फादर स्टेन स्वामी की अन्तयेष्टि - 07.07.2021 फादर स्टेन स्वामी की अन्तयेष्टि - 07.07.2021 

फादर स्टेन की मौत के बाद 'राजनीतिक' कैद की समाप्ति का आह्वान

हिरासत में 84 वर्षीय काथलिक पुरोहित फादर स्टेन की मौत के बाद भारत के विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द को एक पत्र लिखकर उन सभी क़ैदियों की रिहाई का आह्वान किया जो "राजनीति से प्रेरित मामलों के लिये" जेल में बंद हैं।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

नई दिल्ली, शुक्रवार, 9 जुलाई 2021 (रेई,वाटिकन रेडियो): हिरासत में 84 वर्षीय काथलिक पुरोहित फादर स्टेन की मौत के बाद भारत के विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द को एक पत्र लिखकर उन सभी क़ैदियों की रिहाई का आह्वान किया जो "राजनीति से प्रेरित मामलों के लिये" जेल में बंद हैं।

फादर स्टेन स्वामी की मौत के दो दिन बाद उक्त पत्र प्रकाशित किया गया। 84 वर्षीय येसु धर्मसमाजी फादर स्टेन स्वामी की 05 जुलाई को कोविद-19 महामारी से मुम्बई के एक अस्पताल में मृत्यु हो गई थी, उस समय वे बारम्बार ज़मानत के ठुकरा दिये जाने के बाद हिरासत में ही थे।

राष्ट्रपति को पत्र

काँग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी सहित भारत के कई विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द से आग्रह किया कि वे प्रत्यक्ष हस्तक्षेप करे ताकि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार फादर स्टेन पर "झूठे मामले थोपने, जेल में उनकी निरंतर नजरबंदी करने तथा उनके विरुद्ध अमानवीय व्यवहार के लिए ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे।"

पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले 12 विपक्षी नेताओं में कई भारतीय राज्यों के मुख्यमंत्री, कम्युनिस्ट नेता और पूर्व प्रधान मंत्री एच.डी. देवे गौड़ा भी शामिल हैं।

उन्होंने अपने पत्र में कहा कि फादर स्वामी को उनकी विभिन्न बीमारियों के इलाज से वंचित कर दिया गया था, जिसमें पार्किंसंस रोग भी शामिल है। "एक राष्ट्रव्यापी अभियान के बाद ही जेल में उन्हें पीने के लिए तरल पदार्थ उपलब्ध कराया गया था।"

फादर स्टेन उन 16 कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों में शामिल थे, जिन पर मोदी सरकार को अस्थिर करने के लिए ग़ैरकानूनी माओवादियों के साथ साजिश रचने का आरोप था। 2018 में महाराष्ट्र के भीमा कोरेगाँव नामक गाँव में एक हिंसक घटना में शामिल होने का आरोप लगाकर फादर स्टेन को विगत अक्टूबर माह में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) गिरफ्तार कर लिया गया था।

पत्र में कहा गया, फादर स्वामी की "जमानत और घर भेजे जाने की अपील को भी खारिज कर दिया गया था। केवल पिता स्वामी की "जमानत और घर भेजे जाने की अपील को भी खारिज कर दिया गया।

बॉम्बे हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जब कोविड से संक्रमित होने के बाद उनकी हालत बिगड़ने लगी थी, किन्तु तब तक बहुत देर हो चुकी थी। 05 जुलाई को हृदयाघात के उपरान्त फादर स्टेन का देहान्त हो गया था।

राजनैतिक क़ैदियों की रिहाई की मांग

विपक्षी नेताओं ने पत्र में कहा कि (यूएपीए) अधिनियम के तहत गिरफ्तार सभी राजनैतिक क़ैदियों को रिहा किया जाये। विपक्षी नेताओं सहित फादर स्टेन की कर्मभूमि झारखण्ड की राजधानी राँची में भी छः जुलाई को विरोध प्रदर्शन निकाले गये तथा फादर स्टेन की मौत के लिये मोदी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया गया।

6 जुलाई को एक आधिकारिक सरकारी बयान में कहा गया कि अदालतों ने पुरोहित को उनके खिलाफ आरोपों की प्रकृति के कारण ज़मानत देने से इनकार कर दिया था और उनके मामले में कानून की प्रक्रिया का पालन किया गया।

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09 July 2021, 11:08