भारत की नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भारत की नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू  

भारत के पहले आदिवासी राष्ट्रपति चुने जाने से आदिवासी उत्साहित

भारत का आदिवासी समुदाय उत्साहित है जब देश ने अपने समुदाय के एक सदस्य द्रौपदी मुर्मू को देश का शीर्ष नेता चुना है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

भारत, शुक्रवार, 22 जुलाई 2022 (मैटर्स इंडिया) ˸ भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के आदिवासी मामलों के लिए बने विभाग के अध्यक्ष फादर निकोलास बारला ने मैटर्स इंडिया से कहा, "यह देश के लिए गर्व करने का समय है जब द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनी हैं।" 21 जुलाई को भारत के लिए पहली आदिवासी राष्ट्रपति मिली।

ओडिशा की रहनेवाली एक आदिवासी महिला एवं झारखंड की पूर्व राज्यपाल ने 60 प्रतिशत वोट से राष्ट्रपति पद पर जीत हासिल किया। तीन राउंड की मतगणना के बाद विपक्ष के यशवंत सिन्हा ने हार मान ली। वे 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी।

झारखंड में राज्यपाल के रूप में मुर्मू ने 2017 में झारखंड विधान सभा द्वारा अनुमोदित एक विधेयक को खारिज कर दिया था, जो छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम, 1908 और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम 1949 में संशोधन करना चाहता था।

माना जाता है कि यह बिल आदिवासियों को उनकी भूमि का व्यावसायिक उपयोग करने का अधिकार सुनिश्चित करता है, हालांकि भूमि का स्वामित्व वही रहता है।

ओडिशा के दिव्य वचन को समर्पित धर्मसमाज के फादर बारला ने कहा कि वे भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी जिनके पास आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार होंगे।

भारत 104 मिलियन से अधिक आदिवासी लोगों का घर है जो भारत की 1.4 बिलियन आबादी का 8.6 प्रतिशत है।

ओडिसा के कंधमाल जिले की काथलिक शिक्षिका सरोजनी प्रधान ने कहा, "हम मुर्मू के लिए गर्व करते हैं जो ओडिशा की हैं। हमें आशा है कि वे आदिवासी समुदाय और दूसरे लोगों के विकास के लिए काम करेंगी। भविष्य में मुर्मू की तरह कई आदिवासी महिलाएँ चमकें।"

प्रधान ने कहा कि ओडिशा के एक सुदूर गांव से नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन (राष्ट्रपति निवास) तक मुर्मू की यात्रा, महिलाओं को जीवन में विकास, शिक्षा और सशक्तिकरण के क्षेत्र में महान उपलब्धियों की आकांक्षा करने के लिए प्रेरित करेगी।

मुर्मू ओडिशा राज्य के राईरंगपुर से एक संथाली समुदाय की सदस्य हैं। उनका जन्म 20 जून 1958 को हुआ था। उन्होंने श्याम चरन मर्मू एक बैंक कर्मचारी से शादी की थी जिनकी मृत्यु 2014 में हुई। उनके दो बेटे और एक बेटी थे। पति की मृत्यु के दो साल बाद दोनों बेटों की भी मृत्यु हो गई।

राजनीति में घुसने से पहले मुर्मू एक स्कूल शिक्षिका रहीं, रायरंगपुर में श्री औरोबिन्दो समग्र शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान में सहायक प्रोफेसर का काम किया तथा ओडिशा के सिंचाई विभाग में एक कनिष्ठ सहायक रहीं।

उन्होंने 1997 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में प्रवेश किया तथा 2000 और 2004 तक रायरंगपुर विधानसभा क्षेत्र से ओडिशा विधान सभा के सदस्य थे।

उन्होंने 6 मार्च, 2000 से 6 अगस्त, 2002 तक वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार और 6 अगस्त, 2002 से 16 मई, 2004 तक मत्स्य पालन एवं पशु संसाधन विकास राज्यमंत्री के रूप में कार्य किया।

उन्होंने 2007 में सबसे अच्छे विधेयक होने के लिए नीलकंठ पुरस्कार प्राप्त किया।  

2015 में वे झारखंड की राज्यपाल नियुक्त हुई थीं। मयूरभंज जिले के बालासोर धर्मप्रांत के संथाली आदिवासी फादर जादू मरांडी ने कहा, "एक जमीनी स्तर की नेता के रूप में मुर्मू उपेक्षित आदिवासियों की पीड़ा और परेशानी को समझेंगी।"

ओडिशा के राऊरकेला स्थित क्रूस की पुत्रियों की प्रोविंशल सिस्टर अनुपमा टोप्पो ने कहा, "मुर्मू की कई कठिनाइयाँ रही हैं जैसे- अपने पति और दो बेटों को खोना, फिर भी वे सार्वजनिक सेवा के लिए दृढ़ बनी रहीं जिसकी हम सराहना करते हैं।"  

उन्होंने कहा, "वे कई महिलाओं को आगे ला सकती हैं और भारत में नेता बना सकती हैं।"

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22 July 2022, 16:57