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नया अल्पसंख्यक कार्यक्रम से वंचित दलित ख्रीस्तीय, साजन के जॉर्ज

केंद्र सरकार ने "तुष्टीकरण के बिना सशक्तिकरण और सम्मान के साथ विकास" नामक एक योजना का अनावरण किया। इस योजना के तहत अधिकारिक छह अल्पसंख्यक समूहों मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी को स्वीकार किया है - हालाँकि, दलित ईसाइयों को अभी भी 1950 के राष्ट्रपति के आदेश द्वारा स्थापित कोटा प्रणाली से बाहर रखा गया है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

मुंबई, शनिवार, 20 जुलाई 2019 (एशिया न्यूज) :  भारत सरकार ने देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए एक नया कल्याण कार्यक्रम प्रस्तुत किया है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने 18 जुलाई को संसद के निचले सदन लोक सभा के सामने "तुष्टीकरण के बिना सशक्तिकरण और सम्मान के साथ विकास" योजना को प्रस्तुत किया।। मंत्री का नया मंत्र छह अल्पसंख्यक समूहों में लक्षित है: मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी।

भारतीय ख्रीस्तियों के विश्व परिषद (जीसीआइसी) के अध्यक्ष साजन के जॉर्ज ने "गरिमा के साथ विकास" का स्वागत किया, पर उन्हें आश्चर्य है "उन 12 मिलियन दलित ईसाइयों को इस योजना से बाहर रखा गया, जिनके पास कोई आरक्षित सीट नहीं है"।

मंत्री नकवी के लिए, देश में कोई भी ऐसा जिला नहीं है जहां 2014 के बाद से नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा शुरू किए गए कल्याणकारी कार्यक्रमों से अल्पसंख्यकों को कोई फायदा नहीं हुआ है। "हम गरिमा के साथ अथक मुक्ति और विकास में विश्वास करते हैं," उन्होंने कहा।

मंत्री ने अल्पसंख्यक सहायता कार्यक्रमों के लिए अपने मंत्रालय के खर्च का ब्योरा दिया: 2016-2017 में 38.27 बिलियन रुपये, 2017-2018 में 41.95 बिलियन रुपये, 2018-2019 में 47 बिलियन रुपये खर्च किये गये।

साजन के जॉर्ज के अनुसार, नया कार्यक्रम एक अच्छी पहल है, लेकिन वंचित जातियों के लिए "दलित ईसाई अभी भी न्याय के मामले में सबसे वंचित हैं उन्हें सकारात्मक कार्यों के लाभ से वंचित किया जाता है"।

ईसाई नेता जॉर्ज का कहना है कि 1950 के राष्ट्रपति के आदेश में कहा गया है कि "कोई भी व्यक्ति जो हिंदू, सिख या बौद्ध धर्म से अलग कोई धर्म को स्वीकार करता है, उसे अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जाएगा।"

बाद में, सिखों और बौद्धों को शामिल करने के लिए परिच्छेद 3 को संशोधित किया गया, "हालांकि, मुस्लिम, ईसाई, जैन और पारसी अभी भी भारत के सामाजिक वर्गीरकण में निचली जातियों के लिए आरक्षित लाभों से बाहर रखे गए हैं। दलित ईसाई" दोहरे भेदभाव का शिकार होते रहते हैं।

जॉर्ज ने कहा, "जाति प्रणाली न केवल एक धार्मिक प्रणाली है, बल्कि एक सामाजिक-आर्थिक भी है," “अगर कोई अपराध हिंदू, सिख या बौद्ध दलितों के खिलाफ किया जाता है, तो वे कानून के पास जा सकते हैं। ईसाई दलितों के लिए भी ऐसा नहीं होता, जो वंचित जातियों में नहीं माने जाते। इसलिए, वे उत्पीड़न, शोषण और अत्याचार के शिकार होते हैं।”

उन्होंने कहा, "आरक्षित कोटे की प्रणाली के कानूनी लाभों के बिना, ईसाई दलितों का उद्धार धूमिल है।"

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20 July 2019, 15:06