बुलाये जाते हैं ताकि वे इस समय एकता के चिन्ह बन सकें। संत पापा ने उन्हें सलाह दी कि वे भाईचारा के साथ जीने के इस बुलाहट को कभी हृदय से गायब होने न दें।

रोटी तोड़ा और बांटा जाना

मैं स्लोवाक अतिथि सत्कार से बहुत प्रभावित हुआ जिसमें रोटी और नमक परोसी जाती है। मैं इन सरल और कीमती उपहारों का अर्थ समझना चाहता हूँ, जो सुसमाचार से प्रेरित हैं। ईश्वर ने अपने आपको हमारे बीच उपस्थित रखने के लिए रोटी को चुना जो अति आवश्यकता है। सुसमाचार हमें इसे जमा नहीं करने बल्कि बांटने का निमंत्रण देता है। सुसमाचार में जिस रोटी की बात की जाती है वह हमेशा तोड़ी जाती है। यह हमारे सामान्य जीवन के लिए एक जोरदार संदेश है ˸ यह बतलाता है कि सच्चा धन वह नहीं है जिसे हम अपने लिए बढ़ाते हैं बल्कि वह है जिसे हमारे आसपास के लोगों से बांटते हैं। ख्रीस्तीय नजर उन लोगों को बोझ या समस्या के रूप में नहीं देखता जो सबसे कमजोर हैं बल्कि उन्हें साथ चलने और आनन्द प्रदान करनेवाले भाई–बहनों के रूप में देखती है।

रोटी को बराबर तोड़ा और बांटा जाना, न्याय के महत्व की याद दिलाता है, सभी को तृप्त होने का अवसर प्रदान किये जाने का स्मरण करता है। एक ऐसे भविष्य का निर्माण करने का प्रयास किया जाना चाहिए जिसमें कानून सभी पर समान रूप से लागू हो और जो कभी सौदा के लिए न हो। इस तरह न्याय का एक अस्पष्ट विचार न हो बल्कि यह रोटी के समान ठोस हो, भ्रष्टाचार के खिलाफ गंभीरता से संघर्ष किया जाना और इसकी विरासत को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।  

एकात्मता की नमक   

रोटी के साथ "प्रतिदिन" विशेषण जुड़ा हुआ है। हर दिन की रोटी एक काम है। रोटी के बिना तृप्ति नहीं है और काम के बिना कोई प्रतिष्ठा नहीं। एक न्यायपूर्ण एवं भ्रातृत्वमय समाज में सभी को काम की मजदूरी दी जाती है ताकि कोई भी हाशिये पर न रहे और भाग्य की खोज में अपने परिवार एवं भूमि को छोड़ने के लिए मजबूर न हो।  

संत पापा ने कहा कि आप पृथ्वी के नमक हैं। नमक पहला प्रतीक है जिसका प्रयोग येसु ने अपने शिष्यों को शिक्षा देते समय किया। यह भोजन को स्वादिष्ट बनाता है उसी तरह जीवन अपनी सार्थकता के बिना नीरस हो जाता है। वास्तव में, व्यवस्थित एवं पर्याप्त संरचनाएँ मानव के अच्छे अस्तित्व के लिए काफी नहीं हैं बल्कि हमें स्वाद और एकात्मता की जरूरत है। जिस तरह नमक घुल जाने के बाद स्वाद देता है उसी तरह मुक्त उदारता के द्वारा समाज अपना स्वाद प्राप्त करता है। संत पापा ने गौर किया कि युवाओं के बिना कोई नवीनीकरण नहीं होता है, जो एक उपभोक्तावादी भावना से भ्रमित होता है यह अस्तित्व को फीका कर देता है। जबकि किसी के लिए जिम्मेदार महसूस करना जीवन को एक स्वाद देता है और हमें यह महसूस कराता है कि हम जो देते हैं वह वास्तव में एक उपहार है जिसमें हम खुद को देते हैं।  

परम्परा की रक्षा

नमक को येसु के समय में स्वाद के साथ-साथ भोजन को बिगड़ने से बचाने के लिए भी प्रयोग किया जाता था। संत पापा ने कहा कि वे अपनी उत्तम परम्परा के सुगंधित स्वाद को उपभोग और भौतिक लाभ की सतहीता एवं वैचारिक औपनिवेशीकरण से प्रभावित न होने दें। संत पापा ने कहा कि कुछ दशकों पहले आजादी शब्द पर प्रतिबंधित था, आज एक दूसरा विचार इसके अर्थ को फीका कर रहा है, वह है लाभ की ओर बढ़ना एवं व्यक्तिगत आवश्यकताओं का अधिकार। आज विश्वास का नमक, दुनिया के अनुरूप प्रतिक्रिया व्यक्त करना या सांस्कृतिक युद्ध छेड़ना नहीं है बल्कि उदारता के साक्ष्य द्वारा ईश्वर के राज्य का धैर्यपूर्वक प्रचार करना है।  

संत सिरिल और संत मेथोदियुस ने भी दिखाया है कि अच्छाई की रक्षा का अर्थ अतीत को दुहराना नहीं है बल्कि अपने आपको उखाड़े बिना नवीनता के लिए खुला होना है। स्लोवाकिया में कई लेखक, कवि और संस्कृति के व्यक्ति हुए हैं जो देश के लिए नमक हैं। उनमें से कितने महान व्यक्तित्वों को जेल में बंद कर दिया गया है, जो अंदर से मुक्त हैं और साहस, निरंतरता और अन्याय के विरोध का सजीव उदाहरण पेश करते हैं! और सबसे बढ़कर वे क्षमा का आदर्श प्रस्तुत करते हैं यही इस देश का नमक है।

महामारी इस समय की परख है। इसने हमें सिखाया है कि इस परिस्थिति में यह कितना आसान है, एक-दूसरे से अलग होना एवं सिर्फ अपने लिए सोचना। जबकि हमें सोचना है कि हम सभी कमजोर है और हमें दूसरों की आवश्यकता है। कोई भी एक व्यक्ति अथवा देश के रूप में अपने आपको अकेला नहीं कर सकता। हम इस संकट को अपने जीवनशैली पर पुनः विचार करने की अपील के रूप में लें।

अतीत की शिकायत करने की आवश्यकता नहीं है, हम भविष्य के निर्माण के लिए एक साथ कदम बढ़ायें। संत पापा ने कहा कि वे इस कार्य को ऊपर सुन्दर तत्रा पर्वत की ओर नजर उठाते हुए करें। जिसकी चोटी और लकड़ियाँ आकाश की ओर इशारा करती हैं जहाँ से ईश्वर नजदीक मालूम पड़ते और सृष्टि अपने को एक पूर्ण घर की तरह प्रकट करती है जिसने कई पीढ़ियों की मेजबानी की है। संत पापा ने कहा कि वे सीमा के परे जायें और लोगों की सुन्दरता को एक साथ लायें। इसके लिए धीरज, प्रयास, साहस, बांटने और रचनात्मकता की जरूरत है। मानवीय कार्य को ही ईश्वर आशीष प्रदान करते हैं। ईश्वर इस भूमि को आशीष प्रदान करे।  

स्लोवाकिया के अधिकारियों को संत पापा का सम्बोधन

 

 

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13 September 2021, 15:22