यमन में हैजा का निवारण यमन में हैजा का निवारण 

यमन में युद्ध नहीं थम रहा

दिसम्बर में स्टोकहोल्म समझौते के बाद भी यमन में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। युद्ध की इस स्थिति में हर आठ घंटे में एक नागरिक की मौत हो रही है। पूरे देश में स्वच्छता की स्थिति दयनीय है।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

पिछले साल 26 मार्च से यमन में गृहयुद्ध की शुरूआत के बाद करीब 7 हजार देशवासियों की मौत हो गई है जबकि करीबन 3 मिलियन यमनियों को अपने वतन को छोड़ने में बाध्य होना पड़ा है। युद्ध की स्थिति के कारण 90 प्रतिशत देशवासियों में करीबन 24 मिलियन नागरिकों को मानवतावादी सेवा के क्रियाकलापों पर जीवनयापन करने को आश्रित होना पड़ा है जो कि मुख्यतः संयुक्त राष्ट्रों और एजीओ के द्वारा संचालित किये जाते हैं। आक्सफैम प्रेस विज्ञप्तियों के अनुसार समस्या का मूलभूल कारण हवाई हमले, बमबारी और खानों में विस्फोट करना है जिसके कारण नागर विधि व्यवस्था में भारी नुकसान हुआ है। युद्ध की इस स्थिति ने समान्य जनजीवन को तहस-नहस कर दिया है जिसके कारण मानवतावादी सेवाएँ और औषधियों को उपलब्ध करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा रहा है। 

हैजा की स्थिति पहले से गम्भीर

आक्सफैम के नीतिनिर्धारण सलहकार पाँलो पेज्जाती ने कहा, “यमन में मावनवादी सभी सूचाकांकों की स्थिति बदतर होती जा रही है। 18 मिलियन नागरिकों को स्वच्छ पीने का पानी नहीं मिल रहा है वहीं कुपोषण के शिकार लोगों की संख्या में दिन व दिन बढ़ोतरी हो रही है।” उन्होंने कहा कि देश ऐसी स्थिति में पहुंचने के कागार पर है कि वहां से इसका विकास कठिन जान पड़ता है। युद्ध की स्थिति के कारण आने वाली पीढ़ियों का भविष्य अपने में अंधकारमय जान पड़ता है। उन्होंने पश्चिमी देशों का खण्डन किया जो सऊदी गंठबधनों के लिए हथियारों की पूर्ति करते हैं जिसमें इटली भी एक प्रमुख हथियार बिक्रेता है।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

21 March 2019, 15:49