मांडर के संत अन्ना शेल्टर होम में प्रवासियों की जाँच करतीं धर्मबहनें। मांडर के संत अन्ना शेल्टर होम में प्रवासियों की जाँच करतीं धर्मबहनें। 

झारखंड में प्रवासियों को राहत देने का प्रयास करती धर्मबहनें

भारत में कोविड-19 महामारी का संकट गहराता जा रहा है। स्थिति पर काबू पाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन को दो सप्ताह और बढ़ाने की घोषणा की है। लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूर परेशान पैदल यात्रा कर रहे हैं। काथलिक कलीसिया की ओर से धर्मबहनें उनकी मदद करने का प्रयास कर रही हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

राँची, शनिवार, 2 मई 2020 (वीएन)- प्रधानमंत्री ने देशभर में 24 मार्च से 3 मई तक लॉकडाउन की घोषणा की थी जिसको अब और दो सप्ताह बढ़ा दिया है। लॉकडाउन का तीसरा चरण 17 मई तक रहेगा। गृह मंत्रालय ने इस बारे में आदेश जारी किया है। इस बार अलग-अलग जोन के हिसाब से लॉकडाउन के दौरान लोगों को छूट मिलेगी।

इस लॉकडाउन में झारखंड के बहुत सारे प्रवासी मजदूर विभिन्न राज्यों में फंसे हैं। उन्हें घर वापस लाने के लिए झारखंड सरकार ने विशेष ट्रेन की सुविधा मुहैया करायी है जो हैदराबाद से 1 मई को हटिया रेलवे स्टेशन रवाना हुई। यह झारखंड की सरकार का अत्यन्त सराहनीय कार्य हैं किन्तु विशेष ट्रेन की सुविधा मुहैया कराने से पहले ही, 

बहुत सारे प्रवासी मजदूर, कोई उपाय न देखकर पैदल ही अपने घर के लिए रवाना हो गये। लम्बी यात्रा तय कर कुछ लोग अपने घर पहुँच चुके हैं जबकि कुछ लोगों को घर पहुँचने के लिए अब भी यात्रा करना बाकी है। लॉकडाउन के बीच पुलिस से पकड़े जाने के भय एवं विभिन्न प्रकार की मुसीबतों का सामना करते हुए छत्तीसगढ़ के प्रवासियों का एक दल 30 अप्रैल को झारखंड पहुँचा।

सिस्टर शिवानी एक्का डी.एस.ए. ने बतलाया कि बृहस्पतिवार को मांडर के शेल्टर होम में 17 प्रवासियों का स्वागत किया गया। वे छत्तीसगढ़ के हैं। वे रंगामाटी से राँची होते हुए अपने घर लौट रहे थे। पुलिस ने उन्हें बेड़ो थाने के पास पकड़ लिया। उन्हें माण्डर के संत अन्ना शेल्टर होम में रखा गया है। प्रवासियों में कई छोटे बच्चे और महिलाएँ भी हैं। शेल्टर होम में रखने के पहले उन सभी की जाँच की गई है।

प्रवासियों की सुरक्षा की अपील

राँची के महाधर्माध्यक्ष फेलिस टोप्पो एस.जे. एवं राँची के सहायक धर्माध्यक्ष थेओदोर मस्करेनहास एस. एफ. एक्स. ने लॉकडाउन शुरू होने पर एक अपील जारी कर कहा था कि “ये कठिनाई भरे दिन हैं और यद्यपि हम लॉकडाउन में रह रहे हैं एवं अपने आप को सुरक्षित रखने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं, हजारों विस्थापित लोग जहाँ हैं फंसे हुए हैं, वे नहीं जानते हैं कि कहाँ जाना है अथवा अपने परिवार एवं बच्चों के साथ बिना यातायात, भोजन और आर्थिक सुविधा के सड़कों पर पैदल यात्रा कर रहे हैं।”

धर्माध्यक्षों ने कहा था कि “हमें सुरक्षित रहने के लिए इन प्रवासियों को भी सुरक्षित रखना आवश्यक है। यदि ये लोग कोविड -19 से संक्रमित हो जायेंगे तो देश के बाकी लोगों के संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाएगा।"

धर्माध्यक्ष थेओदोर मस्करेनहास ने कहा, "भारत में हम पूरी तरह लॉकडाउन के 40वें दिन में हैं। इसने लाखों लोगों को दयनीय स्थिति में डाल दिया है। इस समय हमारा राज्य हजारों प्रवासी मजदूरों को 300 से 400 किलोमीटर से भी अधिक की दूरी तय कर अपने परिवारों के साथ पैदल घर लौटते हुए देख रहा है। पुलिस उन्हें पकड़कर  कलीसिया के हमारे मुफ्त केंद्रों में ला रही है जहाँ वे कम से कम 3 सप्ताह तक रहेंगे। हम हमारे गरीब लोगों के लिए प्रार्थना का आग्रह करते हैं।"

राँची में प्रवासी मजदूरों की मदद करने के लिए विभिन्न धर्मसमाजी समुदायों द्वारा 14 केंद्र स्थापित किये गये हैं। मांडर का शेल्टर होम उन्हीं केंद्रों में से एक है जिसको संत अन्ना की पुत्रियों के धर्मसंघ राँची द्वारा कोविड-19 महामारी के समय लॉकडाउन में फंसे लोगों की मदद के लिए स्थापित किया गया है।

मांडर स्थित संत अन्ना शेल्टर होम

 

 

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02 May 2020, 17:16