म्यांमार में तख्तापलट विरोधी प्रदर्शन म्यांमार में तख्तापलट विरोधी प्रदर्शन 

मांडले के महाधर्माध्यक्ष ˸ म्यांमार की जनता पोप के समर्थन के प्रति कृतज्ञ

मांडले के महाधर्माध्यक्ष मार्को तिन विन ने कहा कि म्यांमार के सभी धर्मों के लोगों ने अपने लिए तथा देश में शांति एवं प्रजातंत्र की पुनः वापसी हेतु पोप फ्रांसिस के समर्थन की सराहना की है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

म्यांमार के काथलिक महाधर्माध्यक्ष मार्को तिन विन ने बतलाया कि देश में संकट के समय में संत पापा फ्रांसिस द्वारा पीड़ित लोगों की मदद हेतु अपील करने एवं वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण समाधान ढूँढ़ने का प्रोत्साहन देने के लिए उन्होंने उनकी सराहना की है। उन्होंने कहा है कि जब संत पापा बोलते हैं तो म्यांमार के लोग बहुत अधिक प्रोत्साहित एवं प्रेरित महसूस करते हैं। इस संकट की घड़ी में यह न केवल काथलिकों बल्कि अन्य धर्मों के लोगों के लिए भी एक महत्वपूर्ण समर्थन है।  

1 फरवरी के सैन्य तख्तापलट के बाद से, जिसने म्यांमार की चुनी हुई सरकार और उसकी नेता, आंग सान सू की को अपदस्थ कर दिया, देश में लोकतंत्र की बहाली की मांग को लेकर देशव्यापी विरोध और हड़तालों के साथ उथल-पुथल मची हुई है।

चल रहे विरोध प्रदर्शनों के अलावा, तख्तापलट ने उन राज्यों में सेना और कुछ जातीय विद्रोही मिलिशिया समूहों के बीच देश के कुछ पुराने संघर्षों को भी पुनः जागृत किया है

 जहां बड़ी संख्या में ख्रीस्तीय रहते हैं।

संत पापा का आह्वान

वाटिकन की समाचार एजेंसी फिदेस को दिए एक साक्षात्कार में महाधर्माध्यक्ष विन ने 20 जून को देवदूत प्रार्थना के उपरांत की गई संत पापा की अपील की याद की। अपील में संत पापा ने कहा था कि वे अपनी आवाज म्यांमार के धर्माध्यक्षों के साथ मिलाते हैं जिन्होंने संघर्ष में फंसे निर्दोष नागरिकों के लिए मानवीय सहायता की अपील की है।

संत पापा ने कहा था कि धर्माध्यक्षों ने हजारों विस्थापितों के "दिल दहला देनेवाले अनुभव" की ओर ध्यान खींचा है जो संघर्ष वाले क्षेत्रों में फंसे हुए हैं और भूखों मर रहे हैं। उन्हें भोजन और सुरक्षा का मौलिक अधिकार है। उन्होंने यह भी मांग की थी कि गिरजाघर, पगोडा, मठ, मस्जिद, मंदिर, साथ ही स्कूल और अस्पताल जहाँ हजारों लोग शरण लिए हुए हैं उन स्थानों को तटस्थ स्थानों के रूप में देखा जाए एवं उन्हें निशाना न बनाया जाए।

कई गिरजाघरों और पूजा सथलों पर सेना द्वारा छापा मारा गया और गोलाबारी की गई, खासकर, चिन और कयाह राज्यों में। संत पापा ने प्रार्थना की थी कि "ख्रीस्त का हृदय सभी के हृदयों को स्पर्श करे और म्यांमार में शांति लाये।"  

पोप फ्रांसिस, जिन्होंने नवंबर 2015 में दक्षिण-पूर्व एशियाई देश का दौरा किया था, तख्तापलट के बाद से, बार-बार लोगों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की है और सैन्य नेताओं से बातचीत की ओर मुड़ने और शांति के रास्ते को अपनाने का आग्रह किया है। 16 मई को संत पापा ने रोम में रह रहे म्यांमार वासियों के लिए ख्रीस्तयाग अर्पित किया था।

विस्थापित, पीड़ित एवं भूखे

महाधर्माध्यक्ष विन ने संघर्षरत दोनों दलों से अपील की है कि वे पोप की आवाज पर ध्यान दें तथा हिंसा का अंत करें। उन्होंने अपने महाधर्मप्रांत एवं अन्य क्षेत्रों में लोगों के दुःखों पर गौर किया जहाँ विस्थापित महिलाएं, बच्चे, बीमार बुजुर्ग सभी हिंसा और पीड़ा से थक चुके हैं। उन्होंने कहा, "सेना ने मानवीय सहायता को भी जला दिया है और यह निर्दोष लोगों के लिए एक बड़ी क्रूरता है"।

रविवार को ख्रीस्तयाग के दौरान अपने उपदेश में कार्डिनल चार्ल्स बो ने कहा था कि संघर्षरत क्षेत्रों से करीब 1,20,000 से भी अधिक लोग विस्थापित हैं। वे बिना भोजन और दवाई के हैं तथा जंगलों में ठंढ और बरसात का सामना कर रहे हैं।  

संयुक्त राष्ट्र का संकल्प

संयुक्त राष्ट्र ने 18 जून को म्यांमार को हथियारों की बिक्री को समाप्त करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया और राजनीतिक बंदियों की रिहाई और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने की मांग की। महाधर्माध्यक्ष ने इस कदम पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि लोगों को उम्मीद है कि "यह हिंसा को रोकने और शांति का मार्ग फिर से शुरू करने के लिए पहला कदम होगा"।

आत्मरक्षा

मांडले के महाधर्माध्यक्ष विन ने अफसोस जताया कि सुरक्षा बल प्रदर्शनकारियों पर बेरहमी से कार्रवाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं के पास हथियारों से लोगों की रक्षा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। नतीजतन, हिंसा और झड़पें बढ़ गई हैं।

महाधर्माध्यक्ष विन ने कहा कि म्यांमार की काथलिक कलीसिया लोगों के खून की त्रासदी के बीच हमेशा शांति की मांग की है। उन्होंने कहा कि फिलहाल कोई रास्ता नहीं है क्योंकि बातचीत ठप है और दोनों पक्षों ने इसे खारिज कर दिया है। इसलिए, वे केवल प्रार्थना कर सकते हैं कि ईश्वर लोगों के दिलों को प्रेरित करे।

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24 June 2021, 15:06