यमन में संघर्ष के कारण विस्थापित बच्चे यमन में संघर्ष के कारण विस्थापित बच्चे 

अकेले बच गये बच्चे भूखमरी, गरीबी, दुराचार एवं शोषण के शिकार

लैंसेट में प्रकाशित अध्ययन के आंकड़े अनुसार विश्वभर में करीब एक लाख से अधिक बच्चों ने कोविड के कारण अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है। और आमतौर पर करीब 1.5 मिलियन बच्चों ने प्राथमिक देखभाल करनेवालों को खो दिया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

"कोविड-19 के कारण विश्व के लाखों बच्चे अनाथ हो गये हैं और वे भूखमरी, गरीबी, दुराचार एवं हिंसा के शिकार हो रहे हैं। हम उन्हें और शिकार होने नहीं दे सकते, भले ही वे महामारी के शिकार अप्रत्यक्ष रूप से हो रहे हैं और यदि हम इस पीढ़ी की रक्षा नहीं करते हैं, तो हम विकास एवं उन्नति में उन्हें हमेशा के लिए पीछे छोड़ने की जोखिम उठायेंगे"। उक्त बात सेव द चिल्ड्रेन के महासचिव दानिएला फतारेल्ला ने लैंसेट जर्नल में प्रकाशित जटिल अंतरराष्ट्रीय अध्ययन पर टिप्पणी करते हुए कही। उनके अनुसार विश्व में कोविड-19 के कारण हर दो मौतों में एक बच्चे ने अपने माता-पिता या किसी खास रिश्तेदार को खो दिया है।"

लैंसेट में प्रकाशित अध्ययन के आंकड़े अनुसार विश्वभर में करीब एक लाख से अधिक बच्चों ने कोविड के कारण अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है। और आमतौर पर करीब 1.5 मिलियन बच्चों ने प्राथमिक देखभाल करनेवालों को खो दिया है।

सेव द चिल्ड्रेन एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो करीब 100 सालों से बच्चों को विभिन्न प्रकार की जोखिमों से बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है और उन्हें भविष्य की गारांटी दे रहा है। 

कोरोना वायरस ने सबसे कमजोर लोगों की सुरक्षा के लिए दशकों से की गई प्रगति और उनके भविष्य को गंभीर रूप से प्रभावित करनेवाले जोखिमों से समझौता कर, पहले ही विश्व भर के बच्चों के जीवन की स्थिति को बिगाड़ा है। कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली गिर गई है जिसके कारण कई परिवार गरीबी के शिकार हुए हैं बच्चों को भूख का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि परिवार के प्रमुख ने अपने आय के स्रोत को खो दिया है।  

महामारी ने करीब 3 करोड़ बच्चों की शिक्षा को प्रभावित किया है और स्कूल नहीं जा पाने के कारण बच्चे और किशोर बाल श्रम, शोषण, बाल-विवाह, जल्द गर्भधारण, स्कूल से वंचित आदि के शिकार हो रहे हैं। वास्तव में, महामारी के कारण, गरीब देशों के बच्चे धनी देशों की तुलना में 66 प्रतिशत अधिक स्कूल से वंचित हुए हैं।

दानियेले फतेरेल्ला ने कहा, "यह एक खतरनाक चीज है जिसका सामना बच्चों को हर दिन आर्थिक, मानसिक और सामाजिक दृष्टिकोण से करना पड़ेगा जो उनके जीवन और भविष्य को खतरे में डालेगा। वास्तव में, बिना अभिभावक के बच्चे बहुत अधिक असहाय हो जाते हैं और बहुत अधिक जोखिम में पड़ जाते हैं।

सेव द चिल्ड्रेन दुनिया की विभिन्न संस्थाओं और सरकारों से अपील करती है कि वे अनाथ बच्चों की स्थिति पर तत्काल ध्यान दें जिन्होंने अपने माता-पिता या अभिभावकों को खो दिया है, उन्हें पर्याप्त सहायता की गारांटी दी जाए, उदाहरण के लिए, उन परिवारों को आर्थिक मदद दी जाए, जिनमें एक अथवा दोनों देखभाल करनेवाले गुजर गये हैं। वर्षों से प्रभावित बच्चों के साथ काम करते हुए उन्हें एहसास हो चुका है कि सरकार को परिवार पर आधारित देखभाल प्रणाली को मजबूत करने की जरूरत है ताकि बच्चे जिन्होंने माता-पिता दोनों को खो दिया है वे बाहर संस्थाओं में भेजे जाने की अपेक्षा परिवारों में सुरक्षित रह सकें।

दानिएला ने कहा, "बच्चे भले ही कोविड-19 के सीधे शिकार नहीं है, पर वे ही इसकी बड़ी कीमत चुका रहे हैं।"   

 

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22 July 2021, 14:53