सैन्य तख्तापलट के बाद लोकतंत्र का आह्वान करने वाले प्रदर्शनकारी सैन्य तख्तापलट के बाद लोकतंत्र का आह्वान करने वाले प्रदर्शनकारी 

म्यांमार: सैन्य अधिग्रहण के बाद 300 से अधिक प्रदर्शनकारी मारे गए

म्यांमार में सुरक्षा बलों ने सैन्य तख्तापलट के बाद लोकतंत्र का आह्वान करने वाले प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अपनी कार्रवाई जारी रखी है और प्रदर्शनकारियों के मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

यांगून, शनिवार 27 मार्च 2021 (वाटिकन न्यूज) : पिछले महीने के सैन्य तख्तापलट के बाद से म्यांमार में सुरक्षा बलों द्वारा 300 से अधिक लोग मारे गए हैं।

शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों की मौतों और गिरफ्तारी पर नज़र रखने वाले पर्यवेक्षकों के एक समूह ने कहा कि 320 मौतों के प्रलेखित मामले शामिल हैं, जिनमें हताहतों की वास्तविक संख्या "अधिक होने की संभावना" है।

म्यांमार के राजनीतिक कैदियों की सहायता हेतु गठित संगठन के अनुसार, गुरुवार को ताजा हत्याएं हुईं। तीन विरोधी प्रदर्शनकारियों को गोली मार दी गई और 11 अन्य लोगों की हत्या कर दी गई।

संगठन ने यह भी खुलासा किया कि लगभग 3,000 प्रदर्शनकारियों को 1 फरवरी के तख्तापलट के बाद गिरफ्तार, आरोपित या सजा सुनाई गई है, जिसने आंग सान सू की की चुनी हुई सरकार को बाहर कर दिया।

राष्ट्रपति विन म्यिंट और आंग सान सू की सहित अधिकांश राजनीतिक नेता हिरासत में हैं। पांच दशकों से अधिक के सैन्य शासन को समाप्त करते हुए सू की की पार्टी ने अपने पहले कार्यकाल के लिए 2016 में लोकतंत्र शासन के लिए पदभार संभाला था।

शुक्रवार सुबह के शुरुआती घंटों में, अज्ञात लोगों ने यांगून में सू की की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी के मुख्यालय में कथित तौर पर आग के गोले फेंके, लेकिन आसपास के निवासी, इससे पहले कि कोई बड़ी क्षति हो, आग बुझाने में कामयाब रहे।

हिंसा को समाप्त करने हेतु कलीसिया का आह्वान

संत पापा फ्राँसिस ने म्यांमार में बातचीत के माध्यम से हिंसा को समाप्त करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि "कई लोग, विशेष रूप से युवा, अपने देश के भविश्य की रक्षा करने में अपना जीवन खो रहे हैं।"

दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र के काथलिक धर्माध्यक्षों ने भी बार-बार सेना से हिंसा से बचने और शांतिपूर्ण मध्यस्थता के माध्यम से संकट को हल करने का आग्रह किया है।

गुरुवार को जून्टा और इसके अधिग्रहण के खिलाफ स्थानीय आंदोलन को एक बड़ा बढ़ावा मिला, जब संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन ने कई क्षेत्रों में विशाल स्वामित्व वाले सैन्य-स्वामित्व के खिलाफ दो सख्त प्रतिबंधों की घोषणा की। म्यांमार के अंदर विकसित सविनय अवज्ञा आंदोलन, सैन्य शासन के खिलाफ है, यह अर्थव्यवस्था को लक्षित कर रहा है ताकि शासन के लिए इसे मुश्किल बना दिया जा सके।

इस बीच, चूंकि देश भर में रैलियां होती रही हैं, आयोजकों ने शनिवार को व्यापक विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया, सशस्त्र सेना दिवस के रूप में मनाया और 1945 में जापानी कब्जे से सेना के प्रतिरोध की शुरुआत की सराहना की।

स्थानीय जनता के साथ एकजुटता

म्याँमार के लिये संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत क्रिस्टीन श्रेनर बर्गनर ने कहा है कि देश की सेना अपने ही नागरिकों के ख़िलाफ़ खड़ी हो गई है, जिससे देश के भविष्य पर जोखिम मंडरा रहा है। विशेष दूत ने म्याँमार में वार्षिक 'सैन्य बल दिवस' की पूर्व संध्या पर, शुक्रवार को जारी अपने बयान में म्याँमार मे हालात पर चिन्ता जताई है। 

यूएन की विशेष दूत ने दोहराया कि वो म्याँमार की जनता के साथ पूर्ण एकजुटता के साथ खड़ी हैं, और शान्ति व क़ानून के राज के लिये उनका संकल्प अटल है। उन्होंने, सैन्य तख़्ता पलट के बाद हिरासत में लिये गए नेताओं को रिहा किये जाने की माँग की है। इनमें राष्ट्रपति विन म्यिन्त और स्टेट काउंसलर आँग सान सू ची भी हैं।

अप्रैल महीने में, म्याँमार में नव वर्ष के उत्सव, थिन्गयान, से पहले, अधिकतम संयम बरते जाने और बुनियादी अधिकारों व लोकतान्त्रिक परम्पराओं का निर्वहन किये जाने की अपील की गई है। क्रिस्टीन बर्गनर ने कहा कि मौजूदा संकट के समाधान की तलाश करने के लिये, वह संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों को बढ़ावा देती रहेंगी।

 इससे पहले, म्याँमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर यूएन के विशेष रैपोर्टेयर टॉम एण्ड्रयूज़ ने मौजूदा हालात पर चर्चा के लिये अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से सभी हितधारकों की एक आपात बैठक बुलाए जाने की अपील की थी।

टॉम एण्ड्रयूज़ ने गुरुवार को जारी अपने वक्तव्य में कहा कि म्याँमार में सैन्य तख़्ता पलट के बाद अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की जवाबी कारर्वाई आवश्यकता के अनुरूप नहीं है और गहराते संकट से निपटने के लिये पर्याप्त साबित नहीं हुई है।

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27 March 2021, 11:12