भोपाल का ट्रेड यूनियन हड़ताल भोपाल का ट्रेड यूनियन हड़ताल 

सबसे बड़ी हड़ताल भारत बंद: मोदी के खिलाफ 250 मिलियन कर्मचारी

राष्ट्रीय हड़ताल 10 ट्रेड यूनियनों द्वारा आयोजित की गई है। औद्योगिक क्षेत्र सार्वजनिक कंपनियों के निजीकरण और नीतियों का विरोध करता है जो रोजगार का समर्थन नहीं करते हैं। 2020 में भारत "केवल 5%" बढ़ेगा। कर्मचारियों की मांगेः सम्मानजनक मजदूरी, पेंशन सुधार, श्रम सुधार।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

नई दिल्ली, बुधवार 8 जनवरी 2020 (एशिया न्यूज) : दुनिया में सबसे बड़ी हड़ताल आज सुबह भारत में शुरू हुई: 10 ट्रेड यूनियनों ने आज राष्ट्रीय अशांति दिवस "भारत बंद" की घोषणा की। लगभग 250 मिलियन कार्यकर्ता नरेंद्र मोदी की सरकार की वर्तमान आर्थिक और सामाजिक नीतियों का विरोध करने में शामिल हैं, जो निजीकरण पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित करने और रोजगार और विकास के प्रति कुध भी ध्यान नहीं देने का आरोप लगाते हैं।

परिवहन क्षेत्र, बैंकिंग क्षेत्र और कोयला उद्योग हड़ताल में हैं। खतरे में लगभग 220 बिलियन बैंक लेनदेन, जिनमें चालू और नकद खाते शामिल हैं। यूनियनों के अनुसार, कोयला खनन में अन्य 600 हजार कर्मचारियों के साथ-साथ, बैंको के विलय से बैंकों के कम से कम 500 हजार कर्मचारी अपने काम को खो देंगे।

श्रमिक संघों ने केंद्र सरकार की उदासीनता की शिकायत की, जिसने उनके "12-बिंदु चार्टर" की अनदेखी की है। सेवा क्षेत्र और उत्पादन क्षेत्र की मांगों में न्यूनतम मासिक वेतन 21 हजार रुपये (262 यूरो) शामिल है, रोज़गार निर्माण, कर्मचारियों की संविदात्मक नीतियों की वापसी, श्रम सुधार पर विभिन्न स्तरों पर चर्चा, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों के निजीकरण न किया जाय और एक सार्वभौमिक पेंशन प्रणाली की व्यवस्था हो।

आबादी के सभी वर्गों में रोजगार में ठहराव और व्यापक बेरोजगारी के साथ आर्थिक विकास में मंदी को देखते हुए भारत एक नाजुक क्षण से गुजर रहा है। आर्थिक विकास दिसंबर में 7.7% तक पहुंच गई। कल जारी नवीनतम पूर्वानुमानों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में विकास 5% तक पहुंच जाना चाहिए, जो 11 वर्षों में सबसे निचला स्तर है।

भारतीय व्यापार संघों के हड़ताली संगठनों में से एक के अनुसार, “सरकार आर्थिक संकट से निपटने में विफल रही है। साथ ही, यह सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्तियों, प्राकृतिक संसाधनों और अन्य राष्ट्रीय संपत्तियों के निजीकरण और बिक्री के लिए प्रतिबद्ध है। यह सब राष्ट्रहित और देश के विकास में बाधा है।”

अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम कहते हैं, “मोदी सरकार की नीतियों ने गंभीर आर्थिक संकुचन पैदा किया है और बैंकों के लिए कर्ज पैदा किया है। सरकार को श्रमिकों को प्रोत्साहन की पेशकश करके उपभोक्ता मांग को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए।”

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08 January 2020, 16:05