भारत सरकार द्वारा पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल की होगी जांच
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
नई दिल्ली, शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2021 (ऊका समाचार): भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिक विरोधियों, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के सेलफोन की निगरानी के लिए संघीय सरकार द्वारा इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के कथित उपयोग की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है।
जुलाई में मीडिया में अनाधिकृत निगरानी की रिपोर्ट सामने आने की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत का आदेश 27 अक्टूबर को आया। विशेषज्ञ समिति को आदेश दिया गया है कि वह इस वर्ष के अन्त तक रिपोर्ट तैयार करे।
निजता में दखल अनैतिक
भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की सामाजिक सम्प्रेषण समिति के अध्यक्ष धर्माध्यक्ष साल्वादोर लोबो ने ऊका समाचार से बातचीत में सर्वोच्च न्यायालय की कार्रवाई पर सन्तोष जताते हुए कहा, "हम उन लोगों और संगठनों को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट जाने और याचिका दायर करने की यह पहल की। साथ ही हम सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उठाए गए कदम की सराहना करते हैं।"
इस बात पर बल देते हुए कि किसी की निजता में दखल देना पूरी तरह से अनैतिक है, धर्माध्यक्ष लोबो ने कहा, "हम आशा और प्रार्थना करते हैं कि शीर्ष अदालत बिना किसी बाधा और सत्ताधारी लोगों के कथित हस्तक्षेप के बिना देश में सच्चाई लाने में सक्षम होगी।"
मीडिया हुआ जागरुक
माना जाता है कि इजरायली साइबर हथियार कंपनी एनएसओ ग्रुप द्वारा विकसित स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल पत्रकारों, राजनेताओं, सरकारी अधिकारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं सहित 300 से अधिक भारतीय फोन नंबरों को लक्षित करने के लिए किया गया था।
पेगासस के बारे में पहली बार 2019 में सुना गया था, जब इसका उपयोग वैश्विक स्तर पर लगभग 1,400 उपयोगकर्ताओं के फोन हैक करने के लिए किया गया था, जिसमें 121 भारतीय भी शामिल थे। पेरिस स्थित एक मीडिया एजेन्सी तथा एमनेस्टी इन्टरनेशनल क्षमादान संगठन द्वारा प्रकाशित रिपोर्टों के बाद भारतीय मीडिया इसके प्रति जागरुक हुआ था। विगत कुछ समय से भारत की विपक्षी काँग्रेस पार्टी भी नागरिकों के निजता अधिकार तथा व्यक्तिगत सुरक्षा के गम्भीर उल्लंघन की जांच की मांग करती रही है।
इसी बीच, सत्तारूढ़ हिंदू समर्थक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने "स्पष्ट रूप से" सभी आरोपों का खंडन किया है और इन्हें "भारतीय लोकतंत्र को प्रदूषित करने का प्रयास" निरूपित किया है।
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