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हमें सभी के न्याय के लिए काम करना चाहिए, महाधर्माध्यक्ष किगामा

अबूजा के महाधर्माध्यक्ष ने क्रिसमस के दिन तथाकथित इस्लामिक स्टेट द्वारा 11 ईसाईयों को मारे जाने के बारे में चेतावनी दी कि उनका उद्देश्य युद्ध की स्थिति पैदा करना है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

अबूजा, सोमवार 30 दिसम्बर 2019 (वाटिकन न्यूज) :  “क्रिसमस के दिन तथाकथित इस्लामिक स्टेट द्वारा 11 ईसाईयों को मारे जाने की खबर नाईजीरिया के स्थानीय मीडिया ने नहीं लेकिन पश्चिम अफ्रीका प्रांत में तथाकथित इस्लामिक स्टेट ने इसे साझा किया है।” अबूजा के महाधर्माध्यक्ष इग्नेशियस आयू कागामा ने वाटिकन न्यूज के फ्रांसिस्का सबतिनेली से बात करते हुए कहा।

इस्लामिक स्टेट ने लगभग एक मिनट का वीडियो जारी किया जिसमें क्रिसमस के दिन अज्ञात स्थान पर, 11 लोगों की हत्या को दिखाया गया।

महाधर्माध्यक्ष कागामा के अनुसार, "लड़ाई, अपहरण और हत्या" समूह द्वारा सरकार को फिरौती देने के लिए मजबूर करने का एक तरीका था। समूह ने दावा किया कि क्रिसमस दिवस की मौतें सीरिया में अपने नेता और प्रवक्ता की मौत का बदला लेने के लिए थीं।

उन्होंने कहा, "वे युद्ध की स्थिति बनाने की कोशिश कर रहे हैं", "वे मुसलमानों और ईसाइयों को लड़ते हुए देखना चाहते हैं"। उन्हें उम्मीद है कि वे ईसाईयों को नष्ट करने और देश पर इतना तक कि पड़ोसी देशों पर भी अधिकार करने में सक्षम होंगे।

महाधर्माध्यक्ष कागामा ने कहा, हालांकि "हम नहीं कह सकते", कि ईसाइयों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।

देश में काथलिक गिरजाघर हैं, जैसे कि मुस्लिम मस्जिदें हैं। इसलिए, "आप यह नहीं कह सकते कि एक समूह को धार्मिक स्वतंत्रता से वंचित किया गया है"। हालाँकि, हम जो कह रहे हैं, वह यह है कि कुछ मामलों में "गंभीर भेदभाव" किया जाता है।

अपना बात जारी रखते हुए महाधर्माध्यक्ष ने कहा, “कभी-कभी आपको उत्तरी राज्यों में एक गिरजाघर बनाने के लिए भूमि खरीदने की कोई संभावना नहीं है, जहां मुस्लिम बहुसंख्यक हैं। टेलीविजन या रेडियो पर ख्रीस्तियों के धार्मिक कार्यक्रम नहीं हो सकते। आप स्कूलों में ख्रीस्तीय धर्म शिक्षा नहीं पढ़ा सकते हैं, या विश्वविद्यालयों में ईसाइयों की मदद करने के लिए ईसाई पुरोहित नहीं रख सकते हैं। ये गंभीर समस्याएं हैं। ”

महाधर्माध्यक्ष कागामा का कहना है कि वर्तमान सरकार द्वारा भी ख्रीस्तियों को भेदभाव सहना पड़ रहा है। अधिक "महत्वपूर्ण" और "संवेदनशील" पद "मुसलमानों को दी जा रही है"। वे इसे " मुसलमानों के पक्ष में जानबूझकर दिये गये प्रयास" के रूप में देखते हैं।

"यह एक तथ्य है। हमें "संतुलन बनाए रखने" और "समानता बनाने" के लिए काम करना है ताकि सभी के लिए "न्याय" और "समानता" मिल सके।

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30 December 2019, 16:15