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मेरा जीवन खतरे में है लेकिन मैं हार नहीं मानता, पाकिस्तानी वकील

पाकिस्तानी काथलिक वकील जो हुमा यूनुस के बचाव में मुकदमा लड़ रहे हैं,का कहना है कि उनका जावन खतरे में है लेकिन वे हार मानने वाले नहीं हैं।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

कराची, सोमवार 23 दिसम्बर 2019 (रेई) : “ऐसा नहीं है कि मैं अपने जीवन के लिए डरता नहीं हूं, लेकिन सताए गए ख्रीस्तियों की सहायता करना मैं अपना मिशन और ईश्वर तथा कलीसिया को प्रदान की गई सेवा के रूप में देखता हूँ। और धमकियाँ मुझे नहीं रोक सकेगी। उन्होंने “पीड़ित कलीसिया के लिए सहायता” नामक समुदाय से अपनी बात साझा की।  

 सिंध उच्च न्यायालय के 38 वर्षीय काथलिक वकील तबस्सुम यूसुफ, पाकिस्तान की राजधानी कराची प्रांत के है। उनके दो बच्चे हैं।  वे हुमा यूनुस के बचाव में उनके माता-पिता की ओर से मुकदमा लड़ रहे हैं। हुमा एक 14 वर्षीय काथलिक लड़की है जिसका अपहरण कर लिया गया और उसे इस्लाम में परिवर्तित होने और उसके अपहरणकर्ता से शादी करने के लिए मजबूर किया गया।

ईश-निंदा के आरोप की धमकी

हाल ही में हुमा के अपहरणकर्ता, अब्दुल जब्बार ने लड़की के माता-पिता और वकील को ईश-निंदा के आरोप में धमकी दी थी। "ऐसा होना असामान्य नहीं है - यूसुफ बताते हैं, जो पहले से ही धर्मांतरण और जबरन विवाह के कई अन्य मामलों को देख चुके हैं - मुस्लिम हमलावर अक्सर ईश-निंदा विरोधी कानून का उपयोग करते हुए माता-पिता और वकीलों को धमकी देते हैं। वे कहते हैं: “अपनी बेटी की तलाश करना बंद करो, यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो हम कुरान के पन्नों को फाड़कर आपके घर के सामने रख देंगे और कहेंगे कि आपने पवित्र पुस्तक का अपमान किया है।”

वकील युसुफ ने बताया कि यदि आप धार्मिक अल्पसंख्यक हैं, तो पाकिस्तान में न्याय प्राप्त करना मुश्किल है। कई ख्रीस्तीय नहीं जानते कि उनके पास मुसलमानों की तरह अधिकार हैं। हमारे भाइयों की गरीबी और शिक्षा की कमी के कारण इस्लामी कट्टरपंथी उन्हें सताने के लिए सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक शक्तियों का दुरुपयोग करते हैं। न्यायपालिका राजनीतिक दलों के मजबूत दबाव में है, जो अल्पसंख्यकों को सही कानूनी समर्थन की गारंटी नहीं देते हैं।

अंतरराष्ट्रीय दबाव की आवश्यकता

वकील युसुफ ने अपनी बात जारी रखते हुए“पीड़ित कलीसिया के लिए सहायता” समुदाय से आर्थिक सहायता की अपेक्षा की जिससे कि एक उच्च अनुभवी मुस्लिम वकील के समर्थन का लाभ उठा सके। और आवश्यकता पड़ने पर उच्चतम न्यायालय तक मामले को लिया जा सके।

युवा वकील कई ईसाइयों के बचाव के लिए नि: शुल्क काम करते हैं और कराची महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्य कार्डिनल जोसेफ कॉट्टस के नेतृत्व में और धर्मप्रांतीय न्याय और शांति आयोग के साथ मिलकर काम करते हैं। उन्होंने पाकिस्तान में ख्रीस्तियों की गंभीर कठिनाइयों पर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान रखने के लिए अक्सर ‘एड्स टू द चर्च इन नीड’ के साथ सहयोग किया। अशिया बीबी की मुक्ति एक जीत थी, लेकिन पाकिस्तान में ख्रीस्तियों की स्थिति नहीं बदली है। यही कारण है कि हमें हुमा जैसे मामलों को सुर्खियों में लाने डरना नहीं चाहिए। यही एकमात्र तरीका है जिससे हम स्थानीय राजनीतिक नेताओं को हस्तक्षेप करने में सक्षम होंगे और अगर हम हुमा के केस को को जीतते हैं और उसे घर लाते हैं, तो इस तरह की सजा से कई अन्य ख्रीस्तीय लड़कियों का अपहरण करने और उन्हें बलपूर्वक इस्लाम में परिवर्तित करनेसे रोकने में भी मदद मिलेगी। लेकिन ऐसा करने के लिए हमें अंतरराष्ट्रीय दबाव की आवश्यकता है।

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23 December 2019, 17:08