सहिष्णुता वर्ष 2019 अब होगा वैश्विक
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
न्यूयॉर्क, सोमवार 23 सितम्बर 2019 ( वाटिकन न्यूज) : संयुक्त अरब अमीरात द्वारा राष्ट्रीय पहल के रूप में शुरू की गई सहिष्णुता वर्ष 2019, अब एक वैश्विक उद्यम बन गई है। दिसंबर 2018 में, संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति, शेख खलीफा बिन जायद ने घोषणा की थी कि 2019 सहिष्णुता का वर्ष होगा। संस्कृतियों और सभ्यताओं के बीच बातचीत को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से परियोजनाओं के माध्यम से सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त अरब अमीरात की पहल को विश्व में लागू करने की आशा है।
यूएई में पोप फ्रांसिस
फरवरी 2019 में, संत पापा फ्राँसिस ने अबू धाबी के क्राउन प्रिंस, शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से निमंत्रण प्राप्त करने के बाद अबू धाबी की यात्रा की थी। वहाँ 4 फरवरी को संत पापा फ्राँसिस और अल-अजहर के ग्रैंड इमाम, डॉ अहमद अल-तैयब ने विश्व शांति और मानव बंधुत्व पर एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किया था।
अब्राहम परिवार का घर
नए दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर के एक दिन बाद 5 फरवरी को, अबू धाबी के क्राउन प्रिंस ने सआदत द्वीप पर इब्राहीम परिवार के घर, निर्माण की घोषणा की। इस परिसर में एक ईसाई गिरजाघर, एक मस्जिद और एक आराधनालय और साथ ही एक शैक्षिक केंद्र होगा। इस प्रकार यह न केवल पारंपरिक अर्थों में एक मील का पत्थर होगा, बल्कि इसलिए भी कि यह एक ऐसी जगह के रूप में काम करेगा जहां विभिन्न विश्वास परंपराओं के लोग एक साथ सीख सकते हैं, पूजा कर सकते हैं और बातचीत कर सकते हैं।
संयुक्त अरब अमीरात से दुनिया के लिए
समिति के सदस्य मोहम्मद खलीफा अल मुबारक का कहना है कि संयुक्त अरब अमीरात की ओर से "विश्व संस्कृतियों को एक साथ लाने" का नवीनतम प्रस्ताव निहित है।
मोहम्मद खलीफा का कहना है, “विश्वास को सरलतम रूप में लाने के लिए तथा जीवन को सरल बनाने के लिए हमारी सभी धार्मिक पुस्तकें मूल रूप से कहती हैं: अपने पड़ोसी से अच्छा व्यवहार करें, अपने पड़ोसी से प्यार करें, अपने पड़ोसी की मदद करें। इस दुनिया में सब कुछ आपस में जुड़ी हुई हैं, पर सच्चाई यह है कि हम सभी अलग थलग पड़ गये हैं। अब्राहमिक परिवार का घर जैसी परियोजनाएं और पहल भविष्य में लोगों को एक साथ लाएगा। यह एक सपना सच हो गया है, जहां, सहिष्णुता का समर्थन करने वाले यूएई के लोगों को दुनिया के साथ साझा करने का अवसर मिला है।
उच्च समिति द्वारा कार्य शुरु
19 अगस्त को संत पापा फ्राँसिस और ग्रैंड इमाम द्वारा हस्ताक्षरित मानव भाईचारे पर दस्तावेज़ में तैयार किए गए लक्ष्यों को ठोस रुप देने के लिए यूएई में एक समिति का गठन किया गया था। समिति के सात सदस्य हैं, 2 काथलिक कलीसिया का प्रतिनिधित्व करते हैं, 2 अल-अजहर विश्वविद्यालय से और 3 यूएई का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये सदस्य 11 सितंबर को पहली बार रोम में मिले थे। यह न्यूयॉर्क शहर में ट्विन टावर्स पर हमलों की 18वीं वर्षगांठ थी। संत पापा ने समिति द्वारा इस दिन के चुनाव पर यह कहते हुए टिप्पणी की, कि जैसा कि दूसरों ने मृत्यु और विनाश को बोने के लिए यह दिन चुना था समिति ने जीवन और भाईचारे को बढ़ावा देने की इच्छा को प्रकट करने हेतु उसी तारीख को चुना। रोम में इस पहली बैठक के तुरंत बाद, रब्बी ब्रूस लस्टिग उच्च समिति में शामिल हुए।
उच्च समिति न्यूयॉर्क में
उच्च समिति ने 20 सितंबर को न्यूयॉर्क में दूसरी बार मिले और अपने संदेश को वैश्विक स्तर पर ले जाने का प्रयास किया। विश्व के नेतागण संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र के उद्घाटन के लिए न्यूयॉर्क शहर में एकत्रित हुए हैं। उच्च समिति के सदस्य न्यायाधीश मोहम्मद महमूद अब्देल सलाम ने शुक्रवार को पत्रकारों के साथ एक ब्रीफिंग में उल्लेख किया कि उच्च समिति किसी भी राष्ट्र के साथ काम करने के लिए तैयार है जो दस्तावेज़ में व्यक्त किए गए आदर्शों के लिए खुला है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव के साथ संयुक्त राष्ट्र द्वारा दस्तावेज़ को संभव रूप से अपनाने की दिशा में पहला कदम उठाया गया है। न्यायाधीश ने कहा कि महासचिव सदस्य राष्ट्रों से अपने स्थानीय कानून में इस ऐतिहासिक दस्तावेज में शामिल सिद्धांतों को शामिल करने का अनुरोध करने जा रहे हैं।
आगे की चुनौतियां
मानव भ्रातृत्व, दस्तावेज़ के कई लक्ष्यों में से एक है, "अधिकारों और कर्तव्यों की समानता पर आधारित नागरिकता की एक नई अवधारणा शुरू की जाए, जिसके तहत सभी न्याय का आनंद ले सकें"। इस लक्ष्य के बारे में, समिति के सदस्य मोन्सिन्यो योवान्नेस गाइद ने बताया कि दस्तावेज़ का मूल यह है कि हम सभी भाई हैं। समानता सच्चाई पर आधारित है, कर्तव्यों और अधिकारों में समानता, स्वतंत्रता, वास्तव में अहिंसा पर आधारित है। "हिंसा, विश्वास और नागरिकता के खिलाफ है"।
इस लक्ष्य के साथ शामिल "अल्पसंख्यक" शब्द को समाप्त करना है। न्यायाधीश मोहम्मद महमूद अब्देल सलाम ने कहा कि दस्तावेज़ के इस लक्ष्य के पीछे प्रेरक शक्ति यह है कि तथाकथित शब्द, "अल्पसंख्यक" पक्षपातपूर्ण और भेदभावपूर्ण है। इस कारण से, दस्तावेज़ "इतिहास का सबसे कठिन दस्तावेज़" है क्योंकि यह सीधे वास्तविकताओं को चुनौती देता है।
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