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समाज में शांति एवं सौहार्द को बढ़ावा देने हेतु कोलकाता में सभा

कोलकाता काथलिक महाधर्मप्रांत में 18 अगस्त को अंतरधार्मिक वार्ता की एक सभा का आयोजन किया गया था जिसमें लोगों ने देश में नेतृत्व के बदलते स्वरूप पर चिंता जतायी।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

कोलकाता, मंगलवार, 20 अगस्त 2019 (रेई)˸ कोलकाता के महाधर्माध्यक्ष थॉमस डीसूजा ने विभिन्न धर्मों के सदस्यों का स्वागत किया ताकि समाज में शांति एवं सौहार्द को बढ़ावा दिया जा सके।

बैठक जो पहले से ही अंतरधार्मिक वार्ता में संलग्न है, कुछ दिग्गज नेताओं को इकट्ठा करती है, इसमें सतनाम सिंह अहलूवालिया और इमरान जकी ने सिख और इस्लाम समुदायों का प्रतिनिधित्व किया। उन दोनों ने मानवता के धर्म पर अपना विश्वास जताया।  

उन्होंने कहा, "यह प्रयास हमारे धर्म की सीमाओं और मापदंडों के परे जाना तथा हरेक धर्म के सिद्धांतों को अपनाते हुए मानवता का निर्माण करने हेतु उनका अभ्यास करना है। सभी धर्म वास्तव में, स्वतंत्रता, न्याय, मैत्री और शांति के नये मानवता का निर्माण करने के लिए समर्पित हैं।"

प्रतिभागियों ने वर्तमान राष्ट्रीय परिदृश्य में मंडराते हुए काले बादलों पर गौर किया। धीरे-धीरे धार्मिक चरमपंथ में वृद्धि कुछ धार्मिक अल्पसंख्यकों, समाज के आवाजहीनों, वंचितों एवं उपेक्षितों के लिए असुरक्षा का कारण बन रहा है।

उन्होंने इस बात का भी अवलोकन किया कि देश अव्यवस्था, निराशा और मयूसी के दौर से गुजरते हुए असमंजस की स्थिति में है। आम जनता के मन में खामोशी पूर्ण डर बढ़ता जा रहा है।

देश ने जब 73वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाया, तब कई लोगों ने सवाल किया कि क्या देश आज सचमुच आजाद है? देश दमनकारी व्यवस्था की चपेट में है, जहां व्यक्तियों के अधिकारों के साथ छेड़छाड़ की जाती है और उनकी बोलने की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जाता है। छिपे हुए फासीवादी शासन ने हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों का अतिक्रमण किया है। कुछ लोगों ने महसूस किया है कि हमारा संविधान ही खतरे में है।

महाधर्माध्यक्ष डीसूजा ने वर्तमान परिदृश्य में वार्ता की चिंता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जब हम बहुलवादी समाज में जीते हैं तब वार्ता सभी के लिए अनिवार्य और आवश्यक है। सभी धर्मों और संस्कृतियों के लोग यहां सद्भाव में रहते हैं। हमारे आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक मुद्दें, आम लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं जिन्हें वार्ता, मानवीय गरिमा, जीवन के प्रति सम्मान की भावना एवं गहरी समझ पर ध्यान देना चाहिए।

सतनाम ने कहा, "धर्म को मानवता एवं शांति स्थापित करने के लिए सकारात्मक भूमिका अदा करनी चाहिए।" सेवा केंद्र के निदेशक फादर फ्रैंकलीन मेनेजेस ने कहा कि कुछ लोग होंगे जो किसी धर्म पर विश्वास नहीं करते हों किन्तु वे भी मानवता के मूल्यों को जीते हैं अतः उन्हें इस शांति निर्माण प्रक्रिया में भाग लेना चाहिए।  

सैयद इरफान शेर ने कहा, "भारत के विचार पर ही आज हमला किया जा रहा है।" शांति मंच के सदस्य ओपी शाह ने कहा, "हमें मन का आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है और अपने राष्ट्रीय मुद्दों को गहराई से समझने का प्रयास करना है। हमें उन लोगों को भी शामिल करना चाहिए जो हमारे विचारों से सहमत नहीं हैं जिससे हम उन मतभेदों को सुलझाने के लिए एक साथ प्रतिक्रिया कर सकते हैं एवं मानवता का निर्माण करने के लिए बातचीत की हमारी प्रक्रिया जारी रख सकते हैं।”

सभा के अंत में संयोजकों ने कहा कि जल्द ही आगे की चर्चा के लिए एक यथार्थवादी योजना बनायी जायगी। कुछ प्रस्ताव भी रखे गये जिनमें वार्ता की आवश्यकता को समझने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन तथा हमारे मन की स्थिति का आत्मनिरीक्षण, गलतफहमी, अज्ञानता और धर्मों के प्रति गलत विचारों को हटाने के लिए पैनल चर्चा करने की बात हुई। कुछ लोगों ने प्रस्तावित किया कि हमारे सोशल मीडिया को सद्भाव, शांति और एक बेहतर मानवता के लिए बढ़ावा देने में सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए।

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20 August 2019, 17:29