शांति पुरस्कार विजेता म्यांमार की आंग सान सूकी शांति पुरस्कार विजेता म्यांमार की आंग सान सूकी 

शांति पुरस्कार विजेता सूकी की कार्रवाई 'खेदजनक':नोबेल प्रमुख

1991 में आंग सान सूकी ने लोकतंत्र के प्रचार के लिए नोबेल शांति पुरस्कार जीता था।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

स्टॉकहोम, बुधवार 03 अक्टूबर 2018 (रॉयटर्स) : नोबेल फाउंडेशन के प्रमुख ने स्टॉकहोम में एक साक्षात्कार में रॉयटर्स को बताया कि म्यांमार के राजनीतिक नेता के रूप में आंग सान सूकी के कुछ कार्य "खेदजनक" हैं, लेकिन उनसे नोबेल शांति पुरस्कार वापस नहीं लिया जाएगा।

नोबेल फाउंडेशन के प्रमुख लार्स हेइकेंस्टन ने, इस वर्ष के शांति पुरस्कार देने के कुछ दिन पहले कहा कि उनके द्वारा किये गये कार्यों के प्रत्युत्तर में पुरस्कार वापस लेने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि न्यायाधीशों को विजेताओं की योग्यताओं पर लगातार चर्चा करनी होगी।

संयुक्त राष्ट्र जांचकर्ताओं ने अगस्त में एक रिपोर्ट जारी की जिसमें म्यांमार की सेना ने रोहिंग्या मुस्लिमों की सामूहिक हत्याओं को "नरसंहार" का आरोप लगाया। हिंसा से बचने के लिए 700,000 से अधिक रोहिंग्या सीमा पार बांग्लादेश में शरण लिये हुए हैं।

सूकी, जिन्होंने 1991 में लोकतंत्र के प्रचार के लिए नोबेल शांति पुरस्कार जीता था और अब म्यांमार सरकार की अगुवाई कर रही हैं। उनपर आरोप लगाया गया है कि नागरिकों की रक्षा में उनके "नैतिक अधिकार" का उपयोग करने में नाकाम रही हैं।

नोबेल फाउंडेशन के प्रमुख लार्स हेइकेंस्टन ने पिछले शुक्रवार 28 सितंबर को कहा, "हमें पता है कि म्यांमार में उनकी गतिविधियों और कार्यों पर बहुत सारे प्रश्न पूछे गये थे। हम मानवाधिकारों के लिए खड़े होते हैं, यह हमारे मूल मूल्यों में से एक है।"

उन्होंने कहा, "यह तो निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि सूकी इसके लिए ज़िम्मेदार हैं और यह बहुत ही खेदजनक है।"

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय रोहिंग्या के खिलाफ म्यांमार अपराधों की प्रारंभिक जांच शुरु की है।

म्यांमार ने संयुक्त राष्ट्र के निष्कर्षों को "एक तरफा" कहकर खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि जो पिछले साल अगस्त में सुरक्षा बलों पर आतंकवादी हमलों के जवाब में सैन्य कार्रवाई की गई थी, वह वैध था।

सुकी ने पिछले महीने कहा था कि उनकी सरकार ने रखाइन राज्य में स्थिति को बेहतर तरीके से संभाला, लेकिन उनहोंने किसी भी बड़े अपराध को स्वीकार नहीं किया।

हेइकेंस्टन ने कहा, "हम नहीं सोचते कि पुरस्कार वापस लेने से कोई फायदा होगा... इसमें हमें पुरस्कार देने के बाद भी उनके कार्यों को निरंतर चर्चाओं में शामिल करना होगा।" शांति पुरस्कार देने वाली नॉर्वे नोबेल कमेटी ने अगस्त में कहा कि इसके नियमों में पुरस्कार वापस लेने की अनुमति नहीं है।

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03 October 2018, 16:39