आयरिश मिशनरी फादर डोनल ओ कीफ़े आयरिश मिशनरी फादर डोनल ओ कीफ़े  

कम कुशल श्रमिकों की मदद करनेवाले मिशनरी हुए सम्मानित

आयरिश मिशनरी फादर डोनल ओ कीफ़े को "वर्ष के अप्रवासी" के रूप में सम्मानित किया गया है। सन् 1980 से ही वे झुग्गियों में कम कुशल श्रमिकों की मदद हेतु समर्पित रहे हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

सियोल, शनिवार, 19 जून 2021 (एशियान्यूज)- दक्षिणी कोरिया में हर साल "वर्ष के अप्रवासी" पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है जो उन लोगों को प्रदान की जाती है जो देश के विकास में समर्पित होते हैं, खासकर, सामाजिक क्षेत्र में। इस साल यह पुरस्कार आयरिश मिशनरी फादर डोनाल्ड ओ कीफे को प्रदान किया गया है जिन्होंने राजधानी के बाहरी इलाके में श्रमिकों को प्रतिष्ठा प्रदान करते हुए 40 साल से अधिक समय बिताया।   

ओ कीफे सन् 1976 में कोरिया आये थे जब देश सैन्य तानाशाही और कड़े दमन से रेखांकित था।  

फादर ने एशिया न्यूज को बतलाया, "इसी ने मुझे सबसे अधिक प्रभावित किया।" एक ऐसा देश जो भ्रमवाद से प्रभावित है जहाँ शिक्षा का स्तर सामाजिक प्रतिष्ठा को निर्धारित करता है, 1980 के दशक में फादर ओ'कीफ ने खुद को उन श्रमिकों के लिए समर्पित किया जो झुग्गी बस्तियों से कोरियाई शहरों के औद्योगिक जिलों में जाते हैं। फादर बतलाते हैं कि "किसी भी प्रकार के संघ को - उस समय मना किया गया था, केवल एक जगह जहां लोग मिल सकते थे वह था गिरजाघर।"

पवित्र हृदय की धर्मबहनों के साथ फादर ओ कीफे ने एक खुले आवास की स्थापन की है जहाँ मजदूर और कई बार 15, 16 साल के युवा भी मुलाकात कर सकते थे और अपनी समस्याओं, स्वप्न एवं आकांक्षाओं को बांट सकते थे।

फादर ने बतलाया कि किस तरह उनमें से अधिकांश युवा मध्य विद्यालय के बाद स्कूल छोड़ देते थे, वे सामाजिक दबावों के कारण हीन महसूस करते हुए बहुत कम आत्म-सम्मान के साथ अध्ययन नहीं कर पाते थे। उन्होंने कहा, "हमने व्यक्तिगत विकास कार्यक्रमों के साथ शुरुआत की, ऐसे समूह बनाए जहां युवा दोस्त बना सकते हैं या विभिन्न गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं, गिटार बजाना सीखने से लेकर पहाड़ों पर चलने तक।”

उन्होंने कहा, "सबसे सुन्दर बात थी बच्चों को बढ़ते देखना, उन्हें विकसित होते देखना। साथ ही साथ, कोरिया में भी परिवर्तन आया है। 1988 के सियोल ओलंपिक से कुछ समय पहले ही स्थिति बदल गई, जब यह महसूस किया गया कि खेलों की मेजबानी के लिए देश को और अधिक स्थिर होना होगा। लोकतांत्रिक आंदोलन ने स्वतंत्र चुनाव और नागरिक अधिकारों की मांग के लिए पूरे देश में प्रदर्शन आयोजित किए। पहला राष्ट्रपति चुनाव 1987 में हुआ था और तब से, जिसे छठा गणराज्य कहा जाता है, दक्षिण कोरिया तेजी से समृद्ध, स्वतंत्र और खुला हो गया है।"

अब कोरियाई समाज की समस्याएं अलग हैं। यहां भी, चीन की तरह, महिलाओं को पुरुषों की तुलना में बहुत कम महत्व दिया जाता है, खासकर ग्रामीण इलाकों में। और महिलाएं अब शादी के प्रति आकर्षित नहीं हैं क्योंकि वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं, नतीजतन, कुछ कोरियाई पुरुष विदेश से अपने लिए पत्नी का ऑर्डर करते हैं। वे तथाकथित "मेल ऑर्डर ब्राइड्स" हैं और मुख्य रूप से फिलीपींस, वियतनाम और चीन से आती हैं।

फादर ने बतलाया कि "कई बार उनके संबंध अच्छे नहीं बन पाते। गांवों में इन महिलाओं के रहने की स्थिति आसान नहीं होती; उनके बच्चों को बाहर रखा जाता है क्योंकि कोरियाई समाज जातीय रूप से शुद्ध होने पर बहुत गर्व करता है"।  यह सरकार के लिए और कलीसिया के लिए भी एक नई चुनौती है।"

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19 June 2021, 15:48